हैवानियत की हदें पार! बागपत में पति ने नवविवाहिता को जुए में दांव पर लगाया, 8 लोगों ने किया गैंगरेप
उत्तर प्रदेश के बागपत से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक नवविवाहिता को दहेज, जुए और हवस की भयावह साजिश का शिकार बनाया गया. पति ने उसे जुए में दांव पर लगा दिया, जिसके बाद 8 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया. यही नहीं, पीड़िता ने जेठ, ननदोई और ससुर पर भी बार-बार दुष्कर्म का आरोप लगाया है. जबरन गर्भपात, तेजाब से हमला और हत्या की कोशिश ने घटना को और भी भयावह बना दिया. पीड़िता अब न्याय की मांग को लेकर एसपी ऑफिस पहुंच चुकी है.;
उत्तर प्रदेश के बागपत में सामने आया एक दर्दनाक मामला केवल एक परिवार की क्रूरता भर नहीं, बल्कि समाज के उस काले सच का आईना है, जहां लालच, नशा और मर्दवादी सोच मिलकर एक औरत की जिंदगी को नर्क बना देते हैं. यह घटना केवल अपराध नहीं एक चेतावनी है कि कानून जितना भी कड़ा हो, जब तक सामाजिक मानसिकता नहीं बदलेगी, ऐसी त्रासदियां बार-बार जन्म लेती रहेंगी.
निवाड़ा गांव की एक नवविवाहिता ने जो आरोप लगाए हैं, वे किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्म से सिर झुका देने वाले हैं. शादी के कुछ दिनों बाद ही जिस घर में उसे सुरक्षा और सम्मान मिलना चाहिए था, वहीं वह दहेज, जुए और हवस का शिकार बना दी गई. मामला अब पुलिस जांच में है, लेकिन पीड़िता की कहानी उस खोखले तंत्र पर भी सवाल खड़े करती है, जो महिलाओं की सुरक्षा का दावा करता है.
दहेज और नशे ने बदला वैवाहिक जीवन का चेहरा
शादी के कुछ ही दिनों बाद पीड़िता को एहसास हो गया कि उसका पति दानिश शराब और जुए का बुरी तरह आदी है. दहेज कम मिलने का बहाना बनाकर उसे रोज ताने दिए जाते, मारपीट होती और उसका आत्मसम्मान कुचला जाता रहा. परिवार के भीतर ही हिंसा का यह माहौल धीरे-धीरे उसकी जिंदगी को पूरी तरह घेरने लगा.
जुए की टेबल पर पत्नी को बनाया दांव
पीड़िता के अनुसार एक दिन पति जुए में लगातार हार रहा था. नशे और पागलपन में उसने अपनी पत्नी को ही दांव पर लगा दिया. आरोप है कि हारने के बाद वहीं मौजूद 8 लोगों ने उसे बंधक बनाकर सामूहिक दुष्कर्म किया. पीड़िता ने तीन आरोपियों उमेश गुप्ता, मोनू और अंशुल को पहचान लिया है, जो गाजियाबाद के रहने वाले बताए जाते हैं.
परिवार के भीतर ही दरिंदगी
यहां कहानी और भी भयावह हो जाती है. पीड़िता का कहना है कि जुए वाली घटना के बाद उसका जेठ शाहिद, ननदोई शौकीन और यहां तक कि ससुर यामीन ने भी उसके साथ दुष्कर्म किया. ससुर के बारे में उसका आरोप है कि वह दहेज का ताना देकर बार-बार उसे जबरन शारीरिक संबंधों के लिए मजबूर करता था. औरत की इज्जत को ‘दहेज का मुआवज़ा’ बना देने की यह मानसिकता समाज की भयंकर सड़ांध को उजागर करती है.
प्रताड़ना की हदें पार
पीड़िता ने बताया कि जब वह गर्भवती हुई तो ससुराल वालों ने उसका जबरन गर्भपात करा दिया. इतना ही नहीं, उसके पैरों पर तेजाब फेंका गया और एक मौके पर उसे मारने के इरादे से नदी में धक्का दिया गया. किसी तरह जान बचाकर वह मायके पहुंची और पूरे मामले को अपने परिजनों के सामने रखा.
केस वापस लेने की कोशिश
जैसे ही मामला पुलिस तक पहुंचा, पीड़िता के परिवार पर समझौते और केस वापस लेने का दबाव बढ़ने लगा. धमकियों और दबाव से तंग आकर युवती सीधे एसपी ऑफिस पहुंची और न्याय की गुहार लगाई. उसकी यह कोशिश एक बार फिर बताती है कि पीड़ित को अदालत से पहले समाज से लड़ना पड़ता है.
पुलिस की जांच शुरू
बागपत पुलिस ने सोशल मीडिया पर पुष्टि की है कि मामला बिनोली थाने में दर्ज किया गया है. पुलिस का कहना है कि जांच तेजी से चल रही है और शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. मामला जितना गंभीर है, उतनी ही संवेदनशीलता और तत्परता इस जांच में जरूरी है.
सोच बदलने की ज़रूरत
भले ही जांच जारी है, लेकिन इस घटना ने फिर साफ कर दिया कि महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा में क़ानून से पहले समाज की सोच बदलनी होगी. दहेज, नशा, पितृसत्ता और आर्थिक लालच की यह संयुक्त मानसिकता तब तक नहीं टूटेगी, जब तक समाज अपने भीतर के अंधेरे से आंखें नहीं मिलाता.