क्या राहुल गांधी मानेंगे... पवन खेड़ा ‘चोर’ हैं! दो वोटर कार्ड विवाद पर बीजेपी का पलटवार; सफाई में क्या बोली कांग्रेस?
राहुल गांधी के "वोट चोरी" बयान के बाद अब बीजेपी ने कांग्रेस पर ही पलटवार किया है. भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया कि कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा के पास दो सक्रिय वोटर कार्ड हैं. इस आरोप ने चुनावी सियासत को गरमा दिया है. कांग्रेस का कहना है कि खेड़ा ने पुराना कार्ड सरेंडर करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी थी. अब निगाहें चुनाव आयोग की कार्रवाई पर हैं.

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. राहुल गांधी ने हाल ही में "वोट चोरी" का मुद्दा उठाकर बीजेपी को कठघरे में खड़ा किया था. लेकिन अब पलटवार करते हुए बीजेपी ने कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा पर ही दो वोटर कार्ड होने का गंभीर आरोप लगाया है. इस विवाद ने चुनावी माहौल में नई गर्मी ला दी है और दोनों दल आमने-सामने खड़े हो गए हैं.
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर डॉक्यूमेंट शेयर करते हुए कहा कि पवन खेड़ा का नाम दो विधानसभा क्षेत्रों जंगपुरा और नई दिल्ली की वोटर लिस्ट में दर्ज है. मालवीय का आरोप है कि खेड़ा के पास दो सक्रिय EPIC नंबर (मतदाता पहचान पत्र) मौजूद हैं, जो कानूनन पूरी तरह गलत है. उनका तर्क है कि राहुल गांधी 'वोट चोरी' पर अभियान चला रहे हैं, लेकिन उनके सहयोगी ही इस प्रैक्टिस में शामिल पाए गए.
चुनाव आयोग से शिकायत की तैयारी
मालवीय ने इसे सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित न रखते हुए चुनाव आयोग से आधिकारिक जांच की मांग भी उठाई है. उनका सवाल है कि क्या पवन खेड़ा ने कभी एक से अधिक बार मतदान किया है? अगर हां, तो यह न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है बल्कि पूरी चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करता है. बीजेपी चाहती है कि आयोग तत्काल संज्ञान ले और कानूनी कार्रवाई करे.
राहुल गांधी पर हमला
बीजेपी नेताओं ने इस विवाद को राहुल गांधी से भी जोड़ दिया है. अमित मालवीय ने तंज कसते हुए कहा कि जैसे सोनिया गांधी ने भारत की नागरिकता लेने से पहले मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवाया था, वैसे ही अब कांग्रेस के अन्य नेता भी चुनावी नियमों की अनदेखी कर रहे हैं. बीजेपी इसे कांग्रेस की "वोट चोरी की पुरानी आदत" बता रही है और राहुल गांधी के आरोपों को "दोमुंही राजनीति" करार दे रही है.
क्या बोले बीजेपी प्रवक्ता?
दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि बीते कुछ दिनों से राहुल गांधी देशभर में जाकर आम नागरिकों को ‘फर्जी’ और ‘चोर’ बताने का काम कर रहे हैं. लेकिन असली सवाल यह है कि उनकी पार्टी का करीबी सहयोगी पवन खेड़ा खुद वोटर आईडी से जुड़े गंभीर आरोपों में फंसे हैं. उन्होंने आगे कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (Representation of the People Act 1951) की धारा 62(2) के मुताबिक़ कोई भी व्यक्ति एक से अधिक विधानसभा क्षेत्र में मतदान नहीं कर सकता. जबकि पवन खेड़ा का नाम कथित रूप से दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज है. भंडारी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए सवाल उठाया, “क्या राहुल गांधी मानेंगे कि असली ‘चोर’ पवन खेड़ा हैं?”
कांग्रेस की सफाई
कांग्रेस ने इस आरोप को राजनीतिक साजिश बताते हुए सफाई दी है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पवन खेड़ा ने पुराना वोटर कार्ड सरेंडर करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी थी और दस्तावेज़ों में देरी की वजह से यह मामला गलत रूप में सामने आया. उनका कहना है कि बीजेपी असल मुद्दों पर घिरी हुई है और ध्यान भटकाने के लिए "वोटर कार्ड विवाद" को उछाल रही है. खेड़ा खुद भी इस पर विस्तृत जवाब जल्द देने वाले हैं.
सियासी खेल और आरोप-प्रत्यारोप
यह विवाद अब केवल पवन खेड़ा तक सीमित नहीं रह गया है. बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस वर्षों से चुनावी प्रक्रिया को कमजोर करती रही है और अब आयोग की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (Special Intensive Revision) से उनकी पोल खुल रही है. दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी बार-बार मतदाता सूची को राजनीतिक हथियार बना रही है, जबकि असली मुद्दे बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्या हैं.
माना जाता है कानूनी अपराध?
वोटर आईडी कार्ड किसी भी नागरिक की चुनावी पहचान का आधार होता है. ऐसे में अगर किसी नेता के पास दो सक्रिय कार्ड पाए जाते हैं तो यह न केवल कानूनी अपराध है बल्कि जनता के भरोसे के साथ खिलवाड़ भी माना जाएगा. खासतौर पर जब मामला कांग्रेस प्रवक्ता जैसे हाई-प्रोफाइल चेहरे का हो, तो इसका राजनीतिक असर और भी गहरा हो सकता है.
वोट चोरी बनेगा बहस का मुद्दा
अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग की कार्रवाई पर टिकी हैं. क्या आयोग पवन खेड़ा के खिलाफ जांच शुरू करेगा या कांग्रेस की सफाई को स्वीकार करेगा? बीजेपी इस मामले को चुनावी मुद्दा बनाने के मूड में है, वहीं कांग्रेस इसे "झूठा प्रचार" बताकर टालना चाहती है. इतना तय है कि "वोट चोरी" का यह नया विवाद आने वाले चुनावी सीजन में लंबा खिंचेगा और राजनीतिक बहस का अहम मुद्दा बनेगा.