PMKVY में महाझोल! CAG ने खोली पोल, लाखों लाभार्थियों के अकाउंट नंबर 11111111111, सेंटर बंद, लेकिन पोर्टल पर ट्रेनिंग चालू

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) को लेकर एक के बाद एक गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं. फर्जी बैंक अकाउंट, अमान्य मोबाइल नंबर, बिना ट्रेनिंग सर्टिफिकेट और लाखों युवाओं को भुगतान न मिलने जैसे मामलों ने योजना की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ऑडिट रिपोर्ट और जांच में यह भी सामने आया कि कई ट्रेनिंग सेंटर कागजों पर ही चल रहे थे, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और थी. रोजगार देने के उद्देश्य से शुरू की गई इस योजना में निगरानी की भारी कमी दिखी है, जिससे करोड़ों रुपये के दुरुपयोग की आशंका जताई जा रही है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 20 Dec 2025 9:31 AM IST

देश के युवाओं को रोजगार के काबिल बनाने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) पर अब सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. क्या यह योजना वाकई युवाओं तक पहुंची, या कागजों में ही करोड़ों खर्च हो गए? इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, CAG की ताजा रिपोर्ट ने इस फ्लैगशिप स्कीम की जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया है.

जब बेरोजगारी दर 15 प्रतिशत तक पहुंच चुकी हो और सरकार की सबसे अहम स्किल योजना में बैंक अकाउंट नंबर तक फर्जी निकलें, तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं, सिस्टम फेल्योर का संकेत है. CAG की रिपोर्ट ने बताया है कि कैसे एक राष्ट्रीय योजना डेटा, निगरानी और भुगतान तीनों स्तर पर लड़खड़ा गई.

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PMKVY क्या है और क्यों अहम मानी जाती है?

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जुलाई 2015 में शुरू की गई थी, ताकि युवाओं को इंडस्ट्री-रेडी स्किल्स देकर रोजगार दिलाया जा सके. 2015 से 2022 के बीच इसके तीन चरण चले, जिन पर करीब 14,450 करोड़ रुपये खर्च हुए और 1.32 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया.

बैंक अकाउंट घोटाला: 94% डेटा अविश्वसनीय

CAG की सबसे चौंकाने वाली खोज यह रही कि PMKVY 2.0 और 3.0 के तहत 95 लाख से ज्यादा लाभार्थियों में से 94.53% के बैंक अकाउंट डिटेल या तो खाली थे, या ‘Null’, ‘N/A’ जैसे शब्दों से भरे थे. कई मामलों में ‘11111111111’ और ‘123456’ जैसे अकाउंट नंबर दर्ज मिले.

एक अकाउंट, कई लाभार्थी: DBT पर सवाल

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 12,122 बैंक अकाउंट नंबर 52,381 अलग-अलग लाभार्थियों के लिए दोहराए गए. इसका मतलब साफ है कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) जैसी व्यवस्था होने के बावजूद भुगतान की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह है.

34 लाख युवाओं को अब तक पैसा नहीं मिला

CAG के मुताबिक, 95.91 लाख प्रमाणित उम्मीदवारों में से 34 लाख से ज्यादा को आज तक भुगतान नहीं हुआ. मंत्रालय यह तक नहीं बता सका कि इन युवाओं को पैसा दिलाने के लिए क्या प्रयास किए गए. यह स्थिति तब है जब हर प्रमाणित उम्मीदवार को 500 रुपये DBT से मिलने थे.

ईमेल सर्वे भी फेल: एक ही ID से जवाब

CAG ने ऑनलाइन सर्वे भी किया, जिसमें 36.5% ईमेल डिलीवर ही नहीं हुए. जो जवाब आए, उनमें से अधिकांश एक ही ईमेल ID या ट्रेनिंग पार्टनर के अकाउंट से थे. इससे यह शक और गहरा हो गया कि लाभार्थियों का डिजिटल डेटा भी सही नहीं है.

बंद ट्रेनिंग सेंटर, लेकिन कागजों में क्लास चालू

बिहार, यूपी, महाराष्ट्र और राजस्थान में कई ट्रेनिंग सेंटर बंद मिले, जबकि पोर्टल पर दिखाया गया कि वहां ट्रेनिंग चल रही है. बिहार के बांका जिले में तो फिजिकल इंस्पेक्शन के दिन ही ट्रेनिंग शेड्यूल दिखाई गई.

एक ही फोटो, कई स्टूडेंट्स

CAG ने यह भी पाया कि अलग-अलग राज्यों में एक ही फोटो कई लाभार्थियों के लिए इस्तेमाल की गई. यह न सिर्फ फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है, बल्कि ट्रेनिंग की वास्तविकता पर भी सवाल खड़े करता है.

मंत्रालय का जवाब: अब सब डिजिटल और सख्त

सरकार ने CAG रिपोर्ट पर सफाई देते हुए कहा कि अब योजना को पूरी तरह टेक्नोलॉजी-ड्रिवन बना दिया गया है. आधार आधारित e-KYC, फेस ऑथेंटिकेशन, जियो-टैग्ड अटेंडेंस, QR कोड सर्टिफिकेट और गैर-मानक संस्थानों पर ब्लैकलिस्टिंग जैसे कदम उठाए गए हैं.

सुधार काफी है या देर हो चुकी है?

PMKVY पर CAG की रिपोर्ट सिर्फ पिछली गलतियों का लेखा-जोखा नहीं है, बल्कि भविष्य की चेतावनी भी है. सवाल यह है कि क्या नए सुधार जमीन पर दिखेंगे, या फिर यह योजना भी कागजों में सफल और हकीकत में विफल बनकर रह जाएगी?

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