बेनकाब होंगे केजरीवाल! फ्री की रेवड़ी ने बढ़ाया DTC का करोड़ों का घाटा, CAG की रिपोर्ट ने खोली पोल

CAG की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली परिवहन निगम (DTC) का घाटा 2015-16 में 25,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 60,750 करोड़ रुपये हो गया. पुरानी बसें, खराब रूट प्लानिंग और फ्री यात्रा योजनाओं ने वित्तीय संकट बढ़ा दिया. सरकार ने वित्तीय सहायता दी, लेकिन घाटा बना रहा. स्वचालित किराया प्रणाली और सीसीटीवी निगरानी प्रणाली भी अधूरी है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 4 Nov 2025 6:41 PM IST

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली परिवहन निगम (DTC) का घाटा 2015-16 में 25,300 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 तक बढ़कर 60,750 करोड़ रुपये हो गया. इसका मुख्य कारण पुरानी बसों की अधिक संख्या और कम बसों का संचालन है.

लंबे समय से लंबित रिपोर्ट को आज नई भाजपा सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह उन 14 रिपोर्टों में से एक है जिसे AAP सरकार ने विधानसभा में शेयर करने से इनकार कर दिया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि DTC की 45% बसें पुरानी हो चुकी हैं और इनके खराब होने की संभावना अधिक है, जिससे बेड़े का उपयोग औसत से भी कम हो गया है.

बसों की कमी और बढ़ता घाटा

CAG की रिपोर्ट के अनुसार, 2007 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने DTC को 11,000 बसों का बेड़ा रखने का आदेश दिया था, लेकिन 2012 में इसे घटाकर 5,500 कर दिया गया. मार्च 2022 तक DTC के पास केवल 3,937 बसें थीं, जिनमें से 1,770 बसें बहुत पुरानी हो चुकी थीं. 233 करोड़ रुपये उपलब्ध होने के बावजूद नई बसें नहीं खरीदी गईं, और सरकार FAME-I योजना के तहत मिलने वाले 49 करोड़ रुपये के केंद्रीय अनुदान का भी लाभ नहीं उठा पाई.

आधे रूट पर ही चल रही गाड़ियां

CAG ने DTC की रूट प्लानिंग में भी खामियां पाई हैं. निगम केवल 468 रूटों पर ही बसें चला रहा था, जबकि कुल 814 रूट तय किए गए थे. रिपोर्ट के अनुसार, DTC किसी भी रूट से अपनी लागत वसूल नहीं कर पा रहा था, जिससे 2015 से 2022 के बीच उसे 14,199 करोड़ रुपये का घाटा हुआ.

2009 से नहीं बढ़ा किराया

DTC का किराया 2009 से नहीं बढ़ा है, जिससे इसकी आय में कमी आई है. इसके अलावा, महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा देने से आर्थिक दबाव और बढ़ गया. 2015 से 2022 के बीच दिल्ली सरकार ने DTC को 13,381 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी, फिर भी 818 करोड़ रुपये का घाटा बना रहा.

केजरीवाल सरकार पर उठे सवाल

CAG ने DTC की स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली को अब तक लागू न करने और सीसीटीवी निगरानी प्रणाली के अधूरे रहने पर भी सवाल उठाए हैं. यह प्रोजेक्ट नौ साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हो सका. DTC की इस खराब स्थिति को लेकर विपक्षी दलों ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है. बीजेपी और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 2015 के उस वादे की याद दिलाई, जिसमें उन्होंने 10,000 नई बसें जोड़ने की बात कही थी.

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