सीटों के बंटवारे से पहले इन नेताओं के बेटों को टिकट देने का चिराग ने बनाया मन, जानें रेस में आगे कौन?
बिहार विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी के बड़े नेताओं के बच्चों के लिए पसंदीदा पार्टी बनकर उभरी है. एलजेपीआर में उम्मीदवारों के टिकट अंतिम समय में तय होते हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों की मानें तो प्रदेश के दूसरे दलों के कुछ बड़े नेताओं के बेटे और बेटियों को टिकट देने का मन चिराग पासवान ने बना लिया है. ऐसे नेताओं का टिकट तय है. सीट का नाम तय होना बाकी है.

बिहार में जब भी चुनाव होता है कि बड़े नेता से लेकर कार्यकर्ता तक टिकट की मांग करते हैं. अलग-अलग पार्टियों के बड़े-बड़े नेता कार्यकर्ताओं को तो धैर्य रखने की नसीहत देते हैं, लेकिन जब उनके अपने बच्चे टिकट दिलाने की जिद करने लगते हैं तो वे खुद की पार्टी से टिकट न मिलने पर दूसरे पार्टी से टिकट दिलवा देते हैं. बिहार के ऐसे ही बड़े नेताओं के बेटे और बेटियों के लिए लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास पसंदीदा पार्टी है. यही वजह है कि एलजेपीआर में पर्दे के पीछे से यह चर्चा है कि आरजेडी, बीजपी और जेडीयू के बड़े नेताओं के किस-किस को टिकट मिलना तय है. इस तरह से टिकट पाने वालों में सहयोग या विरोधी कोई भी हो सकता है.
दरअसल, लोक जनशक्ति पार्टी में टिकट अंतिम समय में ही तय होते हैं. यहां पर उम्मीदवार टिकट बंटवारे के समय ही तय होते हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में जेडीयू नेता और मंत्री डॉ. अशोक चौधीरी की बेटी शांभवी को लोजपाआर से टिकट मिला था. माहेश्वर हजारे के पुत्र सन्नी हजारी भी पार्टी से टिकट न मिलने पर दूसरे दल के टिकट पर चुनाव लड़े. जबकि दोनों जेडीयू के नेताओं के संतान थे.
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 कई नेता हैं जिनकी पहली पसंद है एलजेपीआर है. पहला नाम है पूर्व मंत्री और बीजेपी विनोद नारायण झा बेटे विभय झा का. उन्हें मधुबनी जिले के बाबूबरही, मधुबनी या बेनीपट्टी से चुनाव लड़वाया जा सकता है. दूसरा नाम बीजेपी नेता और कभी लालू यादव के करीबी रहे राम कृपाल के बेटे अभिमन्यु यादव हैं. अभिमन्यु यादव को अगर बीजेपी की ओर से टिकट नहीं मिला तो वह फतुआ से एलजेपीआर के टिकट पर फतुहा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. वीणा सिंह की बेटी कोमल सिंह भी गायघाट से लोजपा टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं. उनकी मां वीणा सिंह और दिनेश बाबू लगातार चिराग पासवान से संपर्क में है।
सबसे दिलचस्प खबर यह है कि लालू यादव के साले सुभाष यादव के पुत्र रणधीर यादव आरजेडी से टिकट न मिलने की संभावनाओं को देखते हुए पहले से एलजेपीआर में शामिल हो गए थे. अब उनकी चिराग की पार्टी से चुनाव लड़ना तय है. जेडीयू के एक और नेता आनंद मोहन बेटे चेतन आनंद भी एलजेपीआर से शिवहर से चुनाव लड़ सकते हैं. बिहार के वरिष्ठ नेता मदन साहनी अपने बेटे के टिकट के लिए प्रयासरत हैं. बिहार एलजेपीआर के प्रवक्ता रंजन सिंह भी चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनके लिए मुश्किल यह है कि जिस शिवहर सीट से वो चुनाव लड़ना चाहते हैं, उस पर लवली आनंद अपने बेटे के लिए चिराग से टिकट मांग रहे हैं.
हां, मैं चुनाव लड़ना चाहता हूं - विभय झा
विभय झा का कहना है कि ये बात सही है कि मैं चुनाव लड़ना चाहता हूं. मेरी दावेदारी भी मजबूत है. मेरे जीवन का सियासी ध्येय भी 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' और मिथलांचल में विकास को बढ़ावा दिलाना है. पलायन की गति को रोकर लोगों को खुद की जमीन पर काम के लिए अनुकूल माहौल बनाना है. इस मकसद को पूरा करने के लिए पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ही के साथ संघर्ष कर रहा हूं. बिहार को लेकर उनका जो सपना है, वो हर बिहार को गौरवान्वित करता है. एलेजपीआर को लोग दलितों की पार्टी मानते हैं, लेकिन मुझे भी टिकट मिलने की चर्चा है. जबकि मैं, ब्राह्मण हूं. लोगों को समझने की जरूरत है. चिराग जी ऐसे युवा नेता हैं जो जाति में विश्वास नहीं करते. ऐसे नेता के साथ काम करना और बिहार को मजबूत कौन नहीं करना
चाहेगा? मैं, भी वही कर रहा हूं.
कौन, कहां से लड़ेगा चुनाव, राष्ट्रीय अध्यक्ष लेंगे अंतिम फैसला - रंजन सिंह
बिहार लोक जनशक्ति पार्टी के प्रवक्ता रंजन सिंह का कहना है कि अभी एनडीए में शामिल दलों में ही यह तय नहीं है कि कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, किन-किन सीटों पर किस पार्टी को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा. इसलिए, अभी यह कैसे कहा जा सकता है कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा. जहां तक पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की बात है तो जो राजनीति में सक्रिय होते हैं, वो चुनाव लड़ना चाहेगा. यह स्वाभाविक है. एलेजपीआर से इस बार कौन-कौन चुनाव लड़ेगा? यह सवाल अहम है, इसका जवाब पार्टी के राष्ट्रीय चिराग पासवान ही बता सकते हैं. वहीं अंतिम फैसला लेंगे. वो जिसे चाहें टिकट दे सकते हैं. इसमें जेडीयू, आरजेडी या बीजेपी के सियासी नेताओं के पुत्र या पुत्री भी हो सकते हैं. पार्टी के लिए काम करने पर नेता और कार्यकर्ता भी हो सकते हैं.