बंगाल-गुजरात के बाद तमिलनाडु में बड़ा ‘वोटर क्लीन-अप’, 97 लाख नाम कटे; सवालों के घेरे में EC- क्या लोकतंत्र पर चोट है SIR?

चुनाव से पहले तमिलनाडु में Special Intensive Revision (SIR) के तहत मतदाता सूची से करीब 97 लाख नाम हटाए जाने से सियासी विवाद तेज हो गया है. चुनाव आयोग का कहना है कि ये नाम मृत, स्थानांतरित या डुप्लीकेट थे, जबकि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और डीएमके ने इसे अलोकतांत्रिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. SIR को लेकर बंगाल और गुजरात में भी बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए हैं, जिस पर संसद से लेकर सड़कों तक बहस जारी है.;

( Image Source:  Sora_ AI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 19 Dec 2025 8:33 PM IST

Tamil Nadu Voter List Deletion, MK Stalin, DMK vs EC: चुनाव से पहले तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) ने सियासी हलचल तेज कर दी है. राज्य की मतदाता सूची से करीब 97 लाख नाम हटाए गए हैं, जिस पर सत्तारूढ़ डीएमके और विपक्ष के बीच तीखी राजनीतिक बहस छिड़ गई है. तमिलनाडु की मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) अर्चना पटनायक ने शुक्रवार को बताया कि SIR के बाद जारी ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल के अनुसार राज्य में अब कुल 5,43,76,755 मतदाता दर्ज हैं. इनमें 2.66 करोड़ महिलाएं और 2.77 करोड़ पुरुष शामिल हैं। SIR से पहले तमिलनाडु में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 6.41 करोड़ थी.

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अर्चना पटनायक के मुताबिक, पुनरीक्षण के दौरान कुल 97,37,832 नाम मतदाता सूची से हटाए गए. इनमें 26.94 लाख ऐसे मतदाता थे जिनकी मृत्यु हो चुकी है, 66.44 लाख वे लोग पाए गए जो स्थायी रूप से स्थानांतरित या पलायन कर चुके हैं, जबकि 3,39,278 नाम डुप्लीकेट पाए गए, यानी एक ही व्यक्ति एक से अधिक जगहों पर पंजीकृत था.

CEO अर्चना ने बताया कि जिन मतदाताओं को 'स्थानांतरित' श्रेणी में रखा गया है, उनमें से 66,44,881 लोग तीन चरणों में किए गए डोर-टू-डोर सत्यापन के दौरान अपने पंजीकृत पते पर नहीं मिले.

डीएमके और सीएम स्टालिन का कड़ा विरोध

यह पूरा SIR अभ्यास डीएमके शासित तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के कड़े विरोध के बीच किया गया. डीएमके ने इस प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है. सीएम स्टालिन ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा, “इस अलोकतांत्रिक कदम को रोकने के लिए हमने सर्वदलीय बैठक बुलाई और SIR की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किया. चुनाव से ठीक कुछ महीने पहले मतदाता सूची का पूर्ण पुनरीक्षण एक सुनियोजित रणनीति है, ताकि वैध मतदाताओं के नाम हटाए जा सकें.” उन्होंने आरोप लगाया कि इसी तरह की प्रक्रिया पहले बिहार में अपनाई गई थी, जहां लाखों असली मतदाताओं के नाम कथित तौर पर सूची से हटा दिए गए.

स्टालिन ने यह भी कहा कि इस विवादास्पद प्रक्रिया का विरोध सबसे पहले तमिलनाडु से उठा, जिसके बाद कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, “कानूनी मामला दर्ज होने के बाद भी चुनाव आयोग संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया.”

AIADMK और BJP पर भी हमला

मुख्यमंत्री ने AIADMK महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी पर 'डबल गेम' खेलने का आरोप लगाया और कहा कि वह बीजेपी से रिश्तों के चलते चुनाव आयोग के खिलाफ खुलकर बोलने से डर रहे हैं. स्टालिन ने यह भी जोड़ा कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों को सम्मान और रोजगार मिला है, जबकि प्रधानमंत्री बिहार में चुनावी फायदे के लिए 'राजनीतिक ड्रामा' कर रहे हैं.

बंगाल और संसद में भी उठा SIR का मुद्दा

SIR सिर्फ तमिलनाडु तक सीमित नहीं रहा. मंगलवार को पश्चिम बंगाल में भी SIR के बाद हटाए गए मतदाताओं की ड्राफ्ट सूची जारी की गई. यह सूची 2025 की मतदाता सूची में शामिल नामों की तुलना में 2026 के ड्राफ्ट रोल से हटाए गए मतदाताओं को दिखाती है. पहला चरण 11 दिसंबर को समाप्त हुआ, जबकि दूसरा चरण 16 दिसंबर के बाद शुरू हुआ, जिसमें दावे और आपत्तियां दर्ज की जा रही हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र में भी जोर-शोर से उठा SIR का मुद्दा

SIR का मुद्दा संसद के शीतकालीन सत्र में भी जोर-शोर से उठा. राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा और एनडीए सरकार के मंत्रियों ने विपक्ष से SIR का समर्थन करने की अपील की। नड्डा ने बताया कि 2002 के बाद पश्चिम बंगाल के मतदाता आंकड़ों में भारी उछाल आया है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश सीमा से सटे 9 जिलों में मतदाताओं की संख्या में न्यूनतम 70% और कुछ जिलों में 100% से ज्यादा की वृद्धि हुई है.  उजागर किए गए आंकड़ों के अनुसार, उत्तर दिनाजपुर में 105.5%, मालदा में 94.8%, मुर्शिदाबाद में 87.6%, 24 परगना में 83.5%, जलपाईगुड़ी में 82.3% की वृद्धि दर्ज हुई.

गुजरात में भी बड़ी कटौती

SIR का असर गुजरात में भी देखने को मिला, जहां ड्राफ्ट मतदाता सूची से करीब 74 लाख नाम हटाए गए. राज्य में मतदाताओं की संख्या 5.08 करोड़ से घटकर 4.34 करोड़ रह गई है. चुनाव आयोग ने यहां भी 18 जनवरी तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने की समयसीमा दी है.

क्या है SIR?

Special Intensive Revision (SIR) चुनाव आयोग द्वारा चुनाव से पहले मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए कराया जाने वाला विशेष अभियान है. इसके तहत बूथ लेवल अधिकारी घर-घर जाकर सत्यापन करते हैं, मृत, स्थानांतरित, डुप्लीकेट या अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं और नए पात्र मतदाताओं को जोड़ा जाता है.

हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह का बड़ा पुनरीक्षण लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है, जबकि चुनाव आयोग का कहना है कि यह मतदाता सूची की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए जरूरी कदम है.

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