जबरदस्ती करता है किस... पुलिस के कहने पर भाभी ने देवर पर लगाया था झूठा रेप केस, कोर्ट ने महिला को भेजा जेल
दिल्ली की अदालत ने एक महिला को उसके देवर के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराने के लिए तीन महीने की जेल की सजा सुनाई. इस झूठी शिकायत की वजह से देवर को गिरफ्तार किया गया और 41 दिन तक हिरासत में रहना पड़ा. कोर्ट ने मामले में बताया कि महिला ने अपने व्यक्तिगत झगड़े को सुलझाने के लिए गंभीर अपराध के दावे का गलत इस्तेमाल किया.;
दिल्ली से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां भाभी ने अपने देवर पर बलात्कार, छेड़छाड़ और जबरन किस करने जैसे संगीन इल्जाम लगाए थे. देवर पेशे से एक डॉक्टर है. महिला के इन आरोपों के चलते देवर को 41 दिनों तक जेल की सलाखों के पीछे धकेला गया.
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लेकिन अब इस मामले में नया मोड़ आया है, जहां दिल्ली कोर्ट ने महिला ने माना कि महिला ने अपने देवर पर झूठे आरोप लगाए थे. जहां कोर्ट ने महिला को जेल की सजा सुनाई है. साथ ही, उस पर जुर्माना भी ठोका है.
क्या है पूरा मामला?
कहानी की शुरुआत जयश्री की एफआईआर से हुई, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनका देवर उन पर फ्लर्ट करता था, जबरदस्ती किस करता था और यौन शोषण करता था. इतना ही नहीं, महिला ने परिवार के अन्य सदस्यों पर भी हैरेसमेंट के आरोप भी लगाए. पुलिस ने FIR दर्ज की और डॉक्टर देवर को गिरफ्तार कर लिया. 41 दिनों तक आरोपी को जेल में रखा गया.
महिला ने वापस लिए आरोप
मुकदमे के दौरान जयश्री ने अचानक अपना बयान वापस ले लिया. अदालत में क्रॉस-एग्ज़ामिनेशन के दौरान उसने माना कि यह शिकायत पुलिस वालों के कहने पर दर्ज कराई गई थी और यह पूरी तरह से झूठी थी, जिसे सिर्फ वैवाहिक विवाद सुलझाने के लिए बनाया गया था. इसके बाद उसके देवर ने आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया, और धीरे-धीरे मामले की असली सच्चाई सामने आने लगी.
कोर्ट का रुख और सजा
एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट स्वाति गुप्ता ने कहा कि महिला जो पढ़ी-लिखी है, उसे सही और गलत का फर्क पता होना चाहिए थाय अदालत ने यह भी कहा कि उसने अपने बयान में कई बार अपनी कहानी बदलते हुए पुलिस और दूसरों पर आरोप लगाए. कोर्ट ने साफ किया कि यौन अपराध के मामले में सिर्फ विवाद सुलझाने का बहाना कबूल नहीं किया जाएगा और झूठे आरोप लगाकर किसी को नुकसान पहुंचाना साफ अपराध है.
3 महीने की हुई जेल
कोर्ट ने महिला को 3 महीने की जेल और 5,000 रुपये का जुर्माना सुनाया, लेकिन अपील करने के लिए उसे एक महीने की मोहलत दी गई. उसे IPC की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराया गया, जो मानहानि और इसके परिणामों से जुड़ी हुई हैं.