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जाग गया भाई का प्रेम! क्या तेज प्रताप के लिए तेजस्वी ने सच में सेट कर दी अपने कैंडिडेट की फील्डिंग? जानें जमीनी हकीकत

बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है. खबर है कि तेजस्वी यादव अपने बड़े भाई तेजप्रताप यादव को महुआ सीट से जिताने की पूरी तैयारी में हैं. इसके पीछे दो वजह बताए जा रहे हैं. एक भाई का प्रेम तो दूसरी बात यह है कि अगर तेजस्वी महुआ से बड़े भाई जिताते हैं तो राधोपुर में तेज प्रताप यादव भी तेजस्वी पर मेहरबान हो सकते हैं.

जाग गया भाई का प्रेम! क्या तेज प्रताप के लिए तेजस्वी ने सच में सेट कर दी अपने कैंडिडेट की फील्डिंग? जानें जमीनी हकीकत
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( Image Source:  ANI )

बिहार की सियासत में यादव परिवार पिछले तीन दशक से ज्यादा समय से सुर्खियों है. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे (तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव) एक बार फिर एकजुट होकर चुनावी मैदान में एक-दूसरे का समर्थन करते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि, तेजस्वी आरजेडी से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं परिवार से निकाले जाने के कारण तेज प्रताप जनशक्ति जनता दल से चुनाव लड़ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक राजनीति के इस खेल में दोनों अपनी अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए पर्दे के पीछे से एक-दूसरे को सपोर्ट करने का गेम खेल दिया है.

सूत्रों में मुताबिक तय यह हुआ है तेजस्वी महुआ में तेज प्रताप को जिताएंगे और राघोपुर में बड़ा भाई अपने छोटे भाई तेजस्वी खुला विरोध नहीं करेंगे. इसके बाद तेजस्वी ने अपने बड़े भाई को महुआ विधानसभा सीट से जिताने की ठान ली है. हालांकि, इस बात की किसी ने पुष्टि नहीं की है. न ही आरजेडी प्रत्याशी मुकेश रौशन को इसकी जानकारी है.

दरअसल, वैशाली जिले की महुआ सीट सुर्खियों में है. चर्चा इसलिए कि यह सीट आरजेडी की परंपरागत सीट है, लेकिन इस बार यहां से लालू परिवार से बागी हुए उन्हीं के बेटे तेज प्रताप यादव भी चुनाव लड़ रहे हैं. इसी के साथ अनुष्का यादव का प्रकरण भी फिर से चर्चा में आ गया है. इस सीट पर आरजेडी उम्मीदवार मुकेश रौशन, तेज प्रताप यादव और एलजेपी रामविलास के प्रत्याशी संजय सिंह के बीच है. संजय साल 2020 में तीसरे नंबर पर रहे थे. जबकि सिटिंग विधायक मुकेश रौशन हैं. संजय सिंह की दावेदारी भी इस सीट से मजबूत मानी जा रही है.

लालू परिवार का सियासी धर्म संकट यह है कि मुकेश रौशन आरजेडी के टिकट पर चुनावी मैदान हैं, वहीं तेजप्रताप यादव खुद की पार्टी के टिकट पर उन्हें चुनाव टक्कर रहे हैं. जबकि संजय सिंह एनडीए का समर्थन हासिल है. खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव में हाजीपुर सीट के तहत महुआ विधानसभा क्षेत्र में एलजेपी रामविलास को 25 हजार से ज्यादा वोटों से बढ़त मिली थी. ऐसी स्थिति में त्रिकोणीय मुकाबला इस सीट पर होना तय है. पहली बार चुनाव मैदान में उतरी प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने भी इस सीट से इंद्रजीत प्रधान को टिकट दिया है. वो भी दमखम से चुनाव लड़ रहे हैं.

महुआ में किस किसके बीच मुकाबला

ऐसे में तेजप्रताप को हार से बचाने के लिए तेजस्वी यादव ने पर्दे के पीछे से मोर्चा संभाल लिया है. महुआ के सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी से पार्टी के कार्यकर्ताओं से तेज प्रताप में पक्ष में वोटिंग कराने को कहा है. जबकि आरजेडी प्रत्याशी सगे भाई के बीच जागे इस प्रेम से मुकेश रौशन बेखबर हैं. यानी आरजेडी से भले ही टिकट सिटिंग विधायक रौशन को मिला है, पर उनके साथ चुनाव प्रचार में होते हुए भी लोग वोट तेजप्रताप के लिए करेंगे. बता दें कि महुआ निर्वाचन क्षेत्र में बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 6 नवंबर को वोटिंग होगी.

सियासी समीकरण

पांच साल पहले महुआ सीट से आरजेडी प्रत्याशी मुकेश रौशन यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. रौशन को 62,747 वोट (36.48 प्रतिशत वोट शेयर) मिले और उन्होंने जेडी-यू की आशमा परवीन को हराया था, जिन्होंने 48,977 वोट (28.47 प्रतिशत वोट शेयर) हासिल किए. तीसरे स्थान पर एलजेपी नेता संजय कुमार सिंह रहे, जिन्हें 25,198 वोट (14.65 फीसदी वोट शेयर) मिले थे.

वैशाली जिले के कारोबारी रुपेश कुमार का कहना है कि तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के बीच पर्दे के पीछे क्या खेल हो रहा है, यह तो मैं नहीं बता सकता है, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि महुआ से मुकेश रौशन और तेजप्रताप यादव दोनों चुनाव हार सकते हैं. आरजेडी के सिटिंग विधायक हर हाल में चुनाव जीतना चाहते हैं. तेजप्रताप भी इसी प्रयास में हैं. तेजप्रताप इससे पहले जब यहां विधायक चुने गए थे तो उन्होंने हाजीपुर से मेडिकल कॉलेज प्रस्ताव रद्द कराकर महुआ में बनवाया था. अपने उस कार्यकाल में तेजप्रताप ने कुछ सड़कों का भी निर्माण कराया था. इसके अलावे भी उन्होंने कुछ और काम कराए थे. यही वजह है कि उन्हें अपनी जीत पर भरोसा है.

वैशाली के महुआ सीट पर मुस्लिम और यादव समाज की कुल अनुमानित आबादी लगभग 35 फीसदी है. मुस्लिम और यादव आरजेडी के कोर वोटर माने जाते हैं. अनुमानों के मुताबिक महु्आ में अनुसूचित जाति की आबादी भी 21 फीसदी के आसपास है, जिसमें पासवान और रविदास समाज संख्या सबसे ज्यादा है.

ऐसा है तो हमारी तरफ से जीत की बधाई : रंजन सिंह

इस बार समीकरण उल्टा है. लालू परिवार का दो गुट एक-दूसरे को काटने में लगा है. ऐसे में मुस्लिम और यादव का वोट बंट जाएगा. इसका लाभ संजय सिंह को मिलेगा और वो चुनाव यहां से जीत सकते हैं. बिहार एलजेपी के प्रवक्ता रंजन सिंह का कहना है कि इस बार महुआ से पार्टी प्रत्याशी की जीत तय है. यह पुछे जाने पर कि आरजेडी के लोग ही तेज प्रताप को जिताएंगे, इस पर तंजिया लहजे में उन्होंने बताया कि अगर ऐसा है तो लालू परिवार को मेरे तरफ से भी जीत की बधाई. साथ ही ये भी कहा कि अगर ऐसा ही था तो परिवार में जो सियासी दरार ही नहीं होती. पार्टी का प्रत्याशी उतारकर भीतरघात करना आसान नहीं होता. इसका नुकसान भी हो सकता है.

महुआ सीट का इतिहास

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में महुआ सीट पर राजद नेता मुकेश कुमार रौशन ने जीत हासिल की थी. इससे पहले 2015: तेज प्रताप यादव (राजद), 2010: रवीन्द्र राय (जेडी-यू), 2005: शिवचंद्र राम (राजद), 2005: शिवचंद्र राम (राजद), 2000: दसई चौधरी (राजद), 1995: मुंशीलाल पासवान (जनता दल), 1990: मुंशीलाल पासवान (जनता दल), 1985: दसई चौधरी (लोकदल), 1980: दसई चौधरी (जनता पार्टी), 1977: फुदेनी प्रसाद (जनता पार्टी), 1962: मीरा देवी (कांग्रेस), 1957: शिवनंदन राम (कांग्रेस), 1957: बिंदेश्वरी प्रसाद वर्मा (कांग्रेस), 1952: फुदेनी प्रसाद (सोशलिस्ट पार्टी), 1952: वीरचंद पटेल (कांग्रेस).

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