क्या होता है एग्जिट पोल, कब हुई थी इसकी शुरुआत, जानें कितने सटीक होते हैं इसके नतीजे
विधानसभा के चुनाव में इस बार दिल्ली में हर पार्टी ने जनता को लुभाने के लिए अपनी सारी ताकत झोंक दी थी. जहां 8 फरवरी को वोटिंग के रिजल्ट आएंगे, जिससे पता चलेगा कि बार दिल्ली की सत्ता पर कौन राज करेगा? वोटिंग के तुंरत बाद एग्जिट पोल किया जाता है, जिससे चुनाव के परिणाम का कुछ हद तक अनुमान लगाया जा सकता है.

दिल्ली में आज वोटिंग है. जहां 70 विधानसभा सीटों पर मतदान किया जा रहा है. वोटिंग का समय सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक है. इसके बाद एग्जिट पोल कर नतीजे घोषित किए जाते हैं. दिल्ली में तीन पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला है. इनमें आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस शामिल है.
इस चुनाव में जो पार्टी बहुमत हासिल करेगी, वह दिल्ली में अपनी सरकार चलाएगी. 8 फरवरी को चुनाव के परिणाम आएंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर एग्जिट पोल होता क्या है?
क्या होता है एग्जिट पोल
एग्जिट पोल एक चुनावी सर्वे है जो मतदान के दिन किया जाता है. इसमें वोट डालकर बाहर निकलने वाले मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया है. इन जवाबों का इस्तेमाल चुनाव परिणामों की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है. इस पूरे प्रोसेस को एग्जिट पोल कहा जाता है.
क्या एग्जिट पोल सटीक होते हैं?
एग्जिट पोल के नतीजे कई चीजों पर निर्भर होते हैं. इनमें वोटर की ईमानदारी, सैंपल का साइज और गलती का मार्जिन शामिल हैं. यानी कितने लोगों से वोटिंग के बाद सवाल किए गए. क्या यह पोल सभी वर्गों और क्षेत्रों का सही प्रतिनिधित्व करता है. इसके अलावा, कभी-कभी लोग पोल में सही जानकारी नहीं देते या वे अपनी पसंद छुपा सकते हैं. ऐसे में एग्जिट पोल के नतीजे गलत साबित होते हैं. हालांकि, इससे लोगों को यह अनुमान लगाने में मदद मिल सकती है कि चुनावों में कौन सी पार्टी आगे रहेगी.
कब हुआ था पहला एग्जिट पोल?
दुनिया में पहली बार अमेरिका में 1936 में हुआ था. यह सर्वे जॉर्ज गैलप और क्लॉड रॉबिनसन ने न्यूयॉर्क में किया था. उन्होंने वोटिंग सेंटर से बाहर आ रहे वोटर्स से पूछा था कि राष्ट्रपति पद के लिए किसे वोट दिया है. एग्जिट पोल के नतीजों में कहा गया था कि फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट चुनाव जीतेंगे और यह बात सच निकली.
भारत में एग्जिट पोल का इतिहास?
1957 में आम चुनाव हुए थे. इस दौरान पोल कराया गया था. हालांकि, इसे पूरी तरह से एग्जिट पोल नहीं कहा गया, लेकिन यही पोल की शुरुआत माना जाता है. इसके बाद 1980 में डॉ. प्रणय ने पहला एग्जिट पोल करवाया था.