इस गर्ल्स हॉस्टल के टॉयलेट और बाथरूम के दरवाजे तक हैं गायब, ट्यूबवेल का पानी पीने को मजबूर लड़कियां

कर्नाटक के एक गर्ल्स हॉस्टल का हाल इतना बुरा है कि वहां टॉयलेट के दरवाजे नहीं है. इतना ही नहीं, लड़कियों को सरकार द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली चीजें भी नहीं मिल रही हैं. जब यह मामला शिक्षा विभाग तक पहुंचा, तो उन्होंने हॉस्टल का दौरा किया. इसके बाद हेड टीचर के खिलाफ एक्शन लिया गया.;

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Edited By :  हेमा पंत
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जहां आज देश हर मायने में तरक्की कर रहा है. वहीं, कई खबरें कुछ और ही बयां करती हैं. जरा सोचिए क्या हो जब सरकारी हॉस्टल के टॉयलेट के दरवाजे न हो? सुनकर अजीब लग रहा है न, लेकिन यह सच है. उत्तर कर्नाटक के कोप्पल जिले में एक रेजिडेंशियल गर्ल्स हॉस्टल का हाल इतना बेहाल है कि वहां के टॉयलेट और बाथरूम के दरवाजे नहीं हैं.

इस बारे छात्रों ने शिकायत की थी, जिसके बाद समग्र शिक्षा डिपार्टमेंट के असिस्टेंट कोऑर्डिनेटर एच अंजिनप्पा ने 16 जनवरी को कोप्पल तालुक के बेटागेरी में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का दौरा किया.

दिए गए सस्पेंशन के ऑर्डर

उनकी रिपोर्ट के आधार पर डिप्टी डायरेक्टर ऑफ पब्लिक इंस्ट्रक्शन श्रीशैल बिरादर ने 20 जनवरी की हेड टीचर कस्तूरी बदीगर को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया था, लेकिन यह अभी तक लागू नहीं हुआ है. यह स्कूल केंद्र सरकारी ग्रांट पर चलता है. इस साल स्कूल में कक्षा 6, 7 और 8 में 120 छात्राएं हैं. स्कूल और हॉस्टल की बिल्डिंग एक-दूसरे के बगल में हैं.

नोडल ऑफिसर भी हैं प्रिंसिपल

इस मामले में डीडीपीआई का कहना है कि कस्तूरी बेतागेरी में सरकारी मॉडल हायर प्राइमरी स्कूल प्रिंसिपल हैं और विद्यालय हॉस्टल की नोडल ऑफिसर भी हैं. इंस्पेक्शन के दौरान हॉस्टल के टॉयलेट और बाथरूम में दरवाजे नहीं थे. उन्होंने बच्चों की हेल्थ प्रॉब्लम के लिए हेड टीचर जिम्मेदार ठहराया, क्योंकि खिड़कियों में जाली नहीं लगी है. इसके कारण बच्चों को मच्छर जैसे कीड़े काट सकते हैं.

हॉस्टल का नहीं किया गया डॉक्यूमेंटेशन

डीडीपीआई के अनुसार, हेड टीचर ने स्टेट ऑफिस से मिलने वाले हॉस्टल ग्रांट का सही डॉक्यूमेंटेशन नहीं किया है. जब इस मामले में उनसे पूछताछ की गई है, उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंट ब्लॉक एजुकेशन ऑफिस के पास हैं. इतना ही नहीं सरकार द्वारा मुफ्त में दिए जाने वाले नारियल तेल, नोटबुक और ट्रैकसूट जैसी चीजों को भी पूरा बांटा नहीं गया है. अंजिनप्पा की रिपोर्ट में कहा गया है कि हॉस्टल के बच्चे ट्यूबवेल का पानी पी रहे हैं और इसका इस्तेमाल खाना पकाने के लिए भी किया जाता है.

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