नीतीश कुमार ने जिस महिला डॉक्टर का हिजाब हटाया था, क्या वह नौकरी ज्वाइन करेंगी? जानें नुसरत परवीन की पूरी कहानी

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़े एक सरकारी कार्यक्रम के बाद हिजाब को लेकर उठा विवाद अब नए मोड़ पर पहुंच गया है. यूनानी चिकित्सा की पोस्टग्रेजुएट छात्रा और प्रशिक्षु डॉक्टर नुसरत परवीन, जिनका हिजाब कथित तौर पर कार्यक्रम के दौरान हटाया गया था, अब पटना सदर अस्पताल में नौकरी ज्वाइन करने को तैयार हैं. नुसरत की दोस्त के दावे के बाद मामला एक बार फिर राजनीतिक और सामाजिक बहस के केंद्र में आ गया है.;

Bihar Hijab Row, Nitish Kumar Controversy, Nusrat Parveen: बिहार की राजनीति और सामाजिक विमर्श में इन दिनों एक बार फिर हिजाब को लेकर बहस तेज हो गई है. विवाद की जड़ 15 दिसंबर को पटना में आयोजित एक नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम से जुड़ी है, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में एक युवा मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने से जुड़ा घटनाक्रम सामने आया. इसके बाद मामला तेजी से सुर्खियों में आ गया.

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इस पूरे विवाद के केंद्र में यूनानी चिकित्सा की पोस्टग्रेजुएट छात्रा और प्रशिक्षु डॉक्टर नुसरत परवीन हैं. अब इस मामले में नया मोड़ तब आया है, जब नुसरत की करीबी दोस्त बिलकिस ने दावा किया है कि नुसरत परवीन गुरुवार को पटना के सदर अस्पताल में अपनी नौकरी ज्वाइन करने को तैयार हैं.


तिब्बी कॉलेज से जुड़ा है नुसरत का शैक्षणिक सफर

नुसरत परवीन ने पटना के कड़मकुआं इलाके में स्थित सरकारी तिब्बी कॉलेज एवं अस्पताल से यूनानी चिकित्सा की पढ़ाई की है. यह संस्थान बिहार में यूनानी चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है. यहां बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी (BUMS) के साथ-साथ पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रम भी संचालित किए जाते हैं.


कॉलेज से संबद्ध अस्पताल में आम लोगों को किफायती दरों पर ओपीडी और भर्ती की सुविधा दी जाती है. नुसरत ने अपनी ट्रेनिंग के दौरान इसी अस्पताल में प्रैक्टिस भी की है. वह फिलहाल यूनानी चिकित्सा की पोस्टग्रेजुएट छात्रा हैं.


शिक्षकों ने बताया अनुशासित और होनहार

नुसरत के शिक्षकों के अनुसार, वह पढ़ाई में अनुशासित, नियमित और मेहनती छात्रा रही हैं. उनका अकादमिक रिकॉर्ड मजबूत रहा है और मेडिकल प्रैक्टिस के दौरान भी उनका व्यवहार पेशेवर बताया जाता है.


15 दिसंबर के कार्यक्रम से शुरू हुआ विवाद

पूरा विवाद 15 दिसंबर को हुए नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम के बाद सामने आया. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एक युवा मुस्लिम महिला डॉक्टर के बीच हुई बातचीत और हिजाब से जुड़ा दृश्य सामने आने के बाद सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में सवाल उठने लगे. देखते ही देखते यह मामला धार्मिक पहचान, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्रशासनिक मर्यादा से जुड़ी बहस में बदल गया.


अब जॉइनिंग पर टिकी हैं सबकी नजरें

हिजाब विवाद के बाद से नुसरत परवीन को लेकर राजनीतिक और सामाजिक चर्चाएं लगातार जारी हैं. अब उनकी दोस्त बिलकिस के इस दावे के बाद कि नुसरत पटना सदर अस्पताल में जॉइन करने जा रही हैं, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आगे प्रशासन और सरकार का रुख क्या रहता है और यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है.


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