Swami Chakrapani: कंगना-एकता कपूर ने संत को 'सेलिब्रिटी', गूगल ने ब्रह्मचारी को ‘पति-पापा’ बनाया EXCLUSIVE

नई दिल्ली में स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम संजीव चौहान से खास बातचीत में स्वामी चक्रपाणी महाराज ने खुलकर कहा कि वह बचपन से ही संत हैं और जीवन का ध्येय राष्ट्र व राम सेवा है. लॉकअप शो से मिली प्रसिद्धि के बावजूद वह बाल ब्रह्मचारी हैं. स्वामी ने बताया कि इंटरनेट पर उन्हें बीबी-बच्चों वाला बताने वाली खबरें बेबुनियाद हैं। वह साधु जीवन के सिद्धांतों से कभी नहीं भटके.;

By :  संजीव चौहान
Updated On : 27 April 2025 4:00 PM IST

“मैं तो बचपन में ही राजेश श्रीवास्तव से ‘संत’ बन चुका हूं. राष्ट्र और राम सेवा ही मेरे साधु-संत जीवन की ‘लाइफ-लाइन’ थी, है और आइंदा भी रहेगी. लॉकअप सीरियल में जब से पहुंचा तभी से भारतीय जनता पार्टी की सांसद कंगना रनौत-एकता कपूर ने मुझे संत से ‘सेलिब्रिटी’ बना दिया. उसके बाद से ही मेरी जानकारी के बिना ही इंटरनेट-गूगल ने मुझे बीबी और बच्चे भी दे दिए. जबकि मैं बाल ब्रह्मचारी और कुंवारा था हूं और आइंदा भी रहूंगा.”

यह तमाम बेबाक बातें बेखौफ बयान की हैं खुद स्वामी चक्रपाणी महाराज (Swami Chakrapani Maharaj) ने. बेहद नपा-तुला और कम मगर काम का बोलने के लिए पहचाने जाने वाले चक्रपाणी महाराज 20 अप्रैल 2025 को, नई दिल्ली स्थित अखिल भारत हिंदू महासभा मुख्यालय में स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम से पॉडकास्ट के लिए विशेष बातचीत कर रहे थे. स्वामी जी ने ऑन कैमरा माना कि उनकी 50 साल की जिंदगी में बचपन से अब तक की संतई में इतना पीछे या भीतर कोई नहीं झांक सका जितना की उन्हें और उनकी जिंदगी को स्टेट मिरर हिंदी ने खंगाल लिया है.

50 साल की जिंदगी में सबसे बड़ा पहला इंटरव्यू

मतलब स्वामी चक्रपाणी महाराज की भी अब तक की 50 साल की उम्र में उनकी जिंदगी का यह सबसे बड़ा और पहला इंटरव्यू था. वो भी उनकी निहायत निजी जिंदगी को लेकर. वह निजी जिंदगी जिसमें न तो अब से पहले किसी की झांकने की जुर्रत हुई. न ही कभी स्वामी चक्रपाणी महाराज ने अपनी निजी जिंदगी में अब से पहले किसी को इतने अंदर तक झांकने देने की स्वीकृति ही कभी दी. एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के दौरान जब बात आगे बढ़ी तो पता चला कि, आज दुनिया भर में स्वामी चक्रपाणी महाराज के नाम से मशहूर यह महान शख्शियत तो संत बनने से पहले राजेश श्रीवास्तव हुआ करते थे. वही राजेश श्रीवास्तव जिनका बचपन, किशोरावास्था भी ‘संतई’ भावना से ही ओतप्रोत रहती थी. 15 साल की उम्र में यानी पढ़ाई लिखाई के दौरान ही राजेश श्रीवास्तव गंगा घाटों पर एकांत में साधना के लिए जाने लगे थे. उसी उम्र में अपनी गौ-रक्षा समिति बना डाली. अपनी ही हमउम्र के दोस्तों संग मिलकर.

माँ-पिता से मिले ‘संतई’ के गुण...

15 साल के अल्लहड़ राजेश श्रीवास्तव का मन पढ़ाई लिखाई की ही उम्र में संत-सन्यासी, पूजा-पाठ, धर्म-कर्म, गौरक्षा, रामसेवा, राष्ट्र सेवा की ओर कैसे? पूछने पर बताते हैं, “मैं शायद अपने पिछले जन्म में सनातन के जो काम अधूरे छोड़ आया. उन्हें पूरा करने के लिए ही परमात्मा ने अब यह जन्म दिया है. घर में मां श्याम प्यारी देवी शंकर भगवान की और पिता बनारसी लाल बजरंगबली के परम भक्त थे. ऐसे में संत समागम और रामधुनी का संचार तो दिल-ओ-दिमाम खून में घर से ही शुरु हो गया था. जहां तक बात राजेश श्रीवास्तव के स्वामी चक्रपाणी महाराज बनने की बात है तो, जब बैराग-संत जीवन ही ले लिया. उसके बाद राजेश श्रीवास्तव को स्वामी चक्रपाणी महाराज बनने की हर बाधा खुद ही रास्ते से किनारा करती चली गई.”

सिर्फ बलिया नहीं ‘बागी बलिया’ कहिए...

रामलला-राम मंदिर की स्थापना और मुकदमेबाजी के लिए जमीन तक बेच डालने के धुनी स्वामी चक्रपाणी कहते हैं, “सन् 1975 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया में जन्म हुआ. चार बड़ी बहन एक बड़े भाई और मैं यानी माता-पिता की छह संतानों में मैं सबसे छोटा हूं. बलिया, सिर्फ बलिया नहीं है. बलिया को ‘बागी-बलिया’ कहिए. क्योंकि इस बलिया की मिट्टी में ‘क्रांति’ की सुगंध और क्रांति के कण समाहित हैं. जिस बागी बलिया को अंग्रेज भी भारत आजाद होने के चार साल पहले ही छोड़ कर भाग गए थे. ऐसे बागी बलिया में जन्म लेने वाला मुझसा कोई युवा अगर राम मंदिर के लिए अपनी जायदाद भी खुशी-खुशी न बेच सके. तो फिर धिक्कार है उसे उसके मनुष्य रूप में इस धरती पर जन्म लेने पर.”

गर्व है बागी बलिया के ‘चंद्रशेखर जी’ के ऊपर

लंबी बातचीत के बीच सवाल पूछे जाने पर स्वामी चक्रपाणी महाराज बताते हैं, ‘बागी बलिया ने ही भारत को चंद्रशेखर जी जैसा प्रधानमंत्री दिया. बलिया से निकल कर वे सीधे प्रधानमंत्री ही बने भारत के. भले ही वे 4 महीने देश के प्रधानमंत्री क्यों न रहे हों. इसके बाद भी मगर उस चार महीने के अपने अल्पकालिक प्रधान-मंत्रित्व काल में, चंद्रशेखर जी ने जो कर दिखाया, वह कांग्रेस के 40 साल में बार बार प्रधानमंत्री बनने वाले नहीं कर सके.”

जवानी में मैं भी हवाबाजी में था मगर...

अपने दादा स्वर्गीय चंद्रिका प्रसाद की क्रांतिकारी छवि का जिक्र करते हुए कहते हैं, “बलिया सिर्फ गांव, कस्बा, शहर नहीं, बलिया तपोभूमि है. संत-संतई जिसके कण-कण में विद्यमान है. बलिया के लोग मुंह से खरे मगर दिल से मददगार हैं. बलिया वाले मीठा बोलकर पीछे से घात नहीं करते हैं. वे आपके मुंह पर दो टूक खरा-खरा बोलेंगे. हां, मदद की दरकार होने पर बलिया वाले हर किसी की मुसीबत में सबसे पहले सबसे आगे खुद खड़े मिलते हैं. मुसीबत में फंसा हुआ कोई चाहे बलिया वाले को पुकारे या न पुकारे. यह मायने नहीं रखता है.” किशोरावस्था के अल्लहड़पन की यादें से धूल साफ करते हुए स्वामी चक्रपाणी महाराज बताते हैं, “किशोरावस्था-जवानी में मैं भी हवा में था. मगर मेरी वो हवाबाजी आज के लड़के-लड़कियों की सी तो नहीं थी. मेरी हवा राष्ट्रवादी-सनातनी थी. इसलिए क्योंकि मेरी प्राथमिक पाठशाला ही अध्यात्म और राष्ट्रवाद की थी.”

गूगल-इंटरनेट मुझे मेरी बीबी-बच्चे लाकर दें...!

खुद को साधु-संत कहने वाले स्वामी चक्रपाणी महाराज के विवाहित और बाल-बच्चेदार होने की खबरों से इंटरनेट और गूगल भरे पड़े हैं? निहायत निजी जिंदगी से जुड़े स्टेट मिरर हिंदी के सवाल के जवाब में जोरदार ठहाका मारकर हंसते हुए बताते हैं, “हां, यह तो सही कि इंटरनेट गूगल ने मुझे शादीशुदा और दो बच्चों का पिता बना डाला है. सच यह है कि मैं तो बाल ब्रह्मचारी था हूं और आइंदा भी जीवन पर्यन्त रहूंगा. गूगल इंटरनेट मेरी बीबी-बच्चे जिस दिन मुझे लाकर सौंप देंगे, उस दिन मुझे कुछ सोचना है अभी तक तो इन बेसिर-पैर की वाहियाद बातों से मैं एकदम बेफिक्र हूं.”

संत को ‘सेलिब्रिटी’, पापा-पति बनाने का सच

किसी आपसे राष्ट्रवादी “साधु-संत” का भला कंगना रनौत (Kangana Ranaut) और एकता कपूर (Ekta Kapoor) से क्या वास्ता? सवाल के जवाब में स्वामी चक्रपाणी महाराज कहते हैं, ‘इन भारतीय जनता पार्टी की सांसद और बॉलीवुड हीरोईन कंगना रनौत, एकता कपूर के बारे में तो क्या बताऊं? इन्होंने ही तो मुझ संत को अपने सीरियल लॉकअप में बुलाकर सेलिब्रिटी बना डाला है. उस लॉकअप सीरियल के दौरान ही तो मेरे, शादीशुदा होने यानी बीबीक का पति और दो-दो बच्चों का पिता होने का चक्कर इंटरनेट-गूगल पर फैला है. आप खुद जाकर मेरे घर को छान डालिए कहीं बीबी बच्चे मिल जाएं.’

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