मोदी-शाह की राष्ट्रपति से मुलाकात, उमर अब्दुल्ला का गुजरात दौरा और शिया संगठन की गृह मंत्री से मुलाकात... क्या कुछ बड़ा होने वाला है?

दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह की राष्ट्रपति से मुलाकात, उमर अब्दुल्ला का गुजरात दौरा, और शिया नेता इमरान रजा अंसारी की शाह से बातचीत ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है. कयास लगाए जा रहे हैं कि 12 से 15 अगस्त के बीच जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बड़ा फैसला हो सकता है. घटनाएं पूर्ण राज्य के दर्जे की संभावित बहाली की ओर संकेत कर रही हैं. हालांकि अभी तक इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.;

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Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 4 Aug 2025 10:38 PM IST

पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में तेज़ हलचल देखी जा रही है. लगातार हो रही बड़ी बैठकों और नेताओं की अचानक हुई मुलाकातों ने सियासी कयासों को हवा दे दी है. अब चर्चा तेज़ है कि 12 से 15 अगस्त के बीच कुछ बड़ा होने वाला है, खासकर जम्मू-कश्मीर को लेकर...

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अलग-अलग मुलाकात की. इस मीटिंग की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन यह मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है जब उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया, बिहार में SIR को लेकर विपक्ष के सवाल, और कश्मीर में संभावित राजनीतिक बदलाव को लेकर बहस गरम है.



उमर अब्दुल्ला ने केवड़िया में लगाई दौड़, पीएम मोदी ने की सराहना

इसी बीच एक और अहम घटनाक्रम ने हलचल बढ़ा दी. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हाल ही में गुजरात के केवड़िया और साबरमती रिवरफ्रंट पहुंचे. उन्होंने वहां दौड़ लगाते हुए तस्वीरें साझा कीं और कश्मीर को शांत, सुरक्षित पर्यटन स्थल बताया. गुजरात के टूर ऑपरेटर्स से मुलाकात के दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर आने का न्योता भी दिया. इस पहल पर PM मोदी ने भी उनकी सराहना की और पोस्ट रीपोस्ट की, जिसे सियासी गलियारों में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है कि कश्मीर को लेकर कोई नई शुरुआत हो सकती है- संभवतः पूर्ण राज्य का दर्जा वापस देने की दिशा में...


ऑल जम्मू-कश्मीर शिया एसोसिएशन के अध्यक्ष ने की शाह से मुलाकात

एक तीसरी बड़ी घटना भी इसी सिलसिले में देखी जा रही है. ऑल जम्मू-कश्मीर शिया एसोसिएशन के अध्यक्ष इमरान रजा अंसारी ने आज दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस बैठक में आतंकवाद प्रभावित परिवारों के पुनर्वास, धार्मिक आयोजनों पर लगी रोक और जम्मू-कश्मीर के सामाजिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई. अंसारी ने यह भी आग्रह किया कि मुहर्रम जैसे पारंपरिक जुलूसों को आने वाले वर्षों में शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित करने की अनुमति दी जाए.


इन तीनों घटनाओं, पीएम और शाह की राष्ट्रपति से मुलाकात, उमर अब्दुल्ला की पर्यटन कूटनीति, और शिया नेता अंसारी की शाह से बातचीत, ने यह साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार कुछ बड़ा कदम उठा सकती है. हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी कोई घोषणा नहीं की गई है, लेकिन 5 अगस्त की तारीख और 15 अगस्त के आसपास की संभावनाएं राजनीतिक चर्चा का मुख्य विषय बन चुकी हैं.

5 अगस्त को होगा कुछ बड़ा?

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बड़ा दावा किया जा रहा है. बनराक्षस (Newspenetra) हैंडल से X पर किए एक पोस्ट में दावा किया गया है कि 5 अगस्त बीजेपी की पॉलिटिकल दीवाली है. इस दिन यूनिफॉर्म सिविल कोड की पहली झलक या ड्रॉफ्ट देखने को मिल सकती है. पोस्ट में यह भी दावा किया गया है कि आर्टिकल 370 का दूसरा अध्याय यानी गिलगिट-बाल्टिस्तान/पीओके को रिक्लेम करने की चेतावनी दी जा सकती है या फिर पीओके को लेकर कड़ा बयान या प्रस्ताव आ सकता है.


उमर अब्दुला ने क्या कहा?

उमर अब्दुल्ला ने कहा, "मैंने कल जम्मू-कश्मीर में क्या होने वाला है, इस बारे में हर संभव संभावना और संयोजन सुन लिया है, इसलिए मैं पूरी ईमानदारी से कहूंगा कि कल कुछ नहीं होगा. सौभाग्य से कुछ बुरा नहीं होगा, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ सकारात्मक भी नहीं होगा. मैं अभी भी संसद के इस मानसून सत्र में जम्मू-कश्मीर के लिए कुछ सकारात्मक होने को लेकर आशावादी हूं, लेकिन कल नहीं. मैंने दिल्ली में लोगों से कोई मुलाकात या बातचीत नहीं की है. यह बस एक आंतरिक भावना है. देखते हैं कल क्या होता है."


क्या जम्मू-कश्मीर को मिलेगा फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा? या वहां की राजनीतिक संरचना में कोई बड़ा बदलाव होने वाला है? इस पर अब पूरे देश की निगाहें टिकी हैं.

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