अल्लाह में विश्वास रखने वाला पूजा नहीं कर सकता... अबू आजमी ने वंदे मातरम गाने से किया इनकार, बीजेपी बोली- पाकिस्तान चले जाओ

समाजवादी पार्टी नेता अबू आज़मी ने वंदे मातरम गाने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, “अल्लाह में विश्वास रखने वाला पूजा नहीं कर सकता.” बीजेपी नेताओं ने उनके घर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया और उन्हें देशद्रोही बताते हुए पाकिस्तान जाने की नसीहत दी. महाराष्ट्र सरकार ने वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर सभी स्कूलों में गीत गाने का निर्देश दिया था. आज़मी ने कहा कि वे गीत का सम्मान करते हैं, लेकिन किसी पर इसे थोपना गलत है.;

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महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गए हैं. राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ को लेकर दिए गए उनके बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. आज़मी ने साफ कहा, “जो अल्लाह में यकीन रखता है, वह अपनी मां की भी पूजा नहीं करता, तो धरती या सूरज की पूजा कैसे कर सकता है.”

दरअसल, वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर महाराष्ट्र के सभी स्कूलों को 31 अक्टूबर से 7 नवंबर तक पूर्ण संस्करण गाने का निर्देश दिया गया था. इसी बीच मुंबई में सामूहिक वंदे मातरम गायन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें अबू आज़मी को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होने और गीत गाने से इनकार कर दिया.



बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अबू आजमी के घर के बाहर किया विरोध प्रदर्शन

अबू आजमी के इस इनकार के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध किया और मुंबई के बांद्रा स्थित उनके आवास के बाहर ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए. प्रदर्शन में बीजेपी विधायक राज के. पुरोहित, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नारवेकर और मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा समेत कई नेता शामिल हुए.

'अगर देश से प्रेम नहीं है तो पाकिस्तान चले जाओ' 

बीजेपी नेताओं ने कहा कि अगर देश से प्रेम नहीं है तो पाकिस्तान चले जाओ. राज पुरोहित ने कहा, “वंदे मातरम गाना चाहिए, देश का सम्मान करना चाहिए. अगर तुम्हें देश से प्रेम नहीं है तो यहां क्यों रह रहे हो?”


अबू आजमी अपने रुख पर कायम

वहीं, अबू आज़मी ने अपने रुख पर कायम रहते हुए कहा, “जो पढ़ना चाहता है, पढ़े. मैं किसी को मना नहीं कर रहा, लेकिन किसी को जबरदस्ती नहीं पढ़ाया जा सकता. कई मुसलमान इसे गाते हैं, लेकिन जो धार्मिक हैं और सिर्फ अल्लाह पर यकीन रखते हैं, वे किसी और की पूजा नहीं कर सकते.” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें वंदे मातरम से कोई आपत्ति नहीं है और वे इसका सम्मान करते हैं, लेकिन इसे किसी पर थोपना सही नहीं है.


इससे पहले भी अबू आज़मी ने स्कूलों में वंदे मातरम को अनिवार्य करने का विरोध किया था. उनका कहना था कि अलग-अलग धर्मों के लोगों की अपनी-अपनी धार्मिक भावनाएं होती हैं, इसलिए इसे बाध्यकारी नहीं बनाया जाना चाहिए. बता दें कि वंदे मातरम की रचना 7 नवंबर 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक गीत बन गया.

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