किराना की दुकान में लगी भीषण आग, शटर बंद होने से अंदर ही रह गए कपल: दम घुटने से चली गई जान
दिल्ली के उत्तर-पश्चिम इलाके के टिकरी कलां में लेखराम पार्क के पास शुक्रवार रात करीब 9 बजे एक छोटी-सी किराने की दुकान में अचानक भयानक आग लग गई. दुकान चलाने वाले युवा दंपति विनीत (31) और उनकी पत्नी रेनू (29) उसी दुकान में मौजूद थे. दोनों मूल रूप से उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले के तिलहर गाँव के रहने वाले थे.;
दिल्ली के उत्तर-पश्चिम इलाके में टिकरी कलां के लेखराम पार्क के पास शुक्रवार रात एक बहुत दुखद हादसा हो गया. एक छोटी सी किराने की दुकान में अचानक आग लग गई. दुकान में मौजूद दुकानदार विनीत (31 साल) और उनकी पत्नी रेनू (29 साल) आग और धुएं में फंस गए. दोनों की दम घुटने से मौत हो गई. ये दोनों पति-पत्नी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के तिलहर गांव के रहने वाले थे. दिल्ली में वे एक स्कूल के पास वाली गली में छोटी सी जनरल स्टोर (किराने की दुकान) चलाते थे. दुकान ही उनका घर भी थी, यानी ऊपर का हिस्सा रहने के लिए और नीचे दुकान थी.
रात करीब 9 बजे किसी ने दिल्ली फायर सर्विस को फोन किया कि दुकान में आग लगी है. तुरंत दो दमकल गाड़ियां और 10 फायरमैन मौके पर पहुंचे. मुंडका पुलिस स्टेशन की टीम भी तुरंत आई. जब वे पहुंचे तो दुकान का शटर बंद था और बाहर से तेज धुआं और आग की लपटें दिख रही थी. पुलिस का शुरुआती अंदाजा है कि दुकान के काउंटर के पास बिजली के तार में शॉर्ट-सर्किट हुआ होगा. आग सबसे पहले वहीं लगी और फिर पास में रखे प्लास्टिक के पैकेट, थैलियां और दूसरा सामान होने की वजह से बहुत तेजी से फैल गई. कुछ ही सेकंड में पूरी दुकान धुएं से भर गई.
धुएं में सांस लेना हुआ मुश्किल
पुलिस वाले बताते हैं कि शायद विनीत और रेनू ने डर के मारे या आग को बाहर न फैलने देने के लिए अंदर से शटर नीचे कर लिया था. लेकिन इससे उनकी जान चली गई. शटर बंद होने की वजह से हवा बिल्कुल नहीं आई और धुआं इतना घना हो गया कि सांस लेना मुश्किल हो गया. जब तक बाहर के लोग और पुलिस वाले लकड़ी के लट्ठे और रॉड से शटर तोड़कर अंदर घुसे, तब तक दोनों बेहोश हो चुके थे. उन्हें फौरन बहादुरगढ़ के एक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने देखते ही मृत घोषित कर दिया. दुकान पूरी तरह जलकर राख हो चुकी थी. दीवारें काली पड़ गई थीं, बाहर बिस्कुट, चॉकलेट, चिप्स जैसा सारा सामान जलकर काला हो गया था.
बच्चे हुए अनाथ
इस हादसे में विनीत और रेनू अपने दो मासूम बेटों को अनाथ छोड़ गए. बड़ा बेटा आदित्य 10 साल का है और छोटा बेटा रूबल 9 साल का. अब दोनों बच्चों की देखभाल उनकी बीमार दादी शामप्यारी करेंगी. रेनू की बहन अलका उसी बिल्डिंग के ऊपरी मंजिल पर रहती हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें अचानक रोने-चिल्लाने की आवाज आई. वे दौड़कर नीचे आईं तो देखा दुकान में आग लगी है. उनके पति बृजेश सबसे पहले मदद करने दौड़े. उन्होंने लोहे की रॉड से शटर तोड़ने की कोशिश की, लेकिन उन्हें बिजली का करंट लग गया और वे गिर पड़े। अलका को भी चोट आई है. अलका बहुत दुखी हैं उनका कहना है, 'हमें समझ नहीं आ रहा कि पुलिस क्यों कह रही है कि शटर अंदर से बंद किया था. हमारा मानना है कि किसी और ने बाहर से शटर गिराया होगा.'
बीमार मां के लिए शुरू की थी दूकान
विनीत की मां शामप्यारी का दर्द सुनकर कोई भी रो पड़ेगा. वे बोलीं, 'विनीत मेरा इकलौता बेटा था. इस साल की शुरुआत में मेरी बेटी भी चल बसी. अब मेरे पास सिर्फ दो पोते रह गए. पिछले साल विनीत का एक्सीडेंट हुआ था, उसकी कमर और पैर में बहुत चोट आई थी. वह ठीक से चल भी नहीं पाता था.फैक्ट्री की नौकरी छोड़कर उसने अपनी बीमार मां के इलाज और बच्चों की पढ़ाई के लिए यह छोटी सी दुकान शुरू की थी. दोनों पति-पत्नी दिन-रात मेहनत करते थे, बस बच्चों के लिए अच्छी जिंदगी चाहते थे.'