बांग्लादेश में अब तक थमा नहीं बवाल: हाईवे जाम, US अलर्ट, हादी का शव पहुंचने से पहले ढाका सील
बांग्लादेश में हिंसा और विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है. छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद हालात और बिगड़ गए हैं. ढाका-मैमनसिंह हाईवे पूरी तरह से जाम है. ढाका में सख्त सुरक्षा पहरा है. वहीं, अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए चेतावनी जारी कर दी है. जबकि बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से सभी शांति बनाए रखने की अपील की है.;
बांग्लादेश में छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद एक बार फिर बवाल चरम पर है. हादी की मौत ने पूरे देश में विरोध की आग भड़का दी है. हालात ऐसे हैं कि राजधानी ढाका में उनके शव के पहुंचने से पहले ही सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व स्तर पर सख्त कर दी गई है. हाईवे जाम, हिंसक प्रदर्शन और अंतरराष्ट्रीय चेतावनियों ने संकेत दे दिया है कि संकट अभी खत्म नहीं हुआ है. भारत विरोधी हादी की मौत के बाद वहां हिंसा भड़की है. भारतीय उच्चायोग के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं.
बांग्लादेश में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं - यूनुस
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने कुछ लोगों द्वारा की गई भीड़ हिंसा की निंदा की है.नागरिकों से लोकतांत्रिक बदलाव के इस अहम समय में हिंसा, नफरत और उकसावे का विरोध करने का आह्वान किया है. इस बात पर ज़ोर देते हुए कि आने वाले चुनाव और जनमत संग्रह शहीद शरीफ उस्मान हादी के बलिदान से जुड़ी एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है.सरकार ने पत्रकारों पर हमलों के लिए न्याय का वादा किया और मैमनसिंह में एक हिंदू व्यक्ति की लिंचिंग की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि "नए बांग्लादेश" में ऐसी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है.
ढाका बॉर्डर सील
सिंगापुर से शरीफ उस्मान हादी के शव के आने से पहले बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) ने ढाका के कई अहम इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी है. ढाका बॉर्डर को एक तरह से सील कर दिया गया है. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए BGB को एयरपोर्ट इलाके, कारवां बाजार और होटल इंटरकॉन्टिनेंटल के आसपास तैनात किया गया है. हादी की पहली अंतिम संस्कार प्रार्थना सिंगापुर में होनी थी, लेकिन बांग्लादेश हाई कमीशन ने कहा कि जरूरी मंजूरी न मिलने के कारण इसे रद्द कर दिया गया.
अमेरिका की चेतावनी क्यों अहम?
अमेरिका की सरकार ने ढाका में बिगड़े हालात को देखते हुए अपने नागरिकों को भीड़भाड़ वाले इलाकों से दूर रहने और सतर्क रहने को लेकर चेतावनी जारी की है. अमेरिका ने अपने नागरिकों से गैर-जरूरी यात्रा टालने और स्थानीय हालात पर नजर रखने को कहा है. यह चेतावनी बताती है कि हालात सिर्फ घरेलू नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन चुके हैं.
कई जगह आगजनी, मीडिया हाउस आग के हवाले
हादी हसीना के आलोचक थे और भारतीय विचारों का विरोध करते थे. उन्होंने हसीना के भारत और उसके नेताओं के साथ करीबी संबंधों का विरोध किया था. उनकी मौत के बाद, बांग्लादेश में भारत के असिस्टेंट हाई कमिश्नर के चट्टोग्राम स्थित घर पर हमला किया गया. इसके अलावा, ढाका में देर रात आगजनी की कम से कम तीन घटनाएं दर्ज की गयी. अखबार प्रोथोम आलो और डेली स्टार के दफ्तरों और हसीना सरकार में पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी नोफेल के घर में आग लगा दी गई.
जहांगीर आलम चौधरी से इस्तीफे की मांग
छात्र प्रदर्शनों में शामिल हुए: बांग्लादेश के कई छात्र संगठन भी राजधानी भर में सड़कों पर उतर आए, जिसमें ढाका विश्वविद्यालय परिसर में भी विरोध प्रदर्शन शामिल थे. एक छात्र समूह, जातीय छात्र शक्ति ने परिसर के अंदर एक शोक जुलूस निकाला और शाहबाग से मार्च करते हुए चौराहे पर बड़े प्रदर्शन में शामिल हुआ. विरोध प्रदर्शन के दौरान, छात्र शक्ति के सदस्यों ने गृह सलाहकार और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जहांगीर आलम चौधरी का पुतला जलाया, और हादी पर हमले के लिए ज़िम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करने और नाकाम रहने के आरोप में उनके तत्काल इस्तीफे की मांग की.
हादी को मोटरसाइकिल सवारों ने मारी थी गोली
कट्टरपंथी ग्रुप इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी ने छह दिनों तक जिंदगी के लिए लड़ने के बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया. बांग्लादेश में हादी की मौत की पुष्टि 18 दिसंबर की रात अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और इंकलाब मंच ने की. फरवरी में होने वाले चुनाव में ढाका-8 निर्वाचन क्षेत्र से संभावित निर्दलीय उम्मीदवार हादी को 12 दिसंबर को बिजोयनगर में मोटरसाइकिल सवार बदमाशों ने गोली मारी गई थी.
प्रोथोम आलो की बिल्डिंग जलकर खाक
एक अन्य घटना में लोगों के एक समूह ने ढाका में शाहबाग से कारवां बाजार की ओर मार्च करते हुए गया, जहां उन्होंने बांग्लादेशी दैनिक प्रोथोम आलो की बिल्डिंग को घेर लिया और विरोध प्रदर्शन किया. उग्र भीड़ ने प्रोथोम आलो की बिल्डिंग को आग के हवाले कर दिया.
प्रदर्शनकारी लाठियां और रॉड लेकर आए. उन्होंने ऑफिस में तोड़फोड़ की और उसकी ज्यादातर खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए. बांग्लादेशी दैनिक, ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, आधी रात के आसपास, प्रदर्शनकारियों का एक समूह ऑफिस में घुस गया और सड़क पर फर्नीचर और जरूरी दस्तावेज फेंककर आग लगा दी. भीड़ ने अंतरिम सरकार के गृह सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी का पुतला भी जलाया. हादी हमलावरों की गिरफ्तारी में असफलता पर इस्तीफे की मांग की
बांग्लादेश में बवाल क्यों?
उस्मान हादी की मौत की खबर आते ही राजधानी ढाका में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारी हादी के मौत से गुस्से में थे. सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में देखा गया कि भीड़ ने कई जगहों पर तोड़फोड़ की. प्रदर्शनकारी हादी के नाम के नारे लगाते दिखे. इस दौरान एक हिंदू युवक को ईशनिंदा का आरोप लगाकर मार डाला गया. रॉयटर्स के अनुसार देर रात तक कई इलाकों में तनाव बना रहा, जिसके बाद अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए.
यूनुस की शांति बनाए रखने की अपील
उग्र प्रदर्शनकारियों ने राजशाही में अवामी लीग के दफ्तर को आग के हवाले कर दिया. अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस ने हादी की मौत को बांग्लादेश के राजनीतिक और लोकतांत्रिक जीवन के लिए बड़ा नुकसान बताया. उन्होंने पारदर्शी जांच का भरोसा दिलाया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की.
भारत-विरोधी लहर
बांग्लादेश की पूर्व पीएम हसीना और उनकी अवामी लीग सरकार के प्रति भारत के कथित नरम रवैये की शुरू से ही चर्चा में है. बांग्लादेश के छात्र नेता और जमात-ए-इस्लामी जैसी कट्टरपंथी पार्टियां बीते साल अगस्त से ही यह मुद्दा उठाती रही हैं. बीते अगस्त से ही भारत में रह रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को शरण देने के मुद्दे पर संबंधों में तनातनी रही है. वहां की अदालत ने हसीना को मौत की सजा सुनाई है. उसके बाद अंतरिम सरकार कम से कम दो बार भारत से हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग कर चुकी है. भारत ने इस पर चुप्पी साध रखी है. इससे कट्टरपंथी दलों और अंतरिम सरकार की नाराजगी लगातार बढ़ी है.
शेख हसीना की वापसी कठिन
उसी दिन यानी बुधवार को बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद तौहीद ने भी आरोप लगाया कि भारत वर्ष 1971 के मुक्ति युद्ध में बांग्लादेश के योगदान को लगातार कमतर आंकता रहा है. वह इसे पाकिस्तान पर अपनी जीत बताते हुए कोलकाता स्थित पूर्वी कमान मुख्यालय में विजय दिवस का आयोजन करता रहा है. उनका कहना था कि अगर मुक्ति वाहिनी के लड़ाकों ने स्थानीय स्तर पर पाक सेना का विरोध नहीं किया होता तो भारत की जीत आसान नहीं होती, लेकिन भारत इस जीत का श्रेय बांग्लादेश को देने की बजाय खुद लेता रहा है. इसके उलट बीएनपी नेता बीते एक साल के दौरान कई बार यह बात कह चुके हैं कि बांग्लादेश को भारत ने नहीं मुक्ति वाहिनी के लड़ाकों ने पाकिस्तान से मुक्त कराया था.
भारतीय उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन
ढाका में भारतीय उच्चायोग के बाहर कट्टरपंथियों ताकतों का नंगा नाच और उग्र प्रदर्शन जैसे जैसे बांग्लादेश में आम चुनाव नजदीक आएगा, ऐसे दृश्य और बढ़ेंगे क्योंकि जमातियों की पार्टी भारत विरोध और अल्पसंख्यक विरोध का खुला खेल खेल कर अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है. इसे रोकने में युनुस की अंतरिम सरकार पूरी तरफ फैल हो गई है.
बांग्लादेश के खिलाफ त्रिपुरा में प्रोटेस्ट
त्रिपुरा में इंडिजीनस प्रोग्रेसिव रीजनल अलायन्स की युवा इकाई यूथ टिपरा फेडरेशन ने भारत के 'सेवन सिस्टर्स' को अलग करने की धमकी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. 19 दिसंबर को अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायुक्त कार्यालय के सामने इस प्रदर्शन के दौरान संगठन के नेताओं ने कहा, “बांग्लादेश की नेशनल सिटिज़न्स पार्टी (एनसीपी) के नेता हसनत अब्दुल्ला और कई अन्य छोटे-बड़े नेताओं की ओर से पूर्वोत्तर भारत को भारत से अलग करने की हालिया धमकियां बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह बयान भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों के लिए नुकसानदेह हैं.