सेमीकंडक्टर में भारत ने मारी बाज़ी, बनाया पहला विक्रम-32 स्वदेशी चिप, जानें खासियत

भारत ने सेमीकंडक्टर तकनीक के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल की है. देश ने पहली बार पूरी तरह से अपना खुद का 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर 'विक्रम-32' तैयार किया है. यह चिप भारतीय वैज्ञानिकों ने देश में ही डिजाइन और तैयार की है, जो तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 2 Sept 2025 1:44 PM IST

भारत ने तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सेमीकॉन इंडिया 2025 कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश का पहला स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम-32’ दिया. यह माइक्रोप्रोसेसर पूरी तरह भारत में ही बनाया गया है, जो देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है.

‘विक्रम-32’ चिप को खास तौर पर अंतरिक्ष जैसी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण जगहों पर काम करने के लिए तैयार किया गया है. इसका मतलब है कि यह चिप बेहद मजबूत और भरोसेमंद है, जो भारत को अंतरिक्ष और अन्य उन्नत तकनीकों में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करेगी. यह सफलता भारत की तकनीकी प्रगति का प्रतीक है.

क्या है विक्रम-32?

विक्रम-32 चिप भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की सेमीकंडक्टर लैब (एससीएल) ने खुद डिजाइन और बनाया है. यह भारत का पहला पूरा स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर है, जो खासकर स्पेस लॉन्च व्हीकल यानी अंतरिक्ष यान के लिए तैयार किया गया है. इस चिप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बहुत ज्यादा गर्मी और मुश्किल अंतरिक्ष के हालातों में भी बिना किसी दिक्कत के काम कर सकती है.

इसरो ने इस चिप के पहले बैच का सफल परीक्षण पीएसएलवी-सी60 मिशन के दौरान अंतरिक्ष में किया, जिससे इसकी मजबूती और भरोसेमंद होने का पता चला. मार्च 2025 में इसे पहली बार आम जनता के सामने पेश किया गया था. यह चिप भारत की चिप बनाने की क्षमता में हुई बड़ी सफलता का भी उदाहरण है.

विक्रम-32 की तकनीकी विशेषताएं

विक्रम-32 एक 32-बिट कंप्यूटर चिप है, जो एक बार में 32 बिट्स की जानकारी को प्रोसेस कर सकती है. यह संख्या (डेसिमल नंबर) के साथ काम करने में भी सक्षम है, जिससे यह बहुत ही जटिल गणनाएं और कमांड आसानी से पूरा कर सकती है. इस चिप को खासतौर पर अंतरिक्ष की कठिन उड़ानों के लिए बनाया गया है, ताकि यह वहां के ज्यादा गर्म तापमान और कठोर वातावरण को सह सके. विक्रम-32 चिप सैटेलाइट और स्पेसक्राफ्ट में इस्तेमाल होने वाले जटिल निर्देशों को अच्छे से संभाल सकती है. इसकी मजबूती और भरोसेमंदता की वजह से इसे रक्षा, एयरोस्पेस, ऑटोमोटिव और ऊर्जा जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

स्वदेशी निर्माण: मोहाली की भूमिका

विक्रम-32 चिप का निर्माण इसरो की सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी (एससीएल) में हुआ है, जो पंजाब के मोहाली शहर में स्थित है. इस चिप को बनाने के लिए 180nm CMOS तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यह कदम भारत को चिप बनाने वाले देशों की दुनिया में मजबूत स्थान दिलाने में मदद करेगा. पिछले तीन सालों में, भारत ने बड़ी सफलता पाई है और अब वह कंज्यूमर से लेकर एडवांस चिप्स तक बनाने में सक्षम हो गया है. यह उपलब्धि सरकार के सहयोग, अच्छे शोध और विकास, मजबूत नीतियों और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की वजह से हासिल हुई है.

सेमीकॉन इंडिया 2025: भारत की बड़ी तकनीकी मेला

सेमीकॉन इंडिया 2025 एक तीन दिन का कार्यक्रम है, जिसका मकसद भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र को मजबूत, टिकाऊ और आत्मनिर्भर बनाना है. इस इवेंट के दौरान देश में पांच नई सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियों की स्थापना का काम चल रहा है. इसके अलावा छह राज्यों में 1.60 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत वाली 10 बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. साथ ही, डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव योजना के तहत 23 से ज्यादा स्टार्टअप्स को भी सरकार की ओर से मदद मिल रही है. इन प्रयासों से भारत अब वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में अपनी खास पहचान बना रहा है.

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