‘सीमांचल के गांधी’ से लेकर शाहनवाज तक को दी चुनौती... कौन हैं छोटे लाल महतो, जो 20 साल से लड़ रहे चुनाव? कहानी 'गैस मैन' की

किशनगंज के छोटे लाल महतो, जो पेशे से गैस सिलिंडर डिलीवरी मैन हैं, पिछले 20 साल से हर चुनाव में उम्मीदवार बनकर जनता की सेवा का सपना देखते आ रहे हैं. कभी हार से निराश नहीं हुए, उन्होंने तस्लीमुद्दीन और शाहनवाज़ हुसैन जैसे दिग्गजों को भी चुनौती दी. परिवार और जनता के सहयोग से चुनाव लड़ते हुए अब वे फिर से मैदान में हैं. उनका कहना है, “मैं जब तक जिंदा हूं, जनता की सेवा के लिए चुनाव लड़ता रहूंगा.”;

( Image Source:  Sora_ AI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 11 Oct 2025 10:58 PM IST

Bihar Election 2025, who is Chhote Lal Mahato: बिहार के किशनगंज से एक ऐसा शख्स सामने आया है, जो राजनीति की दुनिया में ‘जिद और जुनून’ की मिसाल बन गया है. नाम है- छोटे लाल महतो. पेशे से गैस सिलिंडर डिलीवरी करने वाले महतो हर चुनाव में अपने सपनों को जिंदा रखते हैं. वो पिछले 20 साल से हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर उतरते हैं- बिना हार से डरे, बिना थके, सिर्फ जनता की सेवा के जज़्बे से...

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे लाल महतो का राजनीतिक सफर 2000 से शुरू हुआ था, जब उन्होंने 23 साल की उम्र में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था, लेकिन उनकी उम्मीदवारी उम्र सीमा के कारण खारिज कर दी गई. तब से लेकर अब तक उन्होंने कई चुनाव लड़े- लोकसभा, विधानसभा और नगर निकाय... हर बार हार का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी.

महतो ने दिग्गज नेताओं को दी चुनौती

महतो ने बिहार की राजनीति के दिग्गज नेताओं को भी चुनौती दी- स्व. तस्लीमुद्दीन, जिन्हें सीमांचल का गांधी कहा जाता था, और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन तक के खिलाफ मैदान में उतरे.  महतो कहते हैं, “मैं 2004 से लगातार चुनाव लड़ रहा हूं. अब तक जीत नहीं पाया हूं, लेकिन जनता का प्यार और समर्थन मुझे हर बार दोबारा खड़ा कर देता है. इस बार भी मैं निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हूं..” वो बताते हैं कि उन्हें जनता का अपार समर्थन मिलता है.

लोग चुनाव लड़ने के लिए देते हैं चंदा, पत्नी करती है मदद

गैस सिलिंडर पहुंचाने के दौरान लोग महतो से मिलते हैं, बातें करते हैं, और कई लोग उन्हें चंदा भी देते हैं ताकि वे चुनाव लड़ सकें. उनकी पत्नी भी उनके इस मिशन में साथ हैं-  उन्होंने कई बार बकरियां, मुर्गियां और अंडे बेचकर पैसे जुटाए ताकि उनके पति चुनाव लड़ सकें.

मैं जब तक जिंदा हूं, चुनाव लड़ता रहूंगा: महतो

महतो कहते हैं, “मैं जब तक जिंदा हूं, चुनाव लड़ता रहूंगा. मेरा मकसद है जनता की सेवा. अगर इस बार जीत हासिल हुई, तो मैं गरीबों के आंसू पोंछने, विकास को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करने का काम करूंगा.”

6 और 11 नवंबर को होंगे चुनाव

इस बार जब बिहार में 6 और 11 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, तो एक बार फिर यह गैस डिलीवरी मैन पूरे जोश और उम्मीद के साथ मैदान में है- जनता का नेता बनने के सपने के साथ...

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