'मैं साध्वी थी और साध्वी रहूंगी', किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के पद से इस्तीफा देकर बोलीं ममता कुलकर्णी

बॉलिवुड एक्ट्रेस रहीं ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि मुझे यह पद सौंपे जाने के बाद से ही कई लोगों को इससे आपत्ति थी. इसलिए मैं इससे इस्तीफा देती हूं, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि मैं बचपन से साध्वी थी और आगे भी साध्वी रहूंगी.;

( Image Source:  INSTAGRAM- Video Capture )
Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 10 Feb 2025 5:22 PM IST

हाल ही में बॉलिवुड की पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े महामंडलेश्वर का पद सौंपा गया था. हालांकि उन्हें ये पद सौंपे जाने के बाद से ही काफी विवाद हुआ था. ताजा जानकारी के अनुसार अब ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर से इस्तीफा दे दिया है. इसका एक वीडियो भी उन्होंने अपने सोशल मीडया पर पोस्ट किया है.

इस वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि मैं महामंडलेश्वर ममता नंदगिरी इस अपने इस पद से इस्तीफा देती हूं. उन्होंने कहा क जो दो समूहों में लड़ाई इस समय चल रही है, वो सही नहीं. पिछले 25 सालों से ही मैं साध्वी हूं और मैं आगे भी साध्वी ही रहूंगी. उन्होंने कहा कि मुझे जो भी सम्मान महामंडलेश्व के रूप में मिला वह 25 साल तक तैराकी सीखने और फिर बच्चों को इसे सिखाने जैसा था.

अवावश्यक था गुस्सा

वहीं उन्हें इस पद को सौंपे जाने के बाद जो आक्रोश पैदा हुआ उस पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी और कहा कि महामंडलेश्वर के रूप में मेरी नियुक्ति हुई और उसके बाद जो आक्रोश देखा गया उसकी जरूरत नहीं थी वो अनावश्यक था. एक्ट्रेस ने कहा कि आज से 25 साल पहले मैंने बॉलिवुड को भी छोड़ दिया और मैं फिर गायब रही इस तरह मैंने हर चीजों से भी दूरी बना ली.

उन्होंने कहा कि मैं जो कुछ करती हूं उसपर कई लोग अपनी प्रतिक्रियाएं रखते हैं. फिर वो कोई भी क्यों न हो चाहे शंकराचार्य हों या कोई और मुझे किसी भी कैलाश या फिर मानसरोवर जाने की जरूरत नहीं है. ममता कुलकर्णी ने कहा कि मेरे सामने पिछले 25 वर्षों की तपस्या के लिए ब्रह्मांड है.

कई संतों ने जताई थी आपत्ति

आपको बता दें कि ममता कुलकर्णी को यह पद सौंपे जाने के बाद कई संतों ने आपत्ति जताई थी. क्योंकी इस पर कई संतों को आपत्ति थी और विवाद बढ़ता गया इसे देख ऋषि अजय दास ने अभिनेत्री ममता कुलकर्णी और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी दोनों को पद से हटा दिया. इस पर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने सवाल खडे़ किए थे और कहा था कि आखिर मुझे अखाड़े से निकालने वाले वह कौन होते हैं. उन्हें तो 2017 में ही अखाड़े से निकाल दिया गया था.

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