Bihar Polls: ओवैसी बढ़ाने जा रहे राजद की टेंशन, 30 हजार से ज्यादा मुस्लिम मतदाता बदलेंगे मुंगेर विधानसभा की तकदीर
Bihar Polls 2025: मुंगेर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के मैदान में उतरने से आरजेडी की परंपरागत मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण में सेंध पड़ सकती है. करीब 30 हजार से ज्यादा मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. जबकि भूमिहार, यादव और कोइरी वोट बैंक इस सीट की दिशा तय करेंगे.;
Bihar Elections 2025: बिहार चुनाव के बीच मुंगेर विधानसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने यहां से उम्मीदवार उतार दिया है. इससे आरजेडी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. यह सीट पहले से ही जातीय रूप से जटिल मानी जाती है, जहां मुस्लिम और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. अब ओवैसी की एंट्री ने इस सीट पर समीकरण को हिलाकर रख दिया है. तेजस्वी यादव के लिए यहां से सीट निकालना मुश्किल भरा हो गया है.
All India Majlis‑e Ittehadul Muslimeen (एआईएमआईएम) ने मुंगेर विधानसभा क्षेत्र से डॉ. मुनाजिर हसन को अपने प्रत्याशी के रूप में घोषित किया है. मुंगेर विधानसभा क्षेत्र (मंगेर सीट) से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का प्रत्याशी कुमार प्रणय हैं. आरजेडी ने यहां से इस बार भी अविनाश विद्यार्थी को ही टिकट दिया है. अविनाश पांच साल पहले यहां चुनाव हार गए थे, लेकिन मामूली अंतर से हारे थे.
पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को 45.74 फीसदी, जबकि उसके निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 44.99 फीसदी वोट मिले थे. इस बार देखना होगा कि आरजेडी पिछली बार की हार का बदला ले पाती है या फिर भाजपा अपने विजयी रथ को आगे बढ़ाती है.
पिछले चुनाव के आंकड़े
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के चुनाव में मुंगेर सीट से BJP के प्रणव कुमार ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने RJD उम्मीदवार अविनाश कुमार विद्यार्थी को 1,244 वोटों (लगभग 0.80% अंतर) से हराया था. मुंगेर विधानसभा सीट पर कुल 162140 वोट डाले गए थे. मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,28,159 पंजीकृत मतदाता हैं. 2015 आरजेडी जीती थी.
मुंगेर सीट पारंपरिक रूप से आरजेडी और जेडीयू के बीच झूलती रही है. पिछली बार एनडीए को यहां बढ़त मिली थी, लेकिन मुस्लिम और यादव वोट बैंक के बूते आरजेडी लगातार कड़ी टक्कर देती रही है. इस बार ओवैसी की AIMIM के मैदान में उतरने से समीकरण बदल सकते हैं.
ओवैसी फैक्टर से क्यों बढ़ी आरजेडी की टेंशन
मुंगेर में करीब 30,000 से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं, जो अब तक बड़ी संख्या में आरजेडी के साथ रहे हैं. AIMIM के मैदान में उतरने से यह वोट बैंक बंट सकता है. अगर 5 से 10 प्रतिशत मुस्लिम वोट भी ओवैसी की तरफ खिसके, तो आरजेडी की जीत की संभावना पर पानी फिर सकता है.
मुंगेर सीट का जातीय समीकरण
मुंगेर विधानसभा का जातीय और सामाजिक ढांचा बेहद पेचीदा है. लगभग सभी प्रमुख जातियां यहां प्रभाव रखती हैं. मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में यादव 18%, भूमिहार 15%, मुस्लिम 17%, कोइरी-कुशवाहा 10%, राजपूत 9%, ब्राह्मण 5%, दलित/महालदार (पासवान, रविदास आदि) 12%, ओबीसी व अति पिछड़ा वर्ग 14%, स्विंग वोटर पर जीत और हार निर्भर है. इस सीट पर मुस्लिम और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, उनका वोट आरजेडी को मिलता है. जबकि भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, ओबीसी, ईबीसी, कोइरी-कुशवाहा, वोटर बीजेपी, जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी के समर्थक हैं. ऐसे में औवैसी द्वारा मुंगेर से प्रत्याशी उतारने आरजेडी की जीत काफी चुनौती वाला हो गया है.
विकास और क्राइम अहम मुद्दा
मुंगेर शहर के मतदाता विकास और अपराध नियंत्रण को बड़ा मुद्दा मानते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में जातीय समीकरण निर्णायक रहते हैं. ओवैसी का प्रवेश इस बार समीकरणों में अप्रत्याशित बदलाव ला सकता है. खासकर मुस्लिम युवाओं में AIMIM का प्रभाव बढ़ रहा है.
मुंगेर विधानसभा का इतिहास
मुंगेर विधानसभा क्षेत्र 1957 में स्थापित हुआ और यह सामान्य श्रेणी की सीट के रूप में जाना जाता है. मुंगेर में अब तक कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू ने तीन-तीन बार चुनाव जीते हैं. जबकि जनता दल ने दो बार चुनाव जीता है. 2020 के चुनाव में बीजेपी ने आरजेडी को हराकर जीत हासिल की थी. इससे पहले 1969 में भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी रवीश चंद्र वर्मा ने चुनाव जीतकर विधायक बने थे.