‘राम का नाम बदनाम न करो’, मनरेगा की जगह वीबी जी रामजी बिल पर संसद से सड़क तक संग्राम, प्रियंका का प्रोटेस्ट, गांधी पर बवाल क्यों?

लोकसभा में मनरेगा की जगह वीबी जी रामजी बिल पेश होते ही सियासत गरमा गई. विपक्ष ने इसे सिर्फ एक नया कानून नहीं, बल्कि महात्मा गांधी के नाम और गरीबों के अधिकारों पर हमला करार दिया. इसको लेकर संसद के भीतर हंगामे से लेकर सड़क पर विरोध तक, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में विरोध तेज हो गया. “राम का नाम बदनाम न करो” जैसे नारे इस सियासी संग्राम का प्रतीक बन गए हैं.;

( Image Source:  ANI )
Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 16 Dec 2025 5:26 PM IST

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को लोकसभा में मनरेगा की जगह वीबी जी रामजी बिल पेश किया. यह बिल पेश होते ही सियासत गरमा गई. विपक्ष ने इसे सिर्फ एक नया कानून नहीं, बल्कि महात्मा गांधी के नाम और गरीबों के अधिकारों पर हमला बताया. संसद के भीतर हंगामे से लेकर सड़क पर विरोध तक, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में विरोध तेज हो गया. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस मसले पर 'राम का नाम बदनाम न करो” की अपील की. वहीं लोकसभा में इसको लेकर हंगामा मचा. इस बिल को लेकर सरकार और विपक्ष आमने सामने है. इस बिल के विरोध को लेकर विपक्ष ने संसद से लेकर सड़क तक विरोध प्रदर्शन किया.

क्या है ‘वीबी जी रामजी बिल’?

केंद्र सरकार की ओर से पेश किया गया वीबी जी रामजी बिल मनरेगा के मौजूदा ढांचे में बड़े बदलाव या उसके स्थान पर नई योजना लाने की मंशा से जुड़ा बताया जा रहा है. नया बिल 100 दिन के बदले 125 दिन की गारंटी देने का केंद्र ने वादा किया है. साथ ही कहा है कि इस बिल से रोजगार को ज्यादा प्रभावी और पारदर्शी बनाना संभव हो पाएगा. सरकार की तकनीक और जवाबदेही बढ़ेगी. भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी.

 लोकसभा में क्यों मचा हंगामा?

बिल पेश होते ही विपक्षी सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी. मनरेगा खत्म नहीं होने देंगे के नारे लगे. स्पीकर के बार-बार समझाने के बावजूद हंगामा जारी रहा. हालात बिगड़ते देख लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. विपक्ष का आरोप है कि इससे 100 दिन के रोजगार की गारंटी कमजोर होगी. ग्रामीण मजदूरों की सुरक्षा खत्म हो सकती है. केंद्र सरकार राज्यों की भूमिका सीमित करना चाहती है.

कांग्रेस महासचिव और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने इसके खिलाफ प्रोटेस्ट किया. उन्होंने इस बिल को “गरीबों से उनका संवैधानिक हक छीनने की साजिश” बताया है.

उन्होंने कहा कि मनरेगा सिर्फ योजना नहीं, गरीब की ढाल है. सरकार बिना व्यापक चर्चा के इसे बदलना चाहती है. कांग्रेस सड़क से संसद तक इसका विरोध करेगी. प्रियंका गांधी सदन के बाहर भी विपक्षी सांसदों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुईं.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि महात्मा गांधी का नाम बदलना बहुत गलत है, और उन्होंने 'गारंटी बात', 'रोजगार', 'आजीविका' और 'अंत' जैसे शब्दों के साथ दो मंत्रों का इस्तेमाल किया है. उन्होंने यह सब 'जी राम जी' का अर्थ निकाला है. मुझे नहीं लगता कि यह कोई गंभीर मामला है. महात्मा गांधी राम राज्य की बात करते थे; उनका संकल्प ग्राम स्वराज और राम राज्य की थी.इसलिए जब ऐसा कानून बना तो महात्मा गांधी का नाम जाना सही नहीं था.

बीजेपी नेता किरण चौधरी ने भारत के 'जी राम जी' के नारे का विरोध करते हुए कहा, "महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता हैं. वे केवल वे नहीं हैं, महात्मा गांधी सार्वजनीन हैं...

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा को बताया कि 'विकसित भारत - रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) के लिए गारंटी' विधेयक, 2025 के तहत, ₹1.51 लाख करोड़ से अधिक के प्रावधान के साथ, रोजगार गारंटी को 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है।

दरअसल, लोकसभा में प्रियंका गांधी ने मनरेगा के नाम में बदलाव को लेकर लाए गए विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि मनरेगा पिछले 20 वर्षों से देश में रोजगार देने और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सक्षम रहा है. यह वही क्रांतिकारी कानून है जिसे इसी सदन में सर्वसम्मति से पारित किया गया था. गरीब भाई-बहनों को 100 दिनों के रोजगार का अधिकार इसी संसद ने दिया था. जब हम अपने क्षेत्रों में जाते हैं, तो दूर से ही पहचान हो जाती है कि मनरेगा का मजदूर कौन है. नए विधेयक में केंद्र सरकार को यह अधिकार दे दिया गया है कि वह पहले ही तय करे कि कितनी पूंजी कहां भेजी जाएगी. यह संविधान की भावना की अनदेखी है.

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