UP सरकार का यूटर्न! 10 साल पहले गौमांस को लेकर अख़लाक़ की हुई थी लिंचिंग, अब वापस लेने जा रही है केस; परिवार का क्या है हाल?
दादरी के एक गांव में 10 साल पहले गौहत्या और घर में गौमांस रखने के आरोप में मोहम्मद अखलाक नामक युवक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. अब यूपी सरकार इस मामले को वापस लेने जा रही है.
साल 2015 में दादरी के बिसाड़ा गांव में गोहत्या के बाद गोमांस को घर पर रखने के आरोप में 50 वर्षीय मोहम्मद अखलाक को गांव की भीड़ ने पीट-पीटकर मार दिया था. जिसके बाद गौतमबुद्धनगर पुलिस ने 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. जिसमें स्थानीय भाजपा नेता के बेटे और उसके चचरे भाई की मुख्य साजिशकर्ता के रूप में पहचान हुई थी.
जिन्होंने भीड़ को उकसाने का काम किया था. वहीं अब 10 साल के बाद यूपी सरकार ने आरोपियों के खिलाफ मामले को वापस लेने का फैसला किया है.
मामले पर क्या बोले सरकारी वकील?
इस मामले पर गौतमबुद्धनगर के अतिरिक्त सरकारी वकील ने कहा कि "हमने अखलाक अहमद के मामले के संबंध में सरकार द्वारा जारी किए गए मामले को वापस लेने के लिए 15 अक्टूबर को सक्षम अदालत में आवेदन दायर किया था. अदालत ने अभी तक आवेदन पर कोई आदेश पारित नहीं किया है और मामले की सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तारीख तय की है."
आगे उन्होंने बताया कि "यह अदालत को तय करना है कि मामला वापस लिया जाएगा या नहीं. तब तक मुकदमा जारी रहेगा. अभी तक अभियोजन पक्ष की पहली गवाह शिकायतकर्ता और मृतक की बेटी शाइस्ता की गवाही चल रही है. उससे जिरह अभी बाकी है."
क्या था पूरा मामला?
दरअसल 28 सितंबर साल 2015 को बिसाड़ा गांव के एक मंदिर से घोषणा के बाद कुछ लोग मोहम्मद अखलाक के घर जा धमके. इसके बाद भीड़ ने अखलाक और उसके बेटे दानिश को घर से घसीटकर बाहर निकाला और दोनों की जमकर पिटाई की. जिससे अखलाक और दानिश बेहोश हो गए थे. इसके बाद अखलाक की नोएडा के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. जबकि दानिश की सर्जरी के बाद जान बच गई थी.
अखलाक के घर से बरामद मांस की हुई थी जांच
बता दें, मामले के बाद अखलाक के घर से बरामद मांस को जांच के लिए फोरेंसिक लैब में भेजा गया था. फोरेंसिक की रिपोर्ट में पाया गया था कि जो मांस अखलाक के घर से मिला है वो गाय या गोवंश का ही है. हालांकि अखलाक के परिवार का कहना था कि रिपोर्ट को बदलकर उनको फंसाया गया है. इसके बाद साल 2015 में सूरजपुर की एक अदालत ने अखलाक के परिवार के खिलाफ गौहत्या के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था.
घटना के बाद गांव छोड़ गया था परिवार
अखलाक के परिवार के बारे में पता करने के लिए स्टेट मिरर ने स्थानीय लोगों से बातचीत करने की कोशिश की. वहां के स्थानीय पत्रकार ब्रजेश ने बताया कि अभी हाल ही में उनके परिवार के बारे में जानकारी नहीं है. फिलहाल वो गांव में नहीं रह रहे हैं. साथ ही वहां से स्थानीय मयंक ने बताया कि इस घटने के बाद ही पूरा परिवार गांव छोड़ गया था. कोई गाज़ियाबाद के लोनी और तो कोई दिल्ली में बस गए.
गांव की आबादी की बात की जाए वहां की कुल आबादी 30 हजार है और वहां पर ठाकुर जाति की आबादी 25 हजार है. इसके साथ ही यहां 400-500 मुस्लिम परिवार रह रहते हैं. पूरा गांव शांतिपूर्ण तरीके से रहता है और आपस में भाईचारे के साथ रह रहे हैं. यहां मस्जिद और कब्रिस्तान भी मौजूद है और लोगों के बीच भाईचारा है. हालांकि अखलाक के साथ हुई घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण थी.





