पांच साल पुराना वो किस्सा जिसके चलते सफाई देते फिर रहे जीतन राम मांझी, बोले - ‘सच कुछ और है’

बिहार की राजनीति में केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी सुर्खियों में हैं. उन पर ‘वोट चोरी’ के आरोप लगे हैं. आरोप है कि उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में पार्टी के प्रत्याशी की चुनावी जीत हासिल करने में मदद की थी. यह मामला प्रकाश में आने के बाद से विपक्ष उन पर हमलावर है और वह मीडिया में इसको लेकर सफाई देते फिर रहे हैं.;

( Image Source:  ANI )
Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 20 Dec 2025 5:31 PM IST

हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और जीतन राम मांझी से जुड़ा यह किस्सा पांच पहले बिहार विधानसभा चुनाव 2020 से जुड़ा है. मामला यह है कि उनका एक प्रत्याशी चुनाव हार रहा था, जिसकी चर्चा प्रत्याशी ने उनसे उसी समय की. उन्होंने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से इसकी चर्चा की और रिकाउंटिंग कराने को कहा. रिकाउंटिंग के बाद उनका प्रत्याशी चुनाव जीत गया. हम प्रमुख का कहना है कि इस बात को एक वीडियो में तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है.

दरअसल, एक वीडियो 19 दिसंबर को कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के नेता जीतन राम मांझी को चुनाव नतीजों को प्रभावित करने के बारे में बात करते हुए दिखाया गया है, जिससे विपक्षी पार्टियों में हंगामा मच गया. हंगामे के बाद, मांझी ने सफाई दी है कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है. यह राजनीतिक विरोधियों की साजिश है. उन्होंने विरोधियों पर खुद को बदनाम करने का आरोप लगाया है.

वीडियो में क्या है?

वायरल वीडियो में मांझी को स्थानीय बोली मगही में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सुना जा सकता है. कथित तौर पर उन्हें यह कहते हुए सुना जा रहा है कि उन्होंने तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट से बात करके 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में एक उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने में मदद की थी.

वीडियो में वह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि उनका उम्मीदवार 2,600 वोटों से पीछे चल रहा था, लेकिन उनके दखल के बाद जीत गया. क्लिप में मांझी आगे कहते हैं, "इस बार, उम्मीदवार 1,600 वोटों से हार गया, लेकिन उसे बताया नहीं गया." हालांकि जीत का आधिकारिक अंतर मांझी के दावे से मेल नहीं खाता.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये टिप्पणियां बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र के मोहनपुर ब्लॉक में एक कार्यक्रम के दौरान की गईं. वीडियो में, मांझी संबंधित जिला मजिस्ट्रेट का भी जिक्र करते हैं, जो अब कथित तौर पर त्रिपुरा में तैनात हैं.

मांझी ब्रांड बन गया है, किसी से नहीं डरता

मीडिया की ओर से इस बारे में सवाल पूछे जाने पर मांझी ने ऐसी बातें कहने से इनकार किया है. उनका कहना है,  "कुछ लोग, जिन्होंने मेरे एक वीडियो के साथ छेड़छाड़ करके उसे वायरल किया है, सोचते हैं कि वे एक मुसहर के बेटे को बदनाम कर सकते हैं. मैं ऐसे लोगों से कहना चाहता हूं कि अब कोई भी मुसहर के बेटे का अपमान नहीं कर सकता और न ही उसे बेवकूफ बना सकता है. जो लोग आसमान पर थूकते हैं, वे भूल रहे हैं कि थूक उन्हीं के चेहरे पर गिरेगा. अब मांझी एक ब्रांड बन गया है, वो किसी से नहीं डरता."

क्यों बार-बार दे रहे हैं सफाई?

मांझी ने यह भी कहा कि अगर इस मामले में कहीं कोई गड़बड़ी हुई है, तो वह प्रशासनिक स्तर की होगी, न कि किसी नेता के इशारे पर. सियासी जानकारों का कहना है कि मांझी को बार-बार सफाई इसलिए देनी पड़ रही है क्योंकि यह मामला सीधे मतदान के अधिकार से जुड़ा है. ‘वोट चोरी’ शब्द अपने आप में गंभीर और भावनात्मक सवाल है. विपक्ष इसे जनता के बीच बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है. इसके अलावा, मांझी दलित राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं, इसलिए यह विवाद सामाजिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर असर डालता है.

चुनाव की विश्वसनीयता पर सवाल

दूसरी तरफ वीडियो के आधार पर राष्ट्रीय जनता दल ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर मांझी पर चुनावी हेरफेर को खुलेआम स्वीकार करने का आरोप लगाया है. पार्टी ने कहा, "यह जीतन राम मांझी हैं, भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और HAM पार्टी के संरक्षक. वह खुलेआम नतीजों, मशीनरी और धांधली के जरिए चुनाव जीतने का शाही फॉर्मूला बता रहे हैं." आरजेडी ने दावा किया कि मांझी टेकारी विधानसभा क्षेत्र में अपनी पार्टी की हार पर पछतावा व्यक्त कर रहे थे. आरजेडी ने इस मामले में संवैधानिक अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं.

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