अब AAP का क्या होगा जनाब! शराब घोटाले से लेकर शीशमहल तक... आज विधानसभा में होगा 'आप' का हिसाब
दिल्ली विधानसभा का सत्र 24 फरवरी से शुरू हो चुका है और 25 फरवरी को आम आदमी पार्टी की 14 CAG रिपोर्ट सदन में पेश की जाएगी, जिससे पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. जिनमें से सबसे पुरानी 2 अगस्त 2023 से सदन में रखे जाने के लिए लंबित है जो 500 दिनों से ज्यादा है. यह 31 मार्च, 2022 दिनों से ज्यादा है. यह मार्च 2022 को समाप्त वर्ष की राज्य वित्त लेखा परीक्षा रिपोर्ट है. अन्य लंबे समय से लंबित CAG ऑडिट रिपोर्ट दिल्ली के प्रमुख मुद्दों से संबंधित हैं, जिनमें शामिल हैं.

दिल्ली विधानसभा का सत्र 24 फरवरी से शुरू हो चुका है और 25 फरवरी को आम आदमी पार्टी की 14 CAG रिपोर्ट सदन में पेश की जाएगी, जिससे पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ट्वीट किया, 'आज मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ बैठक कर आगामी विधानसभा सत्र के एजेंडे पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने आगे लिखा, '25 फरवरी को विधानसभा के पटल पर CAG की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी.'
न्यूज 18 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, जिनमें से सबसे पुरानी 2 अगस्त 2023 से सदन में रखे जाने के लिए लंबित है जो 500 दिनों से ज्यादा है. यह 31 मार्च, 2022 दिनों से ज्यादा है. यह मार्च 2022 को समाप्त वर्ष की राज्य वित्त लेखा परीक्षा रिपोर्ट है. अन्य लंबे समय से लंबित CAG ऑडिट रिपोर्ट दिल्ली के प्रमुख मुद्दों से संबंधित हैं, जिनमें शामिल हैं.
CAG रिपोर्ट में क्या- क्या?
दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम और शमन, 2017-18 से 2021-22 के बीच दिल्ली में शराब का विनियमन और आपूर्ति (जब दिल्ली में कथित शराब घोटाला हुआ) शीश महल-सीएम आवास मुद्दा, सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं का ऑडिट, दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के कामकाज की समीक्षा, ये रिपोर्टें 25 फरवरी को विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत की जाएंगी, जिससे आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
CNN रिपोर्ट के मुताबिक, इस रिपोर्ट को एक बार पेश किए जाने के बाद दिल्ली विधानसभा की लोक लेखा समिति को भेजे जाने की उम्मीद हैं और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता इन बड़े घोटालों की अंतिम तक पहुंचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी वहीं विशेष जांच दल SIT की घोषणा भी कर सकती हैं. भाजपा नेता के मुताबिक, इन सभी 14 CAG रिपोर्टों को या तो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री या दिल्ली के वित्त मंत्री टेबल पर लंबित रखा गया था. वहीं यहां तक की दिल्ली हाईकोर्ट ने भी पूर्व सरकार की ओर से इन रिपोर्ट को विधानसभा के सदन पर देरी से करने के लिए फटकार लगा चूकी है.