राजद में आखिर चल क्या रहा है? पहले लालू यादव ने दिए सिंबल, फिर तेजस्वी ने छीन लिए- पढ़िए Inside Story

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजद ने कई उम्मीदवारों से सिंबल वापस ले लिए, जिससे तेजस्वी यादव और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग विवाद फिर उभर गया. लालू प्रसाद यादव द्वारा पहले बांटे गए सिंबल, तेजस्वी के पटना लौटने के बाद वापस लिए गए. मनेर, मटिहानी, परबत्ता और संदेश जैसी सीटों पर यह राजनीतिक उठापटक देखने को मिली. वीआईपी और मुकेश सहनी की मांगें, कांग्रेस की डिमांड और राजद की रणनीति बिहार की राजनीति में नए मोड़ ला रही हैं. एनडीए और महागठबंधन के समीकरण भी इस विवाद से प्रभावित हो सकते हैं.;

( Image Source:  ANI )
Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 14 Oct 2025 11:06 AM IST

बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल हर दिन गर्म होता जा रहा है. हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल बांटा था. मनेर से भाई वीरेंद्र, परबत्ता से डॉ. संजीव, मटिहानी से बोगो सिंह और संदेश से अरुण यादव के बेटे को यह मौका मिला. तस्वीरें भी सामने आईं और चुनावी हलकों में चर्चा शुरू हो गई. लेकिन जैसे ही तेजस्वी यादव दिल्ली से पटना लौटे, देर रात उम्मीदवारों को बुलाकर इन सिंबलों को वापस ले लिया गया. यह कदम राजनीतिक गलियारों में एक नई हलचल और अटकलों को जन्म दे गया.

सिंबल वापस लेने की कार्रवाई को कई राजनीतिक विश्लेषक रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं. माना जा रहा है कि तेजस्वी और राजद नेतृत्व अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए गठबंधन में दबाव बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही, कांग्रेस को कुछ सीटों पर समझौता करने के लिए मजबूर करना उनकी रणनीति का हिस्सा लग रहा है.

आखिर क्या है ये पूरा खेल?

सिंबल क्यों वापस लिए गए, यह स्पष्ट नहीं किया गया. राजद नेता अली अशरफ फातमी ने कहा कि किसी को सिंबल नहीं दिया गया. उनका दावा है कि सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें वायरल हो रही हैं, वे या तो 2020 के चुनाव की हैं या AI जेनरेटेड. मनेर विधायक भाई वीरेंद्र और मटिहानी के बोगो सिंह ने भी कहा कि वे केवल नेताओं से मुलाकात करने आए थे. लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे महागठबंधन में चल रही खींचतान का संकेत माना जा रहा है.

महागठबंधन में सीट शेयरिंग का पेच

बिहार विधानसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर अब तक सहमति नहीं बन पाई है. तेजस्वी यादव कांग्रेस को दी गई सीटों पर अड़े हुए हैं और उनका कहना है कि मौजूदा हालात में गठबंधन आगे नहीं बढ़ सकता. वहीं, कांग्रेस नेतृत्व, जिसमें राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं, बिहार कांग्रेस नेताओं से कड़े निर्देश दे रहा है. दिल्ली में हुई उच्च स्तरीय बैठक भी बेनतीजा रही.

तेजस्वी की सख्ती और पटना वापसी

बैठक के दौरान तेजस्वी ने स्पष्ट किया कि मौजूदा हालात में कोई समझौता नहीं हो सकता. इसके बाद उन्होंने 'देखेंगे और जवाब देंगे' कहते हुए बैठक से बाहर निकल गए और पटना लौट आए. यही कारण था कि राबड़ी देवी के आवास पर देर रात उम्मीदवारों के सिंबल वापस लिए गए. इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा का नया विषय तैयार कर दिया.

विवादित सीटें और पेचीदा समीकरण

सूत्रों के मुताबिक राजद और कांग्रेस के बीच पेच फंसा है. खासकर कहलगांव, नरकटियागंज, वारिसलीगंज, चैनपुर और बछवाड़ा विधानसभा सीटों को लेकर विवाद है. कहलगांव सीट कांग्रेस का ऐतिहासिक गढ़ रही है. नरकटियागंज मुस्लिम आबादी और सामाजिक समीकरण के कारण संवेदनशील है. वारिसलीगंज में 2020 में कांग्रेस के उम्मीदवार को करीबी अंतर से हार का सामना करना पड़ा था.

वीआईपी और मुकेश सहनी पर नजर

तेजस्वी यादव विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और मुकेश सहनी की गतिविधियों पर भी सतर्क हैं. आरजेडी सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी को लगता है कि सहनी विश्वसनीय नहीं हैं और अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं. आरजेडी ने अपनी 10 मजबूत सीटों पर पहले ही पार्टी का सिंबल जारी कर दिया था, जिससे विरोधी दलों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई.

राबड़ी आवास के बाहर राजनीतिक हलचल

देर रात राबड़ी देवी के आवास के बाहर राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जमा रही. चर्चा थी कि कांग्रेस से गठबंधन टूट सकता है या नया गठबंधन बन सकता है. राजद राज्यसभा सांसद संजय यादव और पशुपति पारस के भतीजे पूर्व सांसद प्रिंस पासवान भी इस दौरान मौजूद थे. इन घटनाओं ने राजनीतिक माहौल को और जटिल बना दिया.

तेजस्वी का सख्त रूख

इस घटनाक्रम से स्पष्ट हो गया कि तेजस्वी यादव महागठबंधन में अपनी सख्ती बरकरार रखेंगे. वे कांग्रेस और अन्य घटक दलों पर दबाव बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठा रहे हैं. यह स्पष्ट संदेश भी है कि बिहार विधानसभा चुनाव में राजद अपनी रणनीति को प्राथमिकता देगा और सीटों पर समझौता केवल उन्हीं शर्तों पर करेगा, जो पार्टी के लिए अनुकूल हों.

आगे की राह और संभावित गठबंधन

राजद और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग का अंतिम फॉर्मूला तय होने के बाद ही उम्मीदवारों की फाइनल लिस्ट घोषित होगी. फिलहाल राजनीतिक परिस्थितियां संवेदनशील हैं और हर दल अपने फायदे और रणनीति के अनुसार कदम उठा रहा है. संभावना है कि नई रणनीति और समन्वय के बाद गठबंधन में स्थिरता आए, लेकिन इसके लिए समय और धैर्य की जरूरत है.

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