लालू राबड़ी की वजह से नीतीश कुमार को मिला सीएम बनने का मौका, बिहार का भगवान ही जाने क्‍या होगा?

पूर्व IPS अमिताभ कुमार दास ने बिहार की राजनीति को लेकर नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने उन्हें "मौकापरस्त पलटूराम मुख्यमंत्री" बताया और कहा कि लालू-राबड़ी की कमजोर मीडिया रणनीति ने नीतीश को राजनीति में जगह दी. उन्होंने शराबबंदी को नाकाम बताया और आरोप लगाया कि नीतीश सरकार ने शराब माफियाओं को संरक्षण दिया. दास ने खुद को जबरिया रिटायर किए जाने का कारण नीतीश की नीतियों का विरोध बताया.;

‘जनता दल यूनाइटेड (JDU) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव व, सबे की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के जंगलराज ने बिहार में, नीतीश कुमार को मौकापरस्त पलटूराम चीफ मिनिस्टर कहिए या फिर मास्टरमाइंड-घाघ पॉलिटीशियन बनने का मौका दिया. अगर लालू यादव राबड़ी देवी का मीडिया मैनेजमेंट नीतीश कुमार की ही तरह टाइट और विश्वासी होता तो, नीतीश कुमार कभी भी बिहार की राजनीति में आज की सी हालत में आने काबिल ही नहीं बन पाते.’

यह कहना है 1994 बैच के बिहार कैडर के पूर्व आईपीएस और नीतीश कुमार की हुकूमत द्वारा, साल 2018 में जबरिया ही रिटायर करवा डाले गए पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (IG Bihar Police Amitabh Kumar Das) अमिताभ कुमार दास का. अमिताभ कुमार दास के मुताबिक, ‘लालू-राबड़ी देवी के राज में जिस तरह शहाबुद्दीन जैसे माफिया डॉन पैदा हुए. उससे भी कहीं बुरे हाल में शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार की सरकार है. ऐसी सरकार जिसने शराबबंदी लागू करवा के न केवल जनता के साथ धोखा किया अपितु, अपने ही सरकारी खजाने को भी 20 हजार करोड़ से ज्यादा सालाना राजस्व से भी दूर कर दिया.’

अब शराब माफिया-नेता-मंत्रियों की मौज

पटना में मौजूद 1994 बैच के बिहार राज्य पुलिस अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्राप्त महानिरीक्षक शनिवार को, नई दिल्ली में मौजूद स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन से विशेष बात कर रहे थे. उनसे पूछा गया कि क्राइम लालू यादव और राबड़ी देवी के वक्त में ज्यादा था या फिर नीतीश राज में? सवाल के जवाब में पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास बोले, “क्राइम किसी की भी सत्ता में कम नहीं था. तब (लालू राबड़ी की सत्ता में) दिन दहाड़े भाड़े पर कत्ल, अपहरण, जमीन-मकान कब्जाने का काला कारोबार, अवैध हथियार निर्माण और उसकी खरीद-फरोख्त हुआ करती थी. तो अब मौकापरस्त पलटूराम चीफ मिनिस्टर नीतीश कुमार के वक्त में शराब माफिया और नेता-मंत्री मौज कर रहे हैं.”

नीतीश कुमार के विरोध का खामियाजा

अपनी बात जारी रखते हुए पूर्व आईपीएस और बिहार पुलिस से जबरिया बाहर किए जा चुके अमिताभ कुमार दास कहते हैं, “नीतीश कुमार जब भारत के रेलमंत्री थे. तब उन्होंने कई माफियाओं को रेलवे के टेंडर-ठेके दिलवाने का अभियान छेड़ा हुआ था. जब बात मुझ तक पहुंची तो बिहार में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रहते हुए मैंने, नीतीश कुमार की उन ओछी कहिए या घटिया हरकतों का खुला विरोध कर दिया था. उसी का नतीजा है कि मैं आज पुलिस सेवा से जबरिया बाहर किए जाने के विरुद्ध कैट (CAT) में अपनी हकदारी का मुकदमा लड़ रहा हूं. और मौकापरस्त नीतीश कुमार, कभी इस गोद में कभी उस गोद में बैठकर बिहार के चीफ मिनिस्टर के सिंहासन पर बैठे झूल रहे हैं.”

मौकापरस्त इंसान किसी का सगा नहीं होता

बिहार में राजीनीति, शराब माफिया, अपराध और अपराधी के गठजोड़ पर बिहार के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक और नीतीश कुमार से सीधी टक्कर लेने वाले अमिताभ कुमार दास ने स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में कहा, “जिस राज्य का मुख्यमंत्री ही नीतीश कुमार की तरह मतलबपरस्त हो. जो अपनी कुर्सी बचाने के लिए हर स्तर से नीचे गिरने को हर वक्त एक पांव पर खड़ा रहता हो. जो मुख्यमंत्री राज्य सरकार के ही सरकारी खजाने में आने वाली सालाना इनकम का रास्ता राज्य में शराबबंदी लागू करवा कर बंद कर देता हो. जो राज्य में शराब माफिया शराब तस्करी को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देने के लिए जाना जाता हो. ऐसा कोई इंसान या किसी सूबे का मुख्यमंत्री अपनी जनता और अपनी सरकार अपने राज्य के प्रति ईमानदार कैसे हो सकता है?”

'मैं सूबे में शराब-माफिया, शराब उद्योग नहीं पनपाता'

आप कल तक बिहार पुलिस के अफसर थे. अब जबरिया रिटायर करवा डाले गए हैं. आपने आमजन की तरह और खाकी वर्दी में अफसरी दोनों के सुख-दुख का अहसास किया है. आपमें और नेता में क्या फर्क है? पूछे जाने पर पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अमिताभ कुमार दास बोले, “मैं कुछ भी करता मगर खाकी वर्दी पहनकर बिहार में कम से कम शराब माफिया को दबंग बनाने के रास्ते तो नहीं बनाता. अपनी और अपनों के सुख के लिए मैं मौजूदा मुख्यमंत्री की तरह शराब के अवैध-काले कारोबार को उद्योग के रूप में तो अपने पुलिस जुरिस्डिक्शन में नहीं पनपने देता. मेरा जमीर वह सब कतई गवारा नहीं करता, जो बिहार की राजनीति, सत्ता में जिम्मेदार ऊंचे पदों पर बैठे कुछ लोग खुलकर कर रहे हैं.”

हां, लालू राबड़ी अपने साथ बिहार भी ले डूबे!

“जहां तक बात लालू राबड़ी की कमियों और खूबियों की करूं तो, अगर उन दोनों का मीडिया मैनेजमेंट, नीतीश कुमार की ही तरह मजबूत होता. वे दोनों (लालू राबड़ी) अपने सिंहासन अपने राज्य पर खुद ही अपनी पैनी नजर रखते, तो शायद इस जन्म में कभी भी नीतीश कुमार जैसे किसी मौका-मतलबपरस्त को बिहार के सिंहासन पर बैठकर, सत्ता सुख भोगने का कभी भी मौका मिलता ही नहीं. राबड़ी और लालू यादव की कुछ जाने अनजाने की लापरवाहियों ने मौकापरस्त नीतीश कुमार को राजनीति के सिंहासन तक पहुंचाने में ‘तुरुप का पत्ता’ सा काम किया है. यह मैं ही नहीं कह रहा हूं, यह तो बिहार और उससे बाहर की दुनिया देख-समझ रही है. इस सबसे लालू राबड़ी का उतना नहीं बिगड़ा जितना ज्यादा नुकसान बिहार का हो गया है. और सबसे ज्यादा नुकसान में रही है बिहार की जनता और यहां का युवा.”

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