1 घंटे 28 मिनट... आखिर PM मोदी और राहुल गांधी की मीटिंग इतनी देर तक क्यों चली? जानें दोनों के बीच किन-किन मुद्दों पर हुई बातचीत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच PMO में 88 मिनट चली बैठक ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी. मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) और आठ सूचना आयुक्तों के चयन पर चर्चा के लिए बुलाई गई इस मीटिंग में गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे. राहुल गांधी ने सभी प्रस्तावित नियुक्तियों पर लिखित आपत्ति दर्ज की और कहा कि सूची में दलित, आदिवासी, ओबीसी/ईबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधित्व लगभग न के बराबर है.;

( Image Source:  Sora_ AI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 11 Dec 2025 8:00 AM IST

PM Modi Rahul Gandhi meeting: प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में 10 दिसंबर को हुई एक घंटे 28 मिनट की हाई-प्रोफाइल मीटिंग ने संसद के गलियारों में हलचल मचा दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच हुई इस लंबी बैठक को लेकर दिनभर अटकलें चलती रहीं. विंटर सेशन के दौरान हुई यह मुलाक़ात पहले से तय थी, लेकिन इसकी अवधि ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया.

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नियमों के अनुसार, मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner) और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनी चयन समिति में प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री और नेता प्रतिपक्ष शामिल होते हैं. इसी प्रक्रिया के तहत यह बैठक बुलाई गई थी. बैठक में गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे. सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी दोपहर 1 बजे PMO पहुंचे और 1:07 बजे बैठक शुरू हुई. पहले उम्मीद थी कि यह बैठक 15-20 मिनट में समाप्त हो जाएगी, लेकिन जब यह 88 मिनट तक चली, तो सांसदों ने माना कि बात सिर्फ एक नियुक्ति पर नहीं हो सकती.

राहुल गांधी ने सभी नियुक्तियों पर दर्ज कराया आपत्ति

मीटिंग से बाहर आते ही साफ हुआ कि चर्चा सिर्फ मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति तक सीमित नहीं रही. बैठक में 8 सूचना आयुक्तों और एक विजिलेंस कमिश्नर की नियुक्ति पर भी विस्तार से बात हुई. सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने इन सभी नामों पर औपचारिक रूप से लिखित आपत्ति (written dissent note) दर्ज कराई है. विपक्ष द्वारा ऐसे नियुक्तियों में आपत्ति जताना नया नहीं है पहले भी मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी कई बार अपनी असहमति दर्ज करते रहे हैं.

राहुल गांधी ने ‘प्रतिनिधित्व संकट’ उठाया-90% आबादी गायब: सूत्र

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने सबसे गंभीर मुद्दा सामाजिक प्रतिनिधित्व (social representation) का उठाया. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित सूची में देश की 90% आबादी वाले समुदाय, दलित, आदिवासी, ओबीसी/ईबीसी और अल्पसंख्यक, लगभग पूरी तरह नदारद हैं. उन्होंने पैनल से कास्ट-वाइज डेटा भी मांगा और बताया कि आवेदकों में बहुजन समुदायों की हिस्सेदारी 7% से भी कम है. उनके अनुसार, यह स्थिति 'पारदर्शिता और जवाबदेही देखने वाली संस्थाओं में समावेश' पर गंभीर सवाल खड़ा करती है.

सरकार की ओर से कोई टिप्पणी नहीं, प्रक्रिया अंतिम चरण में

सरकारी अधिकारियों ने कास्ट-ब्रेकअप पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन संकेत दिया कि चयन प्रक्रिया अंतिम चरण में है. नियुक्तियां जल्द घोषित होंगी.

संसद में चर्चा, क्योंकि CIC में हालात गंभीर

इस मीटिंग को लेकर संसद के गलियारों में दिनभर तेज चर्चा रही. फिलहाल 8 पद खाली हैं, जिसमें मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी शामिल है. सितंबर 2024 में हरीलाल समारिया के रिटायर होने के बाद यह पद खाली है. अब सिर्फ दो सूचना आयुक्त, आनंदी रामलिंगम और विनोद कुमार तिवारी, पूरा काम संभाल रहे हैं. CIC की वेबसाइट के अनुसार, अभी भी 30,838 RTI अपीलें और शिकायतें लंबित हैं.

RTI एक्ट के तहत प्रक्रिया

RTI कानून की धारा 12(3) के अनुसार चयन समिति में प्रधानमंत्री (चेयरमैन), नेता प्रतिपक्ष और पीएम द्वारा नामित केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं. वे CIC और ICs के नाम तय कर राष्ट्रपति को अनुशंसा भेजते हैं.

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