गणतंत्र दिवस परेड में शामिल झांकियों को कैसे चुना जाता है, दिल्ली की झांकी को क्यों किया गया खारिज?

Tableaux Selection Process: गणतंत्र दिवस 2025 परेड के लिए दिल्ली की झांकी को न चुने जाने पर AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने बीजेपी पर दिल्ली के लोगों से नफरत करने का आरोप लगाया है. आइए, आपको बताते हैं कि झांकियों का चुनाव कैसे होता है और दिल्ली की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड के लिए क्यों नहीं चुना गया...;

( Image Source:  ANI )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 23 Dec 2024 6:34 PM IST

Tableaux Selection Process:  हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन 1950 में देश का संविधान हुआ था. इस मौके पर दिल्ली में कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड में विभिन्न राज्यों की झांकी निकाली जाती है, लेकिन इसमें इस बार दिल्ली की झांकी नहीं दिखाई देगी. गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली की झांकी को मंजूरी नहीं मिलने को लेकर AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर निशाना साधा है.

केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली की झांकी को पिछले कुछ सालों से लगातार बाहर किया जा रहा है. दिल्ली और यहां के लोगों के प्रति इतनी नफरत क्यों है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने जानबूझकर दिल्ली की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल नहीं किया है. पिछली बार 2021 में दिल्ली की झांकी को परेड में शामिल किया गया था. हालांकि, बीजेपी ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि दिल्ली की झांकी को इस साल के शॉर्टलिस्ट किया गया था, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिल पाई. इसलिए इस पर राजनीति करना ठीक नहीं है.

बता दें कि गणतंत्र दिवस परेड में विभिन्न राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की झांकियों का प्रदर्शन किया जाता है. ये झांकियां संबंधित क्षेत्रों की थीम, उपलब्धियों और आकांक्षाओं को दर्शाने के लिए बनाई जाती है. आइए आपको बताते हैं कि इन झांकियों को चयन कैसे किया जाता है...

झांकियों का चयन कैसे होता है?

रक्षा मंत्रालय गणतंत्र दिवस परेड का संचालन करता है. उसके मुताबिक, झांकियों के चयन की एक मानक प्रक्रिया है. हर साल आयोजन से कुछ महीने पहले रक्षा मंत्रालय राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और विभागों से एक व्यापक विषय पर प्रस्ताव आमंत्रित करता है. पिछली बार 2024 का विषय था- 'विकसित भारत' और भारत- लोकतंत्र की मातृका. इन प्रस्तावों में एक कॉन्सेप्ट नोट, साथ ही झांकी के डिजाइन स्केच और मॉडल शामिल होने चाहिए. फिर प्रस्तावों का मूल्यांकन एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाता है. इस समिति में प्रतिष्ठित कलाकार, डिजाइनर, आर्किटेक्ट और सांस्कृतिक विशेषज्ञ शामिल होते हैं. समिति उनकी मौलिकता, रचनात्मकता, कलात्मक योग्यता, प्रासंगिकता और दृश्य अपील के आधार पर सर्वश्रेष्ठ प्रस्तावों को शॉर्टलिस्ट करती है.

शॉर्टलिस्ट किए गए प्रस्तावों को फिर दिल्ली में एक परीक्षण स्थल पर अपनी झांकी प्रस्तुत करने के लिए बुलाया जाता है. यहां उनका मूल्यांकन सौंदर्यशास्त्र, कार्यक्षमता, गतिशीलता और सुरक्षा जैसे विभिन्न मापदंडों पर किया जाता है. परीक्षण के बाद अंतिम चयन किया जाता है. चयनित प्रतिभागियों को परेड में स्लॉट आवंटित किए जाते हैं. चयन प्रक्रिया कठोर और प्रतिस्पर्धी है, क्योंकि परेड में सीमित संख्या में ही झांकियां शामिल की जा सकती हैं. साल 2024 के लिए, प्राप्त 56 प्रस्तावों में से केवल 25 का चयन किया गया था, जिनमें 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से और नौ केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों से थीं.

झांकी का महत्व

ये झांकियाँ केवल सजावटी वस्तुएं नहीं होती हैं, बल्कि ये भारत की विविधता में एकता के सशक्त प्रतीक हैं. ये देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक और आर्थिक विकास, वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों और लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रदर्शित करती हैं. ये संबंधित क्षेत्रों की उपलब्धियों, चुनौतियों और राष्ट्रीय दृष्टिकोण में उनके योगदान को भी उजागर करती हैं.

ये झांकियां कलाकारों, डिजाइनरों और शिल्पकारों की रचनात्मकता और नवाचार को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में भी काम करती हैं. झांकियां प्रतिभागियों की कलात्मक दृष्टि, शिल्प कौशल और तकनीकी कौशल को दर्शाती हैं, जो इन उत्कृष्ट कृतियों को बनाने के लिए अथक परिश्रम करते है. झांकियां भारत की विविधता और गतिशीलता के रंग-बिरंगे और जीवंत प्रदर्शन को देखने वाले दर्शकों में गर्व और देशभक्ति की भावना उत्पन्न करती हैं. वे दर्शकों को देश के विभिन्न पहलुओं के बारे में अधिक जानने और इसकी सुंदरता और क्षमता की सराहना करने के लिए भी प्रेरित करती हैं।

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