नीतीश कुमार की JDU ने कैसे खोया 'बड़ा भाई' का दर्जा? अब BJP के बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने को हुई मजबूर- इनसाइड स्टोरी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में JDU और BJP बराबर के साझेदार बन गए हैं और दोनों ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. पिछले चार चुनावों में JDU का स्ट्राइक रेट लगातार गिरता गया, जबकि BJP का प्रदर्शन सुधरता रहा. इस बार सीट शेयरिंग में बराबरी और संतुलन का संकेत मिलता है, जिससे NDA गठबंधन के भीतर नए समीकरण बन रहे हैं. चुनाव परिणाम के आधार पर भविष्य में नीतीश कुमार किसी युवा BJP नेता को मुख्यमंत्री पद दे सकते हैं.;
Bihar Election JDU BJP strike rate history: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में JDU और BJP अब बराबर के साझेदार हैं. दोनों दलों ने 243 विधानसभा सीटों में से 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जबकि शेष सीटें अन्य NDA सहयोगी दलों को दी गई हैं. यह JDU के लिए 115 से और BJP के लिए 110 से कम है. इस गणना में चिराग पासवान की LJP(RV) को मिली 29 सीटें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
हालांकि, बराबर सीटें केवल गणित की बात नहीं हैं. नीतीश कुमार, जो दो दशक से बिहार के मुख्यमंत्री हैं, की ताकत JDU के लिए पिछले चुनावों में सीटों में सीधे परिणाम में नहीं दिखी.
पिछले चुनावों का स्ट्राइक रेट विश्लेषण
- 2020 बिहार विधानसभा चुनाव: BJP ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और 74 सीटें जीतकर 68% स्ट्राइक रेट दर्ज किया. JDU ने 115 सीटों में से केवल 43 जीती, यानी स्ट्राइक रेट केवल 38%, जो 2015 के 70% से आधा भी कम था. JDU का वोट शेयर 41% (2015) से घटकर 33% (2020) हो गया.
- 2015 बिहार चुनाव: JDU, महागठबंधन का हिस्सा, ने 101 सीटों में से 70 फीसदी यानी 71 सीटें जीती, जबकि गठबंधन ने कुल 243 में 178 सीटें हासिल कीं. BJP ने 157 सीटों में से लगभग 34% ही जीती थी.
- 2010 बिहार चुनाव: JDU, NDA में प्रमुख साझेदार, ने 141 सीटों में से 115 जीती (82% स्ट्राइक रेट), जबकि BJP ने 102 सीटों में से 91 जीतकर 89% स्ट्राइक रेट दर्ज किया.
विश्लेषक मानते हैं कि JDU का स्ट्राइक रेट 2010 से लगातार गिरता रहा है, जबकि BJP का प्रदर्शन सुधरता गया. 2020 आते-आते भाजपा ने 110 में से 74 सीटें (68%) जीत लीं, जबकि जदयू 115 सीटों पर चुनाव लड़कर 43 सीटों पर जीत हासिल कर 38% से नीचे रही.
राजनीतिक समीकरण और भविष्य
नीतीश कुमार 2020 में मुख्यमंत्री बने रहे, जबकि BJP ने उन्हें वरिष्ठता दी और दो उपमुख्यमंत्रियों की व्यवस्था रखी. इस बार चर्चा है कि अगर NDA जीतती है तो नीतीश कुमार आगे चलकर किसी युवा BJP नेता को जगह दे सकते हैं. हालांकि, 2020 के अनुभव ने यह दिखाया कि स्ट्राइक रेट से सत्ता में बदलाव जरूरी नहीं होता.
इस बार JDU और BJP का बराबर का सीट शेयरिंग फॉर्मूला दिखाता है कि NDA में संतुलन और सहयोग के नए समीकरण बन रहे हैं. चुनाव के परिणाम के आधार पर, राजनीतिक शक्ति और नेतृत्व का खेल फिर से तय होगा.