चुनाव प्रचार ख़त्म... अरविंद केजरीवाल को क्यों सता रहा सीटें कम होने का डर?

दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज है, और इस बार भी आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल खुद को आम आदमी का सबसे बड़ा हितैषी बताते हुए प्रचार में जुटे हैं. कुछ महीने पहले तक कांग्रेस के साथ गठबंधन करने वाले केजरीवाल अब कांग्रेस को बीजेपी की 'बी-टीम' बता रहे हैं. अब उन्होंने सीट कम होने की बात कही है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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दिल्ली में चुनाव प्रचार ख़त्म हो चुका है. सभी पार्टी चुनाव प्रचार करने के बाद आपने वादों और दावों के साथ पूरी जिम्मेदारी दिल्ली की जनता पर छोड़ दिया है. अब 5 फरवरी को किसके पक्ष में मतदान होगा और कौन पार्टी जीतेगी ये 8 फरवरी को रिजल्ट आते ही साफ़ हो जाएगा. इस पूरे चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस मुख्य भूमिका में थी. अब सभी को बस जनता पर भरोसा रखकर अपनी मेहनत के फल का इंतजार करना है.

प्रचार ख़त्म होने के साथ ही राजनीतिक दलों ने कई वादे किए जो आमजन को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया. इसके साथ ही आरोप प्रत्यारोप का भी दौर चला. कभी न ख़त्म होने वाली लड़ाई की तरह तीनों प्रमुख पार्टियां लड़ी. आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर सीएम फेस घोषित करने का दबाव बनाया. इसके सतह ही कांग्रेस को बीजेपी की बी-टीम बता दिया. बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर यमुना की सफाई, शीश महल और शराब घोटाला और भ्रष्टाचार जैसे आरोप लगाए.

इसके अलावा कांग्रेस ने भी सत्ताधारी पार्टी आप और अरविंद केजरीवाल पर विकास, शीशमहल, यमुना जैसे मुद्दों पर घेरा. हालांकि 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर संयुक्त प्रत्याशी को मैदान में उतारा था. और विशेष बात ये है कि दोनों इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं. इस गठबंधन का हिस्सा रहने के कारण कई पार्टियों जैसे समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने कांग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी को सपोर्ट किया और उनके समर्थन में सभाएं की. स्टार प्रचारकों में अखिलेश यादव, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे लोग शामिल थे.

55 सीटें आएंगी: केजरीवाल

अब आखिरकार आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सभा के अंत में कहा कि मेरे अनुमान के मुताबिक, आम आदमी पार्टी की 55 सीट आ रही हैं, लेकिन अगर सभी वोट करने जाएं और अपने घर के पुरुषों को भी आम आदमी पार्टी को वोट देने के लिए समझाएं तो 60 से ज्यादा भी आ सकती हैं. इसका साफ़ और सीधा मतलब है कि इस बार आम आदमी पार्टी की सीटें कम हो रही है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में 2015 में आप को 67 सीटें मिली थीं और भाजपा तीन सीटें ही जीत पाई थी. वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में आप 62 सीटें जीती थी और भाजपा ने 8 सीटें.

क्या है सीट कम आने की वजह?

अगर आम आदमी पार्टी को 55 सीटें आती है तो लगभग 12 सीटें कम होगी और इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. सीट कम आने की वजह ये है कि कई मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया गया, जिसमें से 8 ने नाराजगी जताई और बीजेपी में शामिल हो गए. इस वजह से उन सीटों पर विधायकों और उनके समर्थकों के वोट बीजेपी के खाते में जाएंगे. इसके अलावा केजरीवाल ने खुद तीन चीजों को पूरा नहीं करने की बात कही थी, जो लोगों को समझाया गया कि केजरीवाल ने वादे पूरे नहीं किए.

जमीनी स्तर पर क्या है हाल?

इस बार जमीनी स्तर की बात की जाए तो पटपड़गंज में अवध ओझा की सीट फंसती दिख रही है. इसकी वजह ये है कि मनीष सिसौदिया ने अपनी सीट बदल ली. वहां के लोगों ने उन्हें पैराशूट कैंडिडेट बताया. ये तब की बात है जब बीजेपी ने अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की थी. बीजेपी ने रविंद्र नेगी को टिकट दिया जो वर्तमान में पार्षद हैं. पिछली बार भी मनीष सिसौदिया के खिलाफ नेगी को ही मैदान में उतारा गया था. 2020 में मात्र 3000 वोट के अंतर से सिसौदिया को जीत मिली थी.

तीन सीट पर मामला है त्रिशंकु

नई दिल्ली, कालकाजी और जंगपुरा सीट पर भी सभी की सीट फंसती दिख रही है. ये तीनों हॉट सीट हैं. जिसमें नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल, प्रवेश वर्मा और संदीप दीक्षित खड़े हैं. कालकाजी सीट से वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी, रमेश विधूड़ी और अलका लांबा मैदान में हैं. वहीं, जंगपुरा में भी मनीष सिसौदिया, तरविंदर सिंह मारवाह और फरहाद सूरी मैदान में हैं.

क्या कहता है सर्वे?

इस बार एग्जिट पोल जारी करने पर रोक लगा दी गई है. लेकिन सर्वे में एक्सपर्ट ओ मीटर ने कुछ दिन पहले बताया था कि आम आदमी पार्टी को 29-32, बीजेपी को 34-36 और कांग्रेस को 2-4 सीटें आएंगी. इसके अलावा सी वोटर ने बताया कि 49 प्रतिशत महिला आप और 43 प्रतिशत महिला बीजेपी के साथ है. साथ ही पुरुषों में 45 प्रतिशत आप और 45 प्रतिशत बीजेपी के साथ हैं.

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