बिहार चुनाव में कूदे चंद्रशेखर रावण और सुपर 30 वाले आनंद, जानें कौन किसका बिगाड़ेगा खेल?
बिहार विधानसभा चुनाव में अब बाहरी चेहरों की भी एंट्री हो चुकी है. चंद्रशेखर आजाद 'रावण' 16 जुलाई को एलान किया कि उनकी आजाद समाज पार्टी 243 में से 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इसके उलट सुपर 30 वाले आनंद कुमार ने पर्दे के पीछे से बिहार की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने अपने भाई प्रणव कुमार को आरजेडी में शामिल कराया है. बताया जा रहा है कि प्रणव पटना की किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. सवाल उठता है कि बिहार की राजनीति के नए चेहरे किस गठबंधन का समीकरण बिगाड़ेंगे?;
बिहार की राजनीति में अचानक से कुछ नए चेहरे सुर्खियों में आ गए हैं. हालांकि, ये चेहरे नए नहीं हैं, लेकिन राजनीति में उनकी एंट्री नई है. दलित राजनीति के नए पोस्टर बॉय और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर 'रावण' की आजाद समाज पार्टी इस बार बिहार में चुनाव लड़ेगी. दूसरी तरफ शिक्षा के क्षेत्र से निकले सुपर 30 के आनंद कुमार हैं, जो युवाओं और मध्यमवर्ग में बड़ी पहचान रखते हैं. दोनों का बिहार राजनीति में सीधे दखल देने से चर्चा है कि क्या ये कोई छाप छोड़ पाएंगे या फिर आया राम और गया राम साबित होंगे. या फिर दोनों की तैयारी दलित वोट बैंक में सेंधमारी की है.
चंद्रशेखर 'रावण' की पहचान एक उग्र दलित नेता के रूप में रही है. उन्होंने भीम आर्मी के जरिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें मजबूत की, लेकिन अब उनकी नजर बिहार के दलित वोट बैंक पर है. यूपी में उनका अभी तक कोई खास जनाधार नहीं बन पाया है बल्कि उनकी यूपी में एंट्री के बाद से सपा और बसपा का नुकसान ही हुआ. इसका सीधा लाभ उठाने में बीजेपी सफल रही.
'रावण' लगा पाएंगे दलित मतदाताओं में सेंध
रावण की नजर पासवान समुदाय के मतदाताओं को आकर्षित करने की है, जिस पर लोक जनशक्ति रामविलास पासवान की पकड़ पहले से मजबूर हैं. इसके बावजूद वो अपना असर दिखाने में कामयाब हुए तो (RJD, LJP और JDU) को नुकसान हो सकता है. हालांकि, अभी दावे के साथ ऐसा नहीं कहा जा सकता.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चंद्रशेखर आजाद की पार्टी बिहार में रविदास समाज के वोट बैंक को साधने की कोशिश करेगी, जो पारंपरिक रूप से मायावती और भाकपा (माले) के साथ रहा है. आजाद समाज पार्टी रविदास वोटरों के कुछ हिस्से को भी खींचने में सफल होती है, तो इससे महागठबंधन, विशेष रूप से राजद (RJD) को नुकसान हो सकता है. उनका मानना है कि अगर चंद्रशेखर आजाद हर सीट पर 500 से 1000 वोट भी काट लेते हैं, तो कई सीटों के चुनावी समीकरण बदल सकते हैं.
क्या सुपर 30 आनंद कितना भुना पाएंगे लोकप्रियता?
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने अपने भाई प्रणव कुमार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल करा दिया है. बताया जा रहा है कि आनंद सीधे राजनीति में प्रवेश न कर भाई के सहारे अपने मिशन को आरजेडी के लिए हासिल करने का प्रयास करेंगे. प्रणव कुमार पटना की किसी विधानसभा सीट से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं.
सियासी जानकारों का कहना है कि आनंद कुमार का प्रभाव शहरी मध्यमवर्ग और युवा वोटरों पर पड़ सकता है, लेकिन जाति विशेष तक ही रहने की उम्मीद है. अगर वो कुछ कर पाए तो उससे BJP और JDU को कहीं-कहीं नुकसान होने की आशंका है.