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EXPLAINER: Operation Sindoor में हुए CEASEFIRE पर कोसने से पहले भारत का कूटनीतिक ‘खेल’ समझिए, दिमाग खुल जाएगा...

पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित नरसंहार का जवाब भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से दिया, जिसमें पहले ही दिन दुश्मन के नौ आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए गए. तीसरे दिन सीजफायर की घोषणा ने रणनीति को नई दिशा दी. पूर्व खुफिया अधिकारियों और रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला भारत की सैन्य और कूटनीतिक चतुराई का प्रतीक बना, जिसने दोतरफा लाभ सुनिश्चित किया.

EXPLAINER: Operation Sindoor में हुए CEASEFIRE पर कोसने से पहले भारत का कूटनीतिक ‘खेल’ समझिए, दिमाग खुल जाएगा...
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 26 May 2025 11:32 AM IST

पहलगाम में पाकिस्तान द्वारा अंजाम दिलवाए गए नरसंहार (Pahalgam Terror Attack) के जवाब में, भारत द्वारा लॉन्च 'ऑपरेशन सिंदूर' (Operation Sindoor) के तीसरे दिन ही सीजफायर (Ceasefire) की घोषणा को लेकर जितने मुंह उतनी बातें सामने आ रही हैं. अपने विचार व्यक्त करने के लिए हर कोई स्वतंत्र है. कुछ लोग भारत द्वारा सीजफायर लागू किए जाने को ‘सही’ तो तमाम लोग इसे ‘गलत’ ठहरा रहे हैं.

सीजफायर को लेकर दुनिया भर के खुफिया और रक्षा विशेषज्ञों के इनसाइड स्टोरी के अंदर मौजूद गुणा-गणित समझ में आते ही, मगर तमाम लोग इस बात से सहमत हो जाएंगे कि, भारत ने सही मौके पर ऑपरेशन सिंदूर से चोट करके, सही समय पर ही ‘सीजफायर’ लागू करके, दोनो हाथों में लड्डू रखे हैं. आखिर यह सब कैसे? इस सवाल के जवाब के लिए ही स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर (क्राइम इनवेस्टीगेशन) ने बात की देश के कुछ पूर्व खुफिया अफसरों (IB RAW) और भारत के रक्षा विशेषज्ञों व दबंग अनुभवी पुलिस अफसरों से.

मेरे हिसाब से पहलगाम हमले का हिसाब बराबर हुआ

लंदन में खुफिया एजेंसी के डिप्टी सेक्रेटरी रह चुके पूर्व रॉ अफसर के मुताबिक, “देश की हुकूमत, फौजें और इंटेलीजेंस एजेंसियां कभी भी जनभावनाओं की हिसाब से नहीं चलती हैं. किसी भी देश को मजबूत बनाने के लिए उसकी हुकूमत-सेनाए, खुफिया एजेंसियां बहुत विस्तार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोचती-करती हैं. ऑपरेशन सिंदूर में तीन दिन के अंदर ही सीजफायर को लेकर दुनिया या भारत की जनता क्या सोचती है? इससे फर्क नहीं पड़ता है. जरूरी यह है कि ऑपरेशन सिंदूर में सीजफायर लागू किया जाना हिंदुस्तान के हित में क्यों और कितना है?

मेरी नजर में भारत को पहलगाम का हिसाब ऑपरेशन सिंदूर के जरिए बराबर करना था. सो पहली रात में ही कर लिया गया. 25 मिनट में पाकिस्तान के नौ मुख्य आतंकवादी शिविरों को तबाह करके. और उनमें मौजूद आतंकवादियों की भीड़ को कब्रिस्तान पहुंचा कर. अब तो 6-7 मई 2025 की रात ऑपरेशन सिंदूर में बाकी तीन दिन में पाकिस्तान में तबाही-हाहाकार मचाकर भारत ने जो कुछ हासिल किया. वह हमारी बोनस सफलता और दुनिया में धाक की वजह सिद्ध हुआ है.”

ठंडे दिमाग से सोचो... सांप मर गया लाठी टूटी नहीं

भारतीय थलसेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी कहते हैं, “भारत ने एक महीने के बराबर पाकिस्तान को उसकी औकात तीन दिन में बता दी है. अगर भारत की मार से बेहाल न हुआ होता तो रहम और सीजफायर की भीख मांगने भारत के पांवों में आकर न गिड़गिड़ाया होता. अतरराष्ट्रीय, कूटनीति, हमारी विदेश और रक्षा नीति की यह वह जीत है, जिस पर दुनिया का कोई देश (अमेरिका, चीन छोड़कर) उंगली नहीं उठा सकता है. सीजफायर की भीख भारत से पाकिस्तान ने मांगी. इससे भी भारत की भविष्य की अर्थ-व्यवस्था और हमारी फौजों का ही फायदा हुआ है. कहूं कि ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद पाकिस्तान की मांग पर भारत द्वारा माने गए सीजफायर ने, सांप भी मार दिया और लाठी भी टूटी नहीं.”

सीजफायर की तह में 4 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था

भारत ने पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने पर उसे भीख में ही सही मगर ‘सीजफायर’ देकर दुनिया के सामने तो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से खुद को कमजोर साबित कर ही दिया है? इस सवाल का जवाब खंगालने बैठिए तो अंदर की कहानी बहुत चौंकाने वाली है. क्या एक निर्लज्ज देश पाकिस्तान के सामने बे-वजह युद्ध में अड़कर, भारत अपनी 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का भी ख्याल रखने का ह़क नहीं रखता है.

भारत ने दूरगामी परिस्थितियां पहचान लीं

क्या भारत को यह नहीं समझना चाहिए कि मौकापरस्त और भीख व आतंकवादियों के रहम-ओ-करम पर पल रहे पाकिस्तान के सामने अड़ने में ही, अपनी फौज और धन खर्च देने से वह (भारत) खोखला होकर कौन सी समझदारी अपने हित में कर लेगा? एक जिम्मेदार देश का उदाहरण पेश करते हुए भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में सीजफायर की घोषणा करके, फिलहाल वही कहावत चरितार्थ कर दी है कि, शिकार करने के लिए शेर हमेशा एक कदम पीछे हटकर ही छलांग लगाता है.

सीजफायर से पहले भारत ने बहुत सोचा है

जो लोग सीजफायर को लेकर पानी पी-पी कर भारत को कोस रहे हैं. वह नहीं जानते हैं कि आज भारत-पाकिस्तान के बीच शुरू अघोषित युद्ध में मक्कार अमेरिका तटस्थ होकर खामोश खड़ा है. जोकि भारत का परम्परागत शत्रु है. यह बात किसी से नहीं छिपी है. अमेरिका की मक्कारी का ताजा नमूना हाल ही में उसके द्वारा, पाकिस्तान को IMF के रूप में दी गई युद्ध-सहायता है. भारत का दोस्त रूस बीते तीन चार साल से खुद ही अमेरिका-ब्रिटेन और नाटो के जाल में फंसकर यूक्रेन से भिड़ रहा है. भारत का मित्र देश इजराइल खुद ही खून-खराबे की लड़ाई में कई मोर्चों पर उलझा हुआ है. ऐसे में अगर भारत ने भी अपने भले के लिए और भविष्य की नब्ज टटोलकर, पाकिस्तान के भीख में मांगने पर उसे ‘सीजफायर’ देकर कौन सा गुनाह कर दिया है?

भारत ने मजबूत कूटनीति का नमूना पेश किया

इस वक्त अमेरिका में मौजूद भारतीय थलसेना के रिटायर्ड मेजर जनरल सुधाकर जी (Indian Army Major General Sudhakar Jee Retired), नई दिल्ली में मौजूद स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर (क्राइम इंवेस्टीगेशन) से कहते हैं, “सीजफायर का फैसला मुझे भी शुरू में हैरानी वाला लगा. फिर ठंडे दिमाग से आगे-पीछे का सब कुछ सोचा तो लगा कि नहीं, मैं गलत और हिंदुस्तानी हुकूमत इस मुद्दे पर सही है. सीजफायर से भारत ने अपनी कूटनीति मजबूत की है. सैन्य-रक्षा शक्ति को पैनी धार दी है. अर्थव्यवस्था को वक्त रहते सुरक्षित कर लिया है.

पहलगाम कांड के बाद ऑपरेशन सिंदूर से भारत ने उम्मीद से कई गुना ज्यादा पा लिया है. उस हद तक भारत ने सिर्फ तीन दिन में पा लिया है जो, उसे एक महीने के युद्ध में भी शायद हासिल करने में बहुत मेहनत करनी पड़ती. पाकिस्तान को जिस तरह से भारतीय फौजों ने महज तीन दिन में बर्बाद-तबाह किया है. उसका मलबा और लाशें ठिकाने लगाने में ही शायद पाकिस्तान का आर्थिक तराजू टूट जाएगा.”

फ्रंटफुट से बैकफुट पर इसलिए आना सही

पहलगाम के बाद भारत “ऑपरेशन सिंदूर” वाली रात से ही फ्रंटफुट पर था. उसके बाद अचानक 10 मई 2025 को भारत शाम के वक्त ‘सीजफायर’ लगाकर बैकफुट पर क्यों आ गया? भारत सहित बाकी तमाम दुनिया के लोगों के दिमाग में यह सवाल कौंध रहा है? पूछने पर भारतीय थलसेना के रिटायर्ड मेजर जनरल सुधाकर जी (Major General Sudhakar Jee) बोले, “यह सवाल तो मेरे भी जेहन में था कि, जब हमारी फौज ने ऑपेरशन सिंदूर से पाकिस्तान में हाहाकार मचा डाला था तो फिर, अचानक 10 मई 2025 को हिंदुस्तान सीजफायर के जरिए बैकफुट पर क्यों आ गया?

देश और हुकूमत दूरदृष्टि से चला करते हैं

बाद में मैंने ठंडे दिमाग से सोचा कि देश की हुकूमत अकेले किसी व्यक्ति-विशेष की सोच से नहीं चला करती है. इसलिए हमारी हुकूमत ने आर्थिक, सामरिक, रक्षा-सैन्य, कूटनीतिक स्तर पर ही सीजफायर का फैसला देश के हित में लिया होगा. क्योंकि ऑपेरशन सिंदूर के जरिए भारत तीन दिन में ही पहलगाम के नुकसान से कहीं ज्यादा हिसाब पाकिस्तान से चुकता कर चुका है. दुनिया क्या सोचेगी? अमेरिका-चीन क्या सोचेंगे? भारत को यह नहीं सोचना है. भारत ने सीजफायर लागू करने के वक्त वही सोचा होगा जो, उसे सैन्य-सुरक्षा, कूटनीतिक और आर्थिके मोर्चे पर आइंदा के लिए कमजोर न करे. हुकूमत दृढ़-इच्छाशक्ति और दूरदृष्टि से चलती है. आमजन की सोच से नहीं.”

सीजफायर का फैसला गलत कैसे हो सकता है?

भारतीय थलसेना के पूर्व अफसर और कारगिल वॉर योद्धा उदय प्रताप सिंह चौहान कहते हैं, “आज की दुनिया में भारत की वैश्विक परिस्थितियां 1971 से एकदम क्या बहुत बदली हुई हैं. तब अगर चीन सामरिक रुप से बलवान नहीं था. तो भारत और पाकिस्तान भी अब से 50 साल पहले परमाणु ताकत नहीं थे. अब से पचास साल पहले सिर्फ और सिर्फ दुनिया के दो ही ताकतवर ध्रुव थे. अमेरिका और रूस. आज अमेरिका और रूस से ताकतवर कई ध्रुव फ्रैंस, इजराइल से मौजूद हैं. भारत ने पाकिस्तान पर जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया तो, तीन दिन सब खामोश रहे.

घर बैठकर गाल बजाने और युद्ध लड़ने में बड़ा फर्क

तीसरे दिन ही तुर्की ने अपने लाव-लश्कर का कुछ हिस्सा पाकिस्तान को भारत के खिलाफ मजबूत करने के लिए भेज दिया. क्या भारत को इस स्थिति-परिस्थिति को नहीं समझना चाहिए था कि, पाकिस्तान को भारत के दबे-छिपे दुश्मन देश किस दिशा में मोड़ने की ओर जुट गए हैं? भारत को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का हिसाब चुकाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर ने कहीं ज्यादा पाकिस्तान से हासिल करवा दिया. भारत के पूर्वी और पश्चिमी छोर ऑपरेशन सिंदूर वाली रात ही सतर्क हो गए थे. चीन खुलकर पाकिस्तान की ओर जा खड़ा हुआ था.

बांग्लादेश सीमा पर भी भारत के खिलाफ हवा हलचल मचाने लगी थी. अगर हिंदुस्तानी हुकूमत बहुआयामी नहीं होती तो, कोई बड़ी बात नहीं थी कि, भारत पाकिस्तान के बीच शुरू हुआ यह अघोषित युद्ध भारत के लिए ‘मल्टी-फ्रंट वॉर’ बन जाता. तब सोचिए सीजफायर का विरोध जताने वाले कहां भारत के साथ और कैसे खड़े होते. घर में बैठकर गाल बजाने और बॉर्डर पर सेना अड़ाकर युद्ध करने में जमीन आसमान का फर्क है.”

'शेर' बच गया गीदड़ों के झुंड में फंसने से

1974 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के दबंग अफसर और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह कहते हैं, “पहलगाम जरूर बहुत बुरा हुआ. उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर से लेकर सीजफायर तक सब कुछ भारत के लिए बहुत अच्छा ही हुआ. सीजफायर लागू किए जाने से भारत की धाक ही दुनिया में जमी है. बेइज्जती तो पाकिस्तान सोचे कि उसका कितना बुरा हाल दुनिया की नजरों में हुआ है. जिसने भारत में आतंकवाद के जरिए अशांति फैलाने की सनक में, महज 3 दिन के अंदर ही हिंदुस्तान फौजों के ऑपरेशन सिंदूर में खुद को तबाह करवा डाला.

मेरे हिसाब से तीन दिन में ही वह भी अघोषित युद्ध में ही भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाकर वह सब हासिल कर लिया है, जो शायद घोषित युद्ध के दौरान हासिल करने में मुश्किल होता. मैं कह सकता हूं कि पाकिस्तान को तीन दिन में ही बर्बाद करके भारत ने, खुद को गीदड़ों के झुंड में फंसे शेर की तरह एकदम बेदाग-सुरक्षित निकाल लिया है.”

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