EXCLUSIVE: पाकिस्तान को तबाह करके Operation Sindoor भारत के दोस्त और दुश्मन भी सामने ले आया है!

ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाकर भारत की सैन्य शक्ति, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय साख को मजबूती दी है. दुनिया के कई देशों की खामोशी ने भारत को उसके असली दोस्त और छिपे दुश्मनों की पहचान करा दी है. अमेरिका जैसे देश का दोहरा रवैया उजागर हुआ, जबकि रूस, फ्रांस और इजराइल भारत के साथ मजबूती से खड़े नजर आए. भारत को अब तटस्थ देशों के व्यवहार के आधार पर भविष्य की रणनीति तय करनी होगी.;

By :  संजीव चौहान
Updated On : 26 May 2025 11:28 AM IST

“ऑपरेशन सिंदूर” की तपिश ने केवल दुष्ट पाकिस्तान और उसकी जमीन पर पाले जा रहे आतंकवादी तबाह हुए हैं. अपितु ऑपरेशन सिंदूर ने ही भारत-पाकिस्तान के दोस्त और दुश्मनों को भी परदे से बाहर ला खड़ा किया है. ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया के तमाम देशों की खामोशी और बोली ने तय कर दिया है कि, आइंदा भारत के किसी अब से भी बड़े ऑपरेशन सिंदूर में कौन-कौन देश हिंदुस्तान के साथ सीना तानकर खड़े होंगे? आइए जानते हैं ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की ज़मीन पर बनी आतंकवादियों की कब्रों के अलावा, भारत ने और क्या कुछ हासिल किया है?

“स्टेट मिरर हिंदी” ने इस बारे में देश के कई अनुभवी कूटनीतिज्ञ, विदेश नीति के जानकारों, रक्षा और सामरिक मामलों के विशेषज्ञों और भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ (RAW) के दो पूर्व खुफिया अफसरों से बात की. रॉ के एक पूर्व विशेष निदेशक स्तर के अधिकारी ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के पहले फेज ने भारत को जो दिया है, उससे भारत के दोस्त और दुश्मन सब हैरान हैं. दोस्त इसलिए हैरान हैं क्योंकि भारतीय फौजों ने ऑपरेशन सिंदूर में जिस तरह सटीक स्थानों को टारगेट किया. वह काबिल-ए-तारीफ है.

भारत पर कोई लांछन नहीं लगा सकता कि...

आज भारत के ऊपर दुनिया का कोई देश इस बात का लांक्षन नहीं लगा सकता है कि भारत ने, दुश्मन देश (आतंकवादियों की फैक्टरी या कहिए पनाहगाह पाकिस्तान) में किसी तरह से बे-कसूर नागरिकों को निशाना बनाया. जैसा कि पहलगाम और पठानकोट में पाकिस्तानी आतंकवादी करते आ रहे हैं. इसलिए कह सकता हूं कि भारत के दोस्त भारत की अचूक निशाना लगाने की क्षमता के कायल हो गए हैं. जबकि हमारे (भारत) दुश्मन देशों को भारत की यह सफलता कतई नहीं पचेगी.”

ऑपरेशन सिंदूर ने हमें दुनिया में स्थापित किया

भारतीय थलसेना (Indian Army) के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल वी के चतुर्वेदी (Retired Lieutenant General VK Chaturvedi) जोकि रक्षा विदेश और भारत की सामरिक नीतियों को लेकर बेहतर ज्ञान रखते हैं, बोले, “ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की विदेश, रक्षा, कूटनीति का परचम दुनिया में लहरा दिया है. अब दुनिया का कोई देश भारत से उसकी किसी भी अंतरराष्ट्रीय नीति पर कभी सवाल नहीं उठा सकता है. पाकिस्तान में सिर्फ और सिर्फ आतंकवादियों के अड्डों को तबाह करके भारत और उसकी फौज ने साबित कर दिया है कि, भारत हमेशा न्याय के साथ खड़ा है. अत्याचार में भारत का कोई विश्वास नहीं है. अगर भारत को अत्याचार ही करना होता तो फिर वह, पाकिस्तान के जनमानस को भी ऑपेरशन सिंदूर के तहत नुकसान पहुंचा सकता था.”

पहलगाम में हमारी चूक का हिसाब बराबर

भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के ही अमेरिका, लंदन, मुस्लिम देशों, नेपाल और पाकिस्तान में कई साल तैनात रह चुके एक अधिकारी (डिप्टी सेक्रेटरी) के अनुसार, “22 अप्रैल 2025 को जब पहलगाम कांड पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया. तब हम लोग (भारतीय खुफिया, सैन्य, जम्मू कश्मीर पुलिस और उसकी स्थानीय खुफिया विंग) को कहीं मुंह छिपाने की जगह नहीं मिल रही थी. क्योंकि तब हम कमजोर साबित हो चुके थे. अब जब ऑपरेशन सिंदूर ने पहलगाम से कई गुना ज्यादा तबाही पाकिस्तानी आतंकवादी कैंप्स को तबाह करके हिसाब बराबर कर लिया है. तो सोचिए भला भारत के दुश्मन देशों को यह कैसे अच्छा लगेगा?

पाकिस्तान नहीं चेता तो ऑपरेशन सिंदूर-2...

हां, इतना जरूर है कि भारत के ऑपरेशन सिंदूर-वन ने (अगर पाकिस्तान अभी भी बाज नहीं आया तो भारत ऑपरेशन सिंदूर-2 की फभी तैयारी किए शर्तिया बैठा होगा) भारत के दोस्त और दुश्मनों को सामने ला खड़ा किया है. अब कुछ भी परदे में छिपा नहीं रहा है. भारत को समझ लेना चाहिए कि ऑपरेशन सिंदूर पर कौन सा देश भारत के साथ खुलकर खड़ा हुआ. कौन से देश पाकिस्तान और भारत पर तटस्थ रहकर अपनी कूटनीतिक-विदेश नीति के लिहाज से खामोश रहकर आगे बढ़ गये. मुस्लिम देशों को मिलाकर जो भी देश तटस्थ रहे, उनके बारे में भारत को आइंदा के लिए ठंडे दिमाग से सोचना पड़ेगा कि, यह देश आखिर किसी मुसीबत के दौर में भारत और पाकिस्तान में से किसके साथ खड़े होंगे?”

भारत के दोस्त और दुश्मन सामने आ गए हैं

इन दिनों अमेरिका में मौजूद और भारतीय थलसेना (Indian Army) के रिटायर्ड मेजर जनरल सुधाकर जी (Retired Major General Sudhakar Jee) कहते हैं, “मैं विश्व कूटनीति-रक्षा या सामरिक नीतियों का एक्सपर्ट तो नहीं हूं. मगर ऑपरेशन सिंदूर में जिस तरह से सटीक निशाना साधकर भारतीय फौजों ने, पाकिस्तान में आतंकवादी कैंपों पर हमला बोलकर वहां तबाही मचाई है. उससे एक बात साफ हो चुकी है कि इन आतंकवादियों की कब्रों के अंदर से, भारत के दोस्त और दुश्मन दोनों ही निकल कर सामने आ खड़े हुए हैं. इनमें दोस्त कौन और दुश्मन कौन है? यह भारत को बहुत कम समय में तय करना है.

भारत को इसी वक्त चेत जाना चाहिए

रिटायर्ड मेजर जनरल सुधाकर जी कहते हैं, ''मेरे हिसाब से तो भारत को चेत जाना चाहिए कि उसके साथ मुसीबत के वक्त में सिवाए फ्रांस, इजराइल और रूस के और कोई चौथा देश शायद ही खुलकर खड़ा होगा. इसमें मैं भारत के आसपास मौजूद देश जैसे कि म्यांमार, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, अफगानिस्तान, बांग्लादेश को नहीं जोड़ रहा हूं. क्योंकि यह सभी देश भारत के साथ लंबे समय से जुड़े हैं. किसी मुसीबत के दौर में यह अपने-अपने हिसाब से अचानक मोड़ ले सकते हैं. हां, जहां तक बात चीन और अमेरिका या मुस्लिम देशों की है. तो चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बयान बदलते रहने में ही अपना वक्त गंवा दिया. कमोबेश यही हालत मक्कार मतलबपरस्त अमेरिका की रही.''

अमेरिका को भारत-पाकिस्तान दोनों की जरूरत

अमेरिकी राष्ट्रपति की तो समझ में यह नहीं आ रहा है कि वह, पाकिस्तान पर किए गए भारत के ऑपरेशन सिंदूर पर कब क्या कह जा रहा है? अमेरिका को भारत ताकतवर नजर आता है. तो दूसरी तरफ आतंकवाद की फैक्टरी और भारत का कट्टर दुश्मन पाकिस्तान अपने बुरे वक्त में (चीन से लड़ाई के वक्त) अमेरिका को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी सा दिखाई दे रहा है. इसीलिए अमेरिकी राष्ट्रपति ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक तरफ जहां भारत द्वारा लागू सीजफायर की घोषणा खुद करने को बेताब नजर आए. तो वहीं दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप, ऑपरेशन सिंदूर में तबाह पाकिस्तान को अपने टुकड़ों पर पालने के लिए उसे 1 बिलियन डॉलर की मदद तुरंत देते दिखाई दिए. इससे साफ है कि स्वार्थी अमेरिका को उसकी जरूरत के हिसाब से भारत और पाकिस्तान दोनों की जरूरत पड़ेगी. अमेरिका मतलबपरस्त देश है था और रहेगा.”

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से दुनिया हैरान

स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में भारतीय थलसेना के रिटायर्ड मेजर तिलक राज कक्कड़ (Ex IPS TR Kakkar) कहते हैं, “ऑपरेशन सिंदूर बेशक बेहद कारगर रहा है. सिंदूर ने दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कर दिया है. इसमें भी कोई शक नहीं है. हां, ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुनिया के कई देश सन्नाटे में हैं. यह देखकर कि उन्होंने भारत के पास इतने सटीक निशाने की फौज और इस कदर के खतरनाक अत्याधुनिक हथियारों-गोला बारूद लड़ाकू विमानों की तो सपने में कल्पना नहीं की थी, जितना की भारत और उसकी फौजों ने 23 मिनट के ऑपरेशन सिंदूर में 6-7 मई 2025 को आधी रात के बाद, पाकिस्तानी आतंकवादी कैंपों पर कहर बरपा डाला.

तटस्थ-खामोश देशों में से दुश्मन-दोस्त छांटने हैं

तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के बेड़े में सचिव आंतरिक सुरक्षा रह चुके तिलक राज कक्कड़ कहते हैं, भारत को हमेशा चीन और पाकिस्तान से भी ज्यादा सतर्क अमेरिका से रहना होगा. ऑपरेशन सिंदूर के बाद चंद दिनों में ही तमाम बदल बदल कर दिए गए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान, अमेरिकी-विदेश रक्षा और सामरिक नीति को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. रूस और इजराइल-फ्रांस अगर भारत के साथ खुलकर खड़े हैं. तो बाकी तटस्थ-खामोश रहे देशों में से भी भारत को ही अब अपने दोस्त-दुश्मन खुद और जल्दी से जल्दी तलाशने होंगे.”

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