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Maharashtra: पंढरपुर वारकरी पालकी पर दिए गए बयान से पलटे अबू आजमी, मांगी माफी, कहा- महायुति के...

Abu Azmi News: महाराष्ट्र समाजवादी प्रमुख अबू आजमी पंढरपुर वारकरी पालकी पर दिए बयान से पलट गए हैं. उन्होंने इस मसले पर चारों तरफ से घिरने के बाद वारी समुदाय के लोगों से माफी मांग ली है. साथ ही कहा है​ कि उनके शब्दों को गलत संदर्भ में समझा गया. विरोधी दलों के नेताओं ने मेरे बयान को गलत संदर्भों में पेश किया है. Abu Azmi News: अबू आजमी के पंढरपुर पालकी पर दिए बयान से विवाद हुआ. अब सपा विधायक ने सफाई देते हुए कहा कि उनके शब्दों को गलत समझा गया और वारकरी संप्रदाय की भावनाएं आहत होने पर माफी मांगी.

Maharashtra: पंढरपुर वारकरी पालकी पर दिए गए बयान से पलटे अबू आजमी, मांगी माफी, कहा- महायुति के...
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( Image Source:  Social )

Abu Azmi On Pandharpur Palki Statement: महाराष्ट्र के सपा अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी की ओर से पंढरपुर वारी पालकी को लेकर दिए गए बयान पर बीजेपी समेत अन्य दलों के नेताओं ने इसे मुद्दा बना दिया.महायुति गठबंधन में शामिल दलों के आक्रामक रुख और जन आक्रोश को देखते हुए अब अबू आजमी ने सफाई पेश की है. आजमी ने अपने बयान में कहा है कि मेरी मंशा किसी के भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नहीं थी.

अबू आजमी ने माफीनामे में क्या कहा?

समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने अपनी सफाई में कहा, "सोलापुर में मेरे द्वारा की गई एक टिप्पणी को लेकर जो गलतफहमियां फैली हैं, मैं उन्हें स्पष्ट करना चाहता हूं. मेरे वक्तव्य को तोड़-मरोड़ कर विरोधी दलों द्वारा दुर्भावनापूर्ण ढंग से पेश किया जा रहा है. यदि इससे वारकरी सम्प्रदाय की धार्मिक भावना आहत हुई हो तो मैं अपने शब्द पूरी तरह से वापस लेता हूं. साथ ही क्षमा भी चाहता हूं. मेरी मंशा कभी भी किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नहीं थी."

सपा नेता अबू आजमी ने आगे कहा, "मैं सपा का वफादार कार्यकर्ता हूं. हमेशा से हर धर्म, संस्कृति, सूफी संतों तथा उनकी परंपराओं का आदर करता आया हूं. मैं वारी परंपरा का पालन कर रहे सभी वारकरी भाइयों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. वारी समुदाय के सभी लोगों का सम्मान सम्मान करता हूं. यह परंपरा महाराष्ट्र की सर्वधर्मीय, समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का गौरवपूर्ण हिस्सा है. मैं व्यक्तिगत रूप से इसका सम्मान करता हूं."

सपा विधायक अबू आजमी का कहना है कि मैंने वारी पालखी का उल्लेख केवल मुस्लिम समाज के साथ हो रहे भेदभाव और उनके अधिकारों के संदर्भ में किया था. यह किसी प्रकार की तुलना नहीं थी और मेरी नीयत और मेरी मांग किसी भी रूप में अनुचित नहीं थी.

अबू आजमी ने ये भी कहा कि हम उपेक्षित समाज के हक, सम्मान और बराबरी की लड़ाई मजबूती से जारी रखेंगे, लेकिन कभी भी देश की एकता पर आंच नहीं आने देंगे."

पंढरपुर वारी क्या है?

महाराष्ट्र के संत संत तुकाराम महाराज की पंढरपुर यात्रा को लेकर भक्तों में उत्साह देखा जा रहा है. संत तुकाराम महाराज की 340वीं आषाढ़ी वारी की पालकी यात्रा 18 जून को पंढरपुर के लिए रवाना हुई थी. मुख्य जुलूस पुणे जिले के देहू और आलंदी से शुरू हुआ है. यह 6 जुलाई को आषाढ़ी एकादशी पर सोलापुर के पंढरपुर में समाप्त होगा.

बता दें कि हर साल पंढरपुर की वारी यात्रा, जिसमें लाखों भक्‍त संत तुकाराम और संत ज्ञानोबा की चरण पादुकाएं लेकर देहू से पंढरपुर तक पैदल यात्रा करते हैं. इस यात्रा में महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से लाखों वारकरी पहुंचे हैं. पंढरपुर वारी आस्था केंद्र है. वारकरी यानी भक्त लगभग 20 दिनों तक पैदल चलते हैं और 250 किलोमीटर से ज्यादा की पैदल यात्रा करते हैं. रास्ते में भक्ति गीत गाते हैं, कीर्तन करते हैं और आध्यात्मिक चिंतन में डूब जाते हैं.

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