जयचंदों ने तोड़ दिया परिवार! लालू यादव के घर में कब-कब हुई बगावत? तेजस्वी के सलाहकारों ने कर दिया पूरा खेला
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने जहां राज्य की राजनीति को नए सिरे से परिभाषित किया, वहीं लालू प्रसाद यादव के परिवार के भीतर वर्षों से simmer कर रहा विवाद अचानक विस्फोट बनकर सामने आ गया. RJD की हार के ठीक बाद रोहिणी आचार्य ने राजनीति से संन्यास और परिवार से दूरी का जो ऐलान किया, उसने पूरे बिहार की सियासत को हिलाकर रख दिया. पिता की जान बचाने के लिए अपनी किडनी देने वाली रोहिणी का यह कदम बता देता है कि परिवार में अंदरूनी खींचतान किस हद तक बढ़ चुकी है. अब सबसे बड़ा सवाल यही है—RJD का भविष्य किसके हाथों में जाएगा और क्या परिवार की टूटी डोर कभी फिर जुड़ पाएगी?;
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने जहां राज्य की राजनीति का पूरा परिदृश्य बदल दिया, वहीं दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव के परिवार में एक बार फिर बवंडर उठ गया है. सत्ता की जंग और सियासी वारिस को लेकर चल रही अनदेखी खींचतान इस कदर बढ़ गई है कि अब इसका असर परिवार के सबसे वफादार और चुपचाप रहने वाले चेहरों पर भी दिखने लगा है. नतीजों के अगले ही दिन लालू परिवार की सबसे चर्चित बेटी और पिता को अपनी किडनी दान करके देशभर में चर्चा में आईं रोहिणी आचार्य ने राजनीति से संन्यास और परिवार से दूरी का ऐलान कर सबको झकझोर दिया.
रोहिणी का यह कदम कोई अचानक लिया फैसला नहीं, बल्कि उसी लंबे संघर्ष का विस्फोट है जो लालू परिवार वर्षों से दबे-छुपे झेलता रहा है. कभी तेजस्वी–तेज प्रताप की वारिस की लड़ाई, कभी निजी विवाद, कभी राजनीतिक बगावत और अब रोहिणी का परिवार से संबंध तोड़ना… यह सब मिलकर उस सियासी साम्राज्य की कमजोर होती नींव दिखाता है, जिसने दशकों तक बिहार की राजनीति को झकझोरा. आइए समझते हैं लालू परिवार की इस टूटी हुई कड़ी की पूरी कहानी, अलग-अलग एंगल से.
लालू परिवार में कब कब हुए कलह?
1. विरासत की जंग की शुरुआत (2017)
लालू यादव के जेल जाते ही पार्टी की बागडोर तेजस्वी को दी गई. इससे बड़े बेटे तेज प्रताप को बड़ा झटका लगा—तभी पहली दरार पड़ी. तेज प्रताप खुलेआम खुद को "लालू का असली वारिस" बताते रहे.
2. निजी जिंदगी से राजनीतिक तूफ़ान (2018–2019)
शादी के सिर्फ 5 महीने बाद तेज प्रताप का तलाक विवाद सामने आया. उन्होंने आरोप लगाया, “परिवार मेरी बात नहीं सुनता, घुटन होती है.” 2019 में RJD से बगावत कर “लालू-राबड़ी मोर्चा” बनाया. जहानाबाद में निर्दलीय सपोर्ट कर RJD उम्मीदवार की हार की वजह बने.
3. ऐश्वर्या राय विवाद: घर की अंदरूनी लड़ाई सड़क पर (2019)
ऐश्वर्या राय राबड़ी आवास से रोती हुई बाहर निकलीं—देशभर में सुर्खियाँ. राबड़ी देवी और मीसा पर गंभीर आरोप—दुर्व्यवहार, प्रताड़ना, खाना न देने तक. पहली बार परिवार की कलह खुलेआम जनता के सामने आई.
4. अपने ही प्रदेश अध्यक्ष से भिड़े तेज प्रताप (2021)
जगदानंद सिंह द्वारा एक करीबी की सस्पेंशन पर तेज प्रताप भड़के. खुलेआम बयान दिया—“यह RJD संविधान के खिलाफ है.” तेजस्वी ने जगदानंद का साथ दिया, परिवार में दूरी और बढ़ गई.
5. पार्टी और घर से निकाला और 'जयचंद' का इल्ज़ाम (2022–2025)
तेज प्रताप ने बार-बार आरोप लगाया—उन्हें हाशिये पर धकेला जा रहा है. तेजस्वी के प्रमुख सहयोगी संजय यादव पर साज़िश का आरोप लगाया. मई 2025: विवादित फेसबुक पोस्ट के बाद लालू ने तेज प्रताप को 6 साल के लिए पार्टी और घर दोनों से निष्कासित कर दिया. तेज प्रताप ने कहा—“सब कुछ संजय यादव के इशारे पर हुआ.”
6. रोहिणी का विद्रोह—संजय यादव पर हमला (सितंबर 2025)
रोहिणी ने X पर लालू, तेजस्वी, मीसा और तेज प्रताप को अनफॉलो किया. संजय यादव को “घर का जयचंद” बताया. रोहिणी जो हमेशा परिवार और तेजस्वी के पक्ष में दिखीं पहली बार बगावत में उतरीं.
7. चुनाव हार के बाद परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान (नवंबर 2025)
बिहार चुनाव में RJD की हार के बाद विवाद चरम पर पहुंचा. रोहिणी ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया, “मुझे परिवार से बाहर धकेला जा रहा है. लोग जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं.” उन्होंने राजनीति छोड़ने और परिवार से रिश्ता खत्म करने की घोषणा कर दी. यह लालू परिवार की अब तक की सबसे बड़ी सार्वजनिक फूट मानी जा रही है.
RJD का सियासी भविष्य किसके हाथ?
तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच दूरी पहले से मौजूद है. रोहिणी के हटने से लालू परिवार का संतुलन टूट गया है. पार्टी में सलाहकारों का दबदबा परिवार को और तोड़ रहा है. राजनीतिक विश्लेषक इसे "RJD की सबसे कमजोर स्थिति" बता रहे हैं.