Bihar Chunav 2025: सीट बंटवारे पर NDA में थम नहीं रहा विवाद, नीतीश कुमार और चिराग पासवान की इमरजेंसी मीटिंग से निकलेगा हल?
Seat Sharing NDA: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले NDA में सीट बंटवारे को लेकर विवाद गहरा गया है. चिराग पासवान की मांग और नीतीश कुमार-बीजेपी की रणनीति ने इस मसले को और उलझा दिया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आज की इमरजेंसी बैठक के बाद गठबंधन तालमेल बनाने की राह पर आगे बढ़ता है या टकराव की दिशा में. जानिए पूरी स्थिति और भविष्य की दिशा.;
Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही NDA के भीतर सीट बंटवारे को लेकर खींचतान पहले ये ज्यादा गहरा गया है. लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान ने 40 से अधिक सीटों की मांग की है. वहीं, नीतीश कुमार और बीजेपी अन्य हिस्सेदारों के संतुलन की जटिल गुत्थी सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में, क्या बिहार की राजनीति का यह संकट इमरजेंसी मीटिंग में सुलझ पाएगा. ऐसे में गठबंधन की दिशा क्या होगी, जाने पूरी कहानी.
1. NDA में रहकर चुनाव लड़ेंगे चिराग
दूसरी तरफ एलजेपी के सूत्रों ने बताया कि मीटिंग का परिणाम सार्थक ही होगा. चिराग पासवान एनडीए में रहकर ही चुनाव लड़ने का फैसला लेंगे. फिलहाल, आज की बैठक में पार्टी नेताओं की राय लेकर एलजेपीआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष को अरुण भारती सौपेंगे. इतना तय है कि इस बार एनडीए में रहकर ही चुनाव लड़ा जाएगा.
2. चिराग का अंतिम दांव
लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास ने 40 से ज्यादा सीटों की मांग रखी है. साथ ही गठबंधन में चार विशेष शर्तें भी रखी गई हैं. इस असहमति ने NDA के भीतर तनाव को और गहरा कर दिया है. इस बीच चिराग पासवान ने पार्टी की एकजुटता और पिता रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है. उन्होंने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश दिया कि एलजेपी (रामविलास) गठबंधन में 'सिर्फ दिखावे की भूमिका' नहीं, बल्कि निर्णय ताकत बनकर उभरेगी.
3. झुकाव नहीं, अड़ाव है
LJP (Ram Vilas) के प्रमुख चिराग पासवान ने स्पष्ट किया है कि उन्हें सम्मानजनक सीटें चाहिए. वे न्यूनतम सीटों पर समझौता नहीं करेंगे. BJP और JDU यह तर्क दे रहे हैं कि सियासी सच्चाई यह है कि जो सीटें हैं, उसमें कितनी सीटें देना संभव नहीं है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार चिराग पासवान ने 40 या उससे अधिक सीटों की मांग की है. हालांकि, BJP की ओर से उन्हें 22-25 सीटों का प्रस्ताव मिल चुका है, जिसे चिराग अभी स्वीकारने को तैयार नहीं हैं.
4. JDU, HAM और अन्य घटक दल
NDA में केवल BJP और JDU ही नहीं हैं. इसके अलावा, HAM (हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा)और अन्य सहयोगी दलों की हिस्सेदारी भी तय होनी है. सूत्रों का सुझाव है कि JDU इस बार BJP से कुछ बढ़कर संख्या ले सकती है और बाकी सीटों का हिस्सा LJP-HAM-RLM में बंटेगा.
5. इमरजेंसी मीटिंग :तालमेल का अंतिम प्रयास
खबर है कि चिराग पासवान ने पटना में आपात बैठक बुलाई है और नीतीश कुमार ने भी उसी समय बैठक करने का कार्यक्रम बनाया है. यह बैठक तय करेगी कि किस तरह का फॉर्मूला लागू हो 'फ्रेंडली एडजस्टमेंट', सीटों का सौदाबाजी या अंतिम गणित. अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि दोनों दलों के नेताओं ने एक ही समय में बैठक क्यों बुलाई है. चिराग पासवान दिल्ली में होने की वजह से मीटिंग में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने अरुण भारती को बैठक की अध्यक्षता कर पार्टी के नेताओं को मौजूदा सियासी स्थिति से अवगत कराने के बाद एक राय लेने को कहा है.
6. संभावित समाधान और चुनौतियां
एक राजनीतिक विकल्प यह है कि चिराग को अपेक्षित सीटें दी जाएंगी लेकिन 'गुणवत्तायुक्त' सीटों पर उन्हें समझौता करना होगा. JDU और BJP को भी अपनी हिस्सेदारी बनाए रखनी है. इस संतुलन को साधना एनडीए के लिए आसान नहीं है. अगर बात नहीं बनी, तो चिराग के वॉक-आउट या गठबंधन में विद्रोह की संभावना भी जिंदा है, जो NDA में भूचाल ला सकती है.
एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान पहले से ही चल रही थी. जीतन राम मांझी और चिराग पासवान की पॉलिटिक्स ने भाजपा के सामने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. चिराग की आपात बैठक को इसी खींचतान के बीच “दबाव की रणनीति” माना जा रहा है. गठबंधन के अन्य दलों की निगाहें अब भाजपा की अगली चाल पर हैं. पार्टी नेतृत्व ने इशारा किया कि किसी भी सूरत में महत्वपूर्ण सीटों से पीछे नहीं हटेंगे. यह संकेत बिहार के चुनावी परिदृश्य में नए उबाल की ओर इशारा कर रहा है.
7. क्या चाहती है बीजेपी और जेडीयू?
बीजेपी और JDU का फार्मूला सभी के बीच संतुलन साधने की है. बीजेपी चाहती है कि गठबंधन का चेहरा नीतीश कुमार ही बने रहें. JDU को इस बार कुछ अधिक सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है. बीजेपी और JDU मिलकर कुल सीटों में लगभग 180+ सीटों का बंटवारा तय कर चुके हैं. छोटे सहयोगियों के हिस्से में बची हुई सीटें आने की संभावना है.
NDA के भीतर सीट बंटवारे को लेकर विवाद सिर्फ एक गणितीय लड़ाई नहीं, बल्कि राजनीतिक सम्मान, शक्ति संतुलन और भविष्य की रणनीति का सवाल है। यदि नीतीश कुमार और चिराग पासवान की आपात बैठक में समाधान नहीं निकला, तो यह झगड़ा पूरे गठबंधन में भूचाल ला सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मीटिंग के बाद गठबंधन तालमेल बनाने ये टकराव की दिशा में आगे बढ़ता है.