वोटर अधिकार यात्रा से Congress को मिली संजीवनी, RJD को टेंशन, क्या बदलेगा महागठबंधन का इक्वेशन?

बिहार की राजनीति में कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा ने नया मोड़ ला दिया है. इस यात्रा से कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर नई ताकत मिलने के संकेत हैं. इसका कांग्रेस कितना लाभ उठा पाएगी, यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता, लेकिन महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी RJD के लिए यह टेंशन का सबब बन रही है. अब बड़ा सवाल है कि इस यात्रा से महागठबंधन का समीकरण कितना बदलेगा?;

Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 4 Sept 2025 2:19 PM IST

बिहार की सियासत महागठबंधन में शामिल दलों के लिए एक बार फिर बदलाव के दौर से गुजर रहा है. राहुल गांधी की एसआईआर (SIR) के खिलाफ 'वोटर अधिकार यात्रा' से कांग्रेस को संजीवनी मिली है. दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव और तेजस्वी यादव को अपने परंपरागत वोट बैंक पर इसके असर की चिंता सताने लगी है. यह यात्रा महज कांग्रेस के लिए संगठन विस्तार का जरिया नहीं बल्कि महागठबंधन के भीतर ताकत दिखाने का भी संकेत है.

दरअसल, कांग्रेस लंबे समय से बिहार की राजनीति में हाशिये पर थी, लेकिन वोटर अधिकार यात्रा के जरिए पार्टी ने गांव-गांव और पंचायत स्तर पर पैठ बनाने की कोशिश की है, इस अभियान से कांग्रेस को युवाओं, दलित-ओबीसी और मुसलमानों मतदाताओं से जोड़ने का भी काम किया है.

अब क्या करेंगे तेजस्वी यादव?

बिहार में महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी RJD के लिए कांग्रेस की यह बढ़ती सक्रियता टेंशन की वजह है. ऐसा इसलिए कि दलित—ओबीसी और मुसलमान वोट दोनों पार्टी के कॉमन हैं. ऐसे में कांग्रेस के प्रति रूझान बढ़ा तो आरजेडी को इसका नुकसान होगा. इसके संकेत लोकसभा चुनाव से मिलने लगे थे. मुस्लिम मतदाताओं के पास बिहार में आरजेडी के अलावा और विकल्प नहीं था. अब उसे वोटर अधिकार यात्रा से विकल्प मिल गया है.

कितना बदलेगा समीकरण?

लालू-तेजस्वी यादव की राजनीति हमेशा से MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण पर आधारित रही है, लेकिन कांग्रेस की सक्रियता से मुस्लिम वोटों में सेंध लगने का डर अब उन्हें सताने लगा है. इस मामले में आरजेडी को जेडीयू और बीजेपी नुकसान नहीं पहुंचा पाई. कांग्रेस सहयोगी पार्टी, फिर भी आरजेडी को नुकसान होने के संकेत हैं, इसे लालू यादव और तेजस्वी के लिए गंभीरता लेना होगा.

आरजेडी को कांग्रेस की कितनी जरूरत?

अब तक महागठबंधन में RJD का पलड़ा भारी रहा है, लेकिन 1990 के बाद से बिहार में आरजेडी की पिछलग्गू पार्टी की तरह थी, पर इस बार वैसा नहीं है. वोटर अधिकार यात्रा उसे बिहार में आरजेडी के समकक्ष ला खड़ कर सकती है. इसका लाभ कांग्रेस जरूर उठाना चाहेगी. कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि सीट बंटवारे के समय कांग्रेस इस आधार पर ज्यादा हिस्सेदारी की मांग कर सकती है. यानी RJD को अब अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करना होगा.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक राहुल गांधी की इस यात्रा से कांग्रेस ने दरभंगा, मधुबनी और अररिया जैसे आरजेडी के गढ़ सहित कई मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में भी बढ़त हासिल हुई है. राज्य में कांग्रेस का पतन 1989 के भागलपुर दंगों से निपटने में कथित विफलताओं के बाद शुरू हुआ, जिसके कारण मुस्लिम मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग जनता दल और बाद में आरजेडी से जुड़ गया. 1990 में अपने पहले कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बनने के बाद लालू राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय के प्रमुख नेता बन गए. अब राहुल गांधी द्वारा वोटर अधिकार यात्रा शुरू करने से पहले जिस कांग्रेस को महागठबंधन की 'कमज़ोर कड़ी' कहा जाता था, वही अब भारी भीड़ जुटाने का जरिया बन गया है.

1990 के बाद कांग्रेस का हाल

बिहार कांग्रेस की हालत 1990 विधानसभा चुनाव के बाद से कमजोर हुई. या फिर यूं कहें कि कांग्रेस धीरे—धीरे बिहार की राजनीति से जमीनी आधार खो चुकी थी. लालू प्रसाद यादव का सत्ता में आने से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का ही हुआ बिहार विधानसभा चुनाव 2000 कांग्रेस को सिर्फ 23 सीटें मिलीं थी. इसके बाद पार्टी लालू के नेतृत्व वाले आरजेडी में शामिल हो गई. 2010 में भी कांग्रेस चुनाव लड़ी, जिसका नुकसान उसे उठाना पड़ा. साल 2015 के चुनावों में देश की सबसे पुरानी पार्टी का प्रदर्शन बेहतर हुआ जब जेडीयू सुप्रीमो और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हुए. उस समय कांग्रेस ने 27 सीटें हासिल करने में सफल हुई.

2020 में हार के लिए कांग्रेस को माना जिम्मेदार

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जब नीतीश एनडीए में वापस आए तब कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी और केवल 19 सीटें ही जीत पाई. जबकि उसकी सहयोगी आरजेडी 144 सीटों पर चुनाव लड़कर 75 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल हुई और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. एनडीए 125 सीटें जीतकर सत्ता में लौटी, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं. महागठबंधन की इस मामूली हार के लिए कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन को जिम्मेदार माना गया. इस कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव लड़ने का इरादा जाहिर कर चुकी है.राहुल गांधी इस बार चुनाव में इंटरेस्ट ले रहे है.

तेजस्वी का नहीं रहा क्रेज, राहुल के प्रति बढ़ा रुझान - अनवर हुसैन

बिहार आरजेडी के नेता अनवर हुसैन का कहना है कि 1990 में कांग्रेस के कमजोर होने के बाद मुस्लिम वोटर आरजेडी के लिए फ्यूल बन गए. नीतीश कुमार इसके विकल्प बन सकते थे, लेकिन बीजेपी की ओर उनके झुकाव की वजह से नहीं बन पाए. इसके बावजूद बिहार में नीतीश ने मुसलमानों के लिए जो किया, वो आरजेडी कभी नहीं कर पाई. तेजस्वी यादव का प्रति क्रेज मुस्लिम मतदाताओं को साल 2020 के चुनाव में था, जो अब नहीं है.

आरजेडी ने यादवों के साथ मुसलमानों को भी सशक्त बनाने का वादा किया था, लेकिन पिछले 35 वर्षों में आरजेडी नेताओं ने केवल यादव समुदाय का भला किया. इसके बावजूद मुसलमान आरजेडी से इसलिए जुड़े रहे कि उन्हें और कोई विकल्प नहीं अभी तक नहीं मिला था. मुसलमान मतदाता बीजेपी को वोट नहीं दे सकते.

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को पहले की तुलना में मजबूती मिलने और यूपी में अखिलेश यादव के उदय ने मुसलमानों में आस जगाई है. उसी का नतीजा है कि वोटर अधिकार यात्रा के जरिए राहुल गांधी ने मुस्लिम, दलित और कुछ अन्य मतदाताओं को खुद से जोड़ा है. ऐसे में मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस के पक्ष में जा सकती है.

चूंकि बीजेपी इस समय बिहार में डिफेंसिव मूड में है. बीजेपी का चुनाव आयोग के पक्ष में आना भी प्रदेश के मतदाताओं को अच्छा नहीं लगा है. वोट अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी के सामने तेजस्वी और अखिलेश दोनों का कद छोटा पड़ता दिखाई दिया. आने वाले दिनों में यात्रा का असर कांग्रेस के लिए साउथ टू नॉर्थ देखा जा रहा है.

'कांग्रेस के निशाने पर सिर्फ बीजेपी है'

जहां तक बात महागठबंधन में सीटों के इक्वेशन पर फर्क पड़ने की है, तो कांग्रेस कोशिश करेगी कि उसे 80 से 90 सीट चुनाव लड़ने के लिए मिले. इससे कम भी सीट मिलने पर राहुल गांधी चुनाव आरजेडी के साथ मिलकर लड़ेंगे. ऐसा इसलिए कि राहुल के टारगेट पर सिर्फ बीजेपी और आरएसएस है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार चुनाव में एनडीए की ओर से चुनाव प्रचार की कमान संभालने वाले हैं. ऐसे में कांग्रेस जोड़ लगाएगी तो उसे चुनावी लाभ मिल सकता है.

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