IAS पत्नी चंपा विश्वास! लालूराज में जिनके साथ नौकरानी-सास का भी हुआ था रेप - 2 नवंबर 1995 की वो मनहूस तारीख
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तेज राजनीतिक हलचल के बीच लालू-राबड़ी के बेटे तेज प्रताप यादव की अनुष्का यादव संग रिलेशनशिप ने भूचाल ला दिया. लालू ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया. विपक्ष ने लालू के पुराने कार्यकाल में हुए चर्चित चंपा विश्वास गैंगरेप केस को उठाकर हमला बोला, जिसमें एक आईएएस की पत्नी, सास और नौकरानी से दो साल तक रेप हुआ था. तब लालू मुख्यमंत्री थे और आरोप विधायक हेमलता यादव के बेटे पर लगे थे.

बिहार में आगामी कुछ महीनों में ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. लिहाजा उन चुनावों में ताल ठोंक कर अपनी अपनी ‘विजय’ हासिल करने के लिए राजनेताओं और उनके पीछे पीछे लटके रहने वाले ‘छुटभय्यों’ ने एक दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर दिया है. भले ही अभी चुनाव में क्यों न 4-5 महीने का वक्त बाकी हो. आमने सामने की टक्कर में दो ही नाम हैं. मौजूदा मुख्यमंत्री नितीश कुमार और लालू यादव-राबड़ी देवी. प्रशांत किशोर भी इन आने वाले चुनावों में नितीश-लालू के बीच ‘घुसपैठ’ करके कुछ हैरतंगेज कर डालने की ‘जोड़तोड़’ में जुटे हैं. नितीश कुमार जैसे उस मंझे हुए पॉलिटिशियन के सामने प्रशांत किशोर क्या कर पाएंगे, जिसने लालू-राबड़ी को ही एक कोठी के भीतर समेट दिया? यह भी भविष्य के गर्त में ही है.
हां, इस सबके बीच हालिया दिनों में बिहार की राजनीति में तूफान ला देने वाले, लालू-राबड़ी देवी के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव अपनी ‘रंगीनमिजाजी’ को लेकर फिर तूफान लाए खड़े हैं. पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक लिए बिना ही, किसी अनुष्का यादव से अपनी ‘रिलेशनशिप’ को उजागर करके. मनमौजी पुत्र तेज प्रताप यादव की ‘रंगीनमिजाजी’ से अपने परिवार का भट्टा बैठता देख, लालू यादव ने तुरंत पासा फेंका. और अपनी रंगीनमिजाजी को लेकर चर्चाओं में बने रहे के आदी हो चुके, बेटे तेज प्रताप यादव को छह साल के लिए पार्टी से बाहर निकालने की घोषणा कर दी. न केवल पार्टी से ही निकाल बाहर किया अपितु, परिवार से भी बाहर का रास्ता दिखाने जैसा तुरुप का पत्ता भी लालू-राबड़ी ने चला है.
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हाईकोर्ट ने बताया था जंगलराज
यह वही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव हैं जिनकी खुद की एक टांग अक्सर जेल में, दूसरी कोर्ट में फंसी रहती है. यह वही लालू प्रसाद यादव हैं जिनके “मुख्यमंत्रित्व-काल” को पटना हाईकोर्ट ने कभी ‘जंगलराज’ करार दिया था. यह वही पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव हैं जिनके बिहार का चीफ मिनिस्टर रहते हुए, 1990 के दशक में देश के एक आईएएस अफसर की पत्नी चंपा विश्वास, उनकी नौकरानी और मां का दो साल तक रेप होता रहा था.
चंपा विश्वास केस के बहाने विपक्ष साध रहा निशाना
न केवल राज्य के आईएएस की पत्नी चंपा विश्वास का रेप, बल्कि उनकी मां और घरेलू नौकरानी का भी महीनों रेप हुआ था. इन्हीं लालू प्रसाद यादव के चीफ मिनिस्टर काल में राज्य में फैले ‘जंगलराज’ में. जो लालू प्रसाद यादव आज अपने बेटे तेज प्रताप यादव की अनुष्का यादव के साथ ‘रिलेशनशिप’ का भांडा फूटने पर, जमाने भर को ज्ञान बांट रहे हैं. अब लालू और राबड़ी देवी के राजनीतिक धुर-विरोधी पूछ रहे हैं कि, ‘लालू यादव और राबड़ी देवी जब जब खुद राज्य के मुख्यमंत्री रहे तब-तब, उन्होंने सूबे में कानून और शांति व्यवस्था के साथ क्यों नंगा नाच होने दिया था? कैसे राज्य के ही एक आईएएस की बीवी, मां और उसकी नौकरानी का दो साल तक होता रहा सरकारी फ्लैट के भीतर ही सामूहिक बलात्कार? तब क्यों नहीं मुख्यमंत्री रहते हुए इन्हीं लालू यादव को क्यों न्याय-व्यवस्था मजबूत करने की याद नहीं आई?’
क्या कहते हैं इस वारदात को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार
इस बारे में स्टेट मिरर हिंदी से बात करते हुए पटना में मौजूद और चंपा विश्वास रेप केस कवर कर चुके वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र मिश्रा बताते हैं, “दरअसल दुनिया में राजनीति कहीं भी हो. उसमें अपना-अपना स्वार्थ सबका छिपा होता है. बिहार दुनिया का मगर ऐसा बदनाम राज्य साबित हुआ जहां, एक आईएएस की पत्नी, नौकरानी और उनकी मां का ही रेप होता रहा. आरोपी भी सत्तासीन पार्टी की नेता हेमलता का बेटा मृत्युंजय यादव निकलता है. मुख्यमंत्री खुद लालू प्रसाद यादव थे. जिनका पुत्र तेज प्रताप यादव आज, अपनी पत्नी के रहते हुए किसी अन्य लड़की के साथ रिलेशनशिप में होने की बात खुद कबूलता है. दरअसल अब राष्ट्रीय जनता दल यानी लालू राबड़ी और उनकी पार्टी का हाल-बेहाल है. दोनों की समझ में ही नहीं आ रहा है कि सूबे में पिट चुकी पार्टी को आगे कैसे बढ़ाना है?
लालू की पुलिस चंपा रेप में कुंडली मारे बैठी रही
वरिष्ठ अनुभवी पत्रकार कौशलेंद्र मिश्रा अपनी बात जारी रखते हुए कहते हैं कि, चंपा विश्वास रेप कांड ने भले ही दुनिया हिला दी हो. मगर तब की लालू प्रसाद यादव की सूबे की सरकार की चमड़ी पर कोई असर नहीं पड़ा था. पुलिस भी चंपा विश्वास तिहरे रेप कांड में कुंडली मारकर जांच पड़ताल और केस फाइलों पर बैठ गई थी. अब लालू यादव का जब वक्त बुरा आया तो, मुझे लगता है कि अब वे (लालू प्रसाद यादव) खुद से कोई फैसला नहीं ले रहे हैं. हर फैसले में चेहरा उनका सामने लाकर सजा दिया जाता है. और हर फैसले के पीछे उनका चारो-ओर तितर-बितर फैला पड़ा परिवार होता है.
लालू की लगाम परिवार के हाथों में है
क्या आप यह कहना चाहते हैं कि बीमारियों से जकड़े, जेल कोर्ट कचहरियों के चक्करों में फंसे, लालू यादव को परिवार के बाकी खुद ही तितर-बितर हुए पड़े सदस्यों ने चारों ओर से घेर लिया है. उनकी (लालू यादव)की लगाम पीछे से किसी और के हाथ में हैं? पूछे जाने पर वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र मिश्रा ने कहा, “हां, मुझे ते 35 साल के पत्रकारिता के अनुभव से यही लगता है. वरना लालू यादव आजकल जिस तरह के ऊट-पटांग बयानबाजी कर रहे हैं या जो बे-सिर-पैर के फैसले ले रहे हैं? वो फैसले लालू प्रसाद यादव जैसे मंझे हुए नेता के तो नहीं हो सकते हैं. मुझे तो लालू यादव के इन फैसलों के पीछे परिवार के ही किसी नौसिखिए का दिमाग लगता है. जो लालू प्रसाद यादव से फैसले करवा उनकी और राष्ट्रीय जनता दल की जग-हंसाई करवाने पर आमादा है.”
2 नवंबर 1995 की मनहूस तारीख
बिहार के समाज कल्याण विभाग के सचिव और देश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डी डी विश्वास की पत्नी चंपा विश्वास, उनकी सास (आईएएस की मां) और घरेलू नौकरानी के साथ दो साल तक जब बलात्कार होता रहा. तब यही लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री होकर भी खामोश रहे थे. आखिर क्यों? उस शर्मनाक कांड की शुरुआत दरअसल हुई थी 2 नवंबर 1995 को जब, आईएएस डी डी विश्वास नव-विवाहित पत्नी चंपा के साथ, पटना के बेली रोड स्थित सरकारी बंगले में रहने पहुंचे थे. उन दिनों डीडी विश्वास जिस बिहार समाज कल्याण विकास विभाग के सचिव थे, उसकी अध्यक्ष थी लालू यादव की करीबी और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की खास विधायक हेमलता यादव.
30 साल पुरानी शर्मसार करने वाली वो वारदात
अब से 30 साल पहले दुनिया को शर्मशार कर डालने वाले बिहार के, चंपा विश्वास रेप कांड की रिपोर्टिंग कर चुके बिहार के वरिष्ठ खोजी पत्रकार कौशलेंद्र मिश्र कहते हैं, “चंपा विश्वास सिर्फ एक गली कूचे ही अदना सी औरत नहीं थी. वह राज्य कैडर के एक आईएएस की पत्नी भी थी. ऐसे में उनके (चंपा विश्वास) संग-संग उनकी सास और नौकरानी के साथ भी दो साल तक रेप की घटना ने इन्हीं लालू प्रसाद यादव और उनकी हुकूमत को कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं छोड़ा था. लेकिन लालू प्रसाद यादव और उनके राज्य में कानून व्यवस्था देख रही तब की बिहार पुलिस पर चंपा विश्वास कांड का कोई असर नहीं हुआ. अगर असर हुआ होता तो फिर पटना हाईकोर्ट को भला क्यों कहना पड़ता कि राज्य में जंगलराज है.
बिगड़ैल बेटे को पूरी तरह शह देती रही विधायक मां
दरअसल कहानी तब शुरू होती है जब आईएएस अधिकारी डीडी विश्वास सपत्नीक हेमलता यादव के बराबर वाले बेली रोड स्थित बंगले में रहने पहुंच गए. उन दिनों हेमलता यादव का बेटा मृत्युंजय यादव दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में पढ़ रहा था. उसकी नजर आईएएस पत्नी चंपा विश्वास पर पड़ गई. 7 सितंबर 1995 को चंपा विश्वास को हेमलता यादव फोन करके बहाने से अपने घर बुला लेती हैं. उसके बाद उस कमरे में हेमलता चंपा को जबरदस्ती धक्का देकर भेज देती हैं, जिसके अंदर हेमलता का बिगड़ैल बेटा मृत्युंजय यादव पहले से छिपकर बैठा था. चंपा विश्वास के साथ जब अमानवीयता का नंगा नाच हेमलता के घर में चल रहा था, तब वहां लालू प्रसाद यादव की पार्टी के अन्य नेता भी पहले से ही मौजूद थे.”
अब से 30 साल पहले बिहार की राजनीति को शर्मशार करने वाले और दुनिया की राजनीतिक में भूचाल ले देने वाले उस बदनाम रेप कांड की रिपोर्टिंग कर चुके वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र मिश्र कहते हैं, “7 सितंबर 1995 को आईएएस की पत्नी की इज्जत तार-तार करने का सिलसिला 2 साल तक चलता रहा. इस बीच चंपा विश्वास गर्भवती हुई तो चुपचाप उनका गर्भपात करवा दिया गया. न केवल चंपा विश्वास, बल्कि उनकी भतीजी, नौकरानी और सास के साथ भी यही घिनौना कृत्य अंजाम दिया जाता रहा. घटना की रिपोर्ट लिखवाने जब खुद आईएएस अधिकारी डीडी विश्वास थाने गए, तो वहीं उनकी रिपोर्ट ही नहीं लिखी गई.”
लालू यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए चंपा विश्वास रेप कांड का खुलासा कभी नहीं होता. अगर साल 1997 में (घटना के करीब दो साल बाद) भारतीय जनता पार्टी के दबंग नेता सुशील मोदी (अब दिवंगत) ने प्रेस-कांफ्रेंस करके उसका खुद खुलासा करने की हिम्मत न जुटाई होती. बातचीत के दौरान बताते हैं, उस कांड की रिपोर्टिंग कर चुके पत्रकार कौशलेंद्र मिश्र. मुकदमा कोर्ट में पहुंचता तो जहां बलात्कारी बेटे मृत्युंजय यादव को 10 साल और उसकी मां हेमलता यादव को 3 साल की सजा सुनाई जाती है.