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कैसे बदला जाता है किसी राज्य का नाम, क्या होती है पूरी प्रक्रिया? जानें सबकुछ

टीएमसी सांसद ने संसद के बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला करने की मांग की है. उनका कहना है कि उसका कहना है कि यह नाम राज्य के इतिहास और संस्कृति को प्रतिबिंबित करता है. सांसद ने कहा कि बंगाल विधानसभा में जुलाई 2018 में राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है, लेकिन केंद्र ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी. आइए, जानते हैं कि किसी राज्य का नाम कैसे बदला जाता है और इसकी प्रक्रिया क्या है...

कैसे बदला जाता है किसी राज्य का नाम, क्या होती है पूरी प्रक्रिया? जानें सबकुछ
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( Image Source:  ANI )

Bengal Name Can Be Changed: संसद के बजट सत्र के दौरान पश्चिम बंगाल का नाम बदलने का मुद्दा उठाया गया है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला करने की मांग की है. उसका कहना है कि यह नाम राज्य के इतिहास और संस्कृति को प्रतिबिंबित करता है.

टीएमसी सांसद रीताब्रत बनर्जी ने राज्यसभा में कहा कि बंगाल विधानसभा ने जुलाई 2018 में राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया गया है, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे लेकर पीएम मोदी को पत्र भी लिखा है.

कैसे बदला जाता है राज्य का नाम?

किसी राज्य का नाम बदलने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 3 में किया गया है. इसके तहत राज्य विधानसभा या केंद्र सरकार द्वारा राज्य के नाम बदलने का प्रस्ताव रखा जाता है, जिसे राज्य विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी है. विधानसभा से प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भेजा जाता है, जो इसे मंजूरी देती है या अस्वीकार करती है.

यदि केंद्र सरकार प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो संविधान में संशोधन किया जाता है. इस संशोधन को राजपत्र में प्रकाशित किया जाता है, जिससे यह कानूनी रूप से लागू हो जाता है.

राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी

बता दें कि किसी राज्य विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव पर राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी जरूरी है. अनुमोदन के बाद केंद्र सरकार विधेयक को निर्धारित समय के भीतर अने विचार व्यक्त करने के लिए संबंधित राज्य विधानसभाओं को भेजती है. जब अवधि पूरी हो जाती है तो विधेयक का विधानमंडल द्वारा विचार विमर्श के लिए संसद में वापस भेज दिया जाता है. राष्ट्रपति अगर चाहें तो इसकी समयसीमा को बढ़ा सकते हैं.

संसद विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है. वह चाहे तो राज्य विधानसभा की राय को खारिज कर सकती है. विधेयक को साधारण बहुमत से पारित होना जरूरी है. विधेयक को पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. जब राष्ट्रपति इसे मंजूरी दे देते हैं तो यह कानून बन जाता है और राज्य का नाम बदल जाता है. राज्य का नाम बदल जाने के बाद गृह मंत्रालय, इंटेलिजेंस ब्यूरो, डाक विभाग और रजिस्ट्रार जनरल समेत कई एजेंसियों से एनओसी लेनी जरूरी होती है. इसके साथ ही, राज्य को भी नाम बदलने के पीछे की ठोस वजह बतानी पड़ती है.

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