कन्हैया की ‘क्रांति’ पर कांग्रेस ने लगा दिया फुल स्टॉप! बछवारा या मटिहानी से लड़ना चाहते थे चुनाव

बिहार कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार की विधानसभा चुनाव 2025 में दावेदारी पर पार्टी ने कोई गौर नहीं फरमाया. पार्टी के इस रुख से उन्हें झटका लगा है. बताया जा रहा है कि वे बछवारा या मटिहानी सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन टिकट न मिलने से अब वे चुनाव प्रचार से भी दूरी बनाए हुए हैं. साथ ही अलग-थलग भी दिखाई देते हैं. पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस उनकी बिहार चुनाव में नहीं चली.;

( Image Source:  Kanhaiya Kumar Facebook )
Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 18 Oct 2025 1:09 PM IST

बिहार कांग्रेस में इस बार फिर कन्हैया कुमार की अनदेखी के शिकार हुए हैं. विधानसभा चुनाव में पार्टी ने न तो उन्हें प्रत्याशी बनाया और न ही प्रचार अभियान में कोई अहम भूमिका दी है. जबकि पूर्व जेएनयू छात्र नेता कन्हैया कुमार बछवारा या मटिहानी सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. मगर कांग्रेस नेतृत्व ने उनकी दावेदारी पर कोई विचार नहीं किया.

इस बार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस ने अपने कई वरिष्ठ और युवा नेताओं को टिकट दिए हैं, लेकिन कन्हैया कुमार का नाम सूची से गायब रहा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कन्हैया बेगूसराय जिले के बछवारा या मटिहानी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे.

पार्टी ने राय लेना भी जरूरी नहीं समझा

हालांकि, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उनकी दावेदारी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. बताया जा रहा है कि टिकट वितरण के दौरान उनकी राय तक नहीं ली गई. यही वजह है कि कन्हैया कुमार ने बीते कुछ महीनों में राज्य में सीमित सक्रियता दिखाई थी. पार्टी के नेताओं का कहना है कि कन्हैया कुमार टिकट न मिलने से निराश चल रहे हैं.

खुद की यात्रा को सफल बनाने में रहे थे विफल

इससे पहले राहुल गांधी के 'भारत जोड़ो' और 'वोटर अधिकार यात्रा' में भी पिछली बार की तरह सक्रिय नहीं रहे. अब टिकट न मिलने से वे चुनाव प्रचार से भी पूरी तरह दूर हैं. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व फिलहाल संगठन में नए चेहरों को प्राथमिकता दे रहा है, जबकि कन्हैया अब 'हाई-कमान' यानी राहुल गांधी की नजरों से उतर चुके हैं. वोटर अधिकार यात्रा से पहले कन्हैया कुमार ने खुद की भी यात्रा बिहार में निकाली थी, जो पूरी तरह से फ्लॉप शो साबित हुई.

टिकट न मिलना कन्हैया के लिए झटका

 

कन्हैया कुमार इससे पहले दो बार बिहार से और एक दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें किसी भी चुनाव में कामयाबी नहीं मिली. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उनके लिए यह स्थिति कन्हैया कुमार के राजनीतिक करियर के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है. पार्टी में उनकी स्थिति अब 'गैर-प्रभावशाली' मानी जा रही है. जबकि वे कभी बिहार कांग्रेस का युवा चेहरा बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे थे.

बेगूसराय है बिहार का 'स्टालिनग्राद'

कभी बेगूसराय ( Begusarai assembly seats ) को बिहार का स्टालिनग्राद कहा जाता था. समय के साथ जिले से वामपंथ की लहर गायब हो चुकी है. वैचारिक खूनी संघर्ष की जगह अपराध ने ले ली है. फिर से इसे बिहार का क्राइम कैपिटल कहा जाने लगा है.

बेगूसराय में विधानसभा की सात सीटें हैं. पिछले चुनाव ( Bihar assembly election 2015 result ) में आरजेडी-जेडीयू महागठबंधन ( RJD JDU led Mahagathbandhan) ने विजयी पताका फहराया था. इस बार बीजेपी ( BJP) और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का पुराना गठबंधन मैदान में है. 2010 में NDA ने सभी सात सीटों पर स्वीप किया था. कन्हैया कुमार भले ही फायर ब्रांड लेफ्ट लीडर माने जाते हैं लेकिन चुनावी लहर में उनका नाम कहीं नहीं है.

कन्हैया कुमार ने बछवाड़ा और मटिहानी से चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की थी. इनमें बछवाड़ा सीट विधायक रामदेव राय (कांग्रेस) ने 2020 में 73,983 के दम पर जीत हासिल की थी. दूसरे स्थान पर अरविंद सिंह (लोजपा) 37,052 और तीसरे स्थान पर अवधेश राय (सीपीआई ) को 28,539 वोट मिला था.बेगूसराय जिले की मटिहानी विधानसभा ( Matihani assembly seat result) सीट पर विधायक नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह ( Bogo Singh) (जेडीयू) को जीत मिली थी.

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