उतरा चेहरा, शपथ में बाला साहेब का नाम; एकनाथ शिंदे के शपथ के क्या हैं मायने?
Eknath Shinde: एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ले ली है. इससे पहले, उनका चेहरा उतरा हुआ था. उन्होंने शपथ ग्रहण करने से पहले बाला साहेब ठाकरे और आनंद दिघे का नाम लिया. इसके क्या सियासी मायने हैं, आइए जानते हैं...;
Eknath Shinde: महाराष्ट्र में आज नया इतिहास रचा गया. पहली बार किसी डिप्टी सीएम ने सीएम पद की शपथ ली है. देवेंद्र फडणवीस के नाम एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज हो गई है. उन्होंने मुंबई के आजाद मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में शपथ ली. उन्हें राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने पद और गोपनीयता की शपथ ली. उनके बाद एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली.
देवेंद्र फडणवीस के बाद एकनाथ शिंदे ने शपथ ली. उन्होंने पहले अविभाजित शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे और आनंद दिघे का नाम लिया. इसके बाद पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया. आइए जानते हैं शिंदे के शपथ के क्या मायने हैं...
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शिंदे का चेहरा क्यों उतरा हुआ था?
कोई भी नेता यह नहीं चाहता कि वह मुख्यमंत्री बनने के बाद उपमुख्यमंत्री बने. शिंदे इससे काफी निराश थे. यह उनके चेहरे से भी झलक रहा था. वे शपथ ग्रहण समारोह में फडणवीस और अजित पवार के साथ नहीं बैठे थे. बल्कि अलग बैठे हुए थे. उनका चेहरा भी उतरा हुआ था.
शिंदे ने क्यों लिया बाला साहेब ठाकरे और आनंद दिघे का नाम?
बाला साहेब ठाकरे का नाम लेकर एकनाथ शिंदे ने यह संकेत दिया कि असली शिवसेना उनकी पार्टी ही है. वे बाला साहेब के दिखाए गए रास्तों पर चलते हैं. वे ही उनके सच्चे उत्तराधिकारी हैं. शिंदे ने आनंद दिघे का नाम इसलिए लिया, क्योंकि उन्हें राजनीति में लाने का श्रेय दिघे को ही है. दिघे को शिंदे अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं. उन्होंने अपना सियासी सफर भी दिघे के मार्गदर्शन में शुरू किया था. विघे का नाम लेकर उन्होंने संकेत दिया है कि वे अपने साथ खड़े होने वालों को कभी नहीं भूलते हैं.
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महायुति सरकार में क्या सब ठीक है?
शिंदे के शपथ लेने से पहले यह खबर सामने आई थी कि शायद वे डिप्टी सीएम नहीं बनेंगे. कहा जा रहा था कि वे गृह विभाग न मिलने से नाराज हैं. उन पर शिवसेना के विधायकों का दबाव पड़ा, जिसकी वजह से वे बाद में मान गए. शिंदे का नाम शपथ ग्रहण समारोह के निमंत्रण पत्र पर नहीं था. अब शिंदे ने शपथ लेकर महाराष्ट्र की जनता को यह विश्वास दिलाया है कि महायुति सरकार में सब ठीक है. बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी में कोई विवाद नहीं है. शिंदे ने शपथ लेने के बाद पीएम मोदी, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के साथ फोटो भी खिंचवाया.
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एकनाथ शिंदे का राजनीतिक करियर
एकनाथ शिंदे का जन्म 9 फरवरी 1964 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था. वे 1997 में पहली बार ठाणे महानगर पालिका (TMC) के पार्षद बने. इसके बाद 2001 में वे TMC में सदन के नेता चुने गए. शिंदे 2004 में पहली बार ठाणे से विधायक बने. इसके बाद वे 2014 में शिवसेना विधायक दल के नेता चुने गए. उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया. शिंदे 2019 में एमवीए सरकार में भी कैबिनेट मंत्री बने. हालांकि, बाद में उन्होंने बगावत कर दी. बाद में, 30 जून 2022 को वे पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने.
बीजेपी को 132 सीटों पर मिली जीत
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. बीजेपी को 132, शिवसेना को 57, जबकि एनसीपी को 41 सीटें मिली हैं. महायुति के पास 230 सीटें यानी जरूरी दो तिहाई बहुमत से भी ज्यादा सीटें हैं.