कौन होगा नेपाल का अंतरिम PM? कन्फ्यूजन में Gen Z, राष्ट्रपति ने नागरिकों के नाम जारी किया पत्र; पढ़ें अब तक के अपडेट्स
नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद अंतरिम प्रधानमंत्री पद को लेकर गहन राजनीतिक सत्र जारी है. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना नए कार्यकारी प्रमुख के चयन के लिए जनरेशन-ज़ी नेताओं के साथ लगातार वार्ता कर रहे हैं. राष्ट्रपति ने गुरुवार को नागरिकों को पत्र लिखकर शांति बनाए रखने और लोकतंत्र पर भरोसा रखने की अपील की. प्रमुख दावेदारों में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की, नेपाल पावर बोर्ड के पूर्व प्रमुख कुलमान घिसिंग और काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह शामिल हैं.

Nepal Political Crisis: नेपाल में सरकार गिरने और छात्र-नेतृत्व वाले प्रदर्शनों के बीच राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद अब नए कार्यकारी प्रमुख की तलाश तेज हो गई है. इस बीच राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने गुरुवार को नागरिकों को पत्र लिखकर शांति बनाए रखने और लोकतंत्र पर भरोसा रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि वे संवैधानिक दायरे में रहते हुए समाधान खोजने और लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल ने Gen-Z नेताओं से मुलाकात कर स्पष्ट किया कि नए कार्यकारी प्रमुख का नाम तय करना अब उन्हीं की जिम्मेदारी है. सूत्रों के अनुसार, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की, नेपाल पावर बोर्ड के पूर्व प्रमुख कुलमान घिसिंग और काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह जैसे नामों पर गंभीर चर्चा हो रही है. सेना ने भी माना कि विभिन्न पक्षों से बातचीत जारी है और इसका मकसद मौजूदा गतिरोध से रास्ता निकालने के साथ-साथ कानून-व्यवस्था बनाए रखना है.
गुरुवार को भी नहीं हो सका कोई फैसला
बुधवार को भी इस मसले पर अहम बैठक हुई थी लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका. गुरुवार को भी दर्जनों युवा सेना मुख्यालय के बाहर जुटे रहे और फैसले का इंतजार करते रहे. वहीं मंगलवार को प्रधानमंत्री ओली ने हिंसक प्रदर्शनों और बढ़ते दबाव के चलते पद से इस्तीफा दे दिया था.
नेपाल में कैसे शुरू हुआ हालिया संकट?
नेपाल में हालिया संकट तब शुरू हुआ जब छात्र संगठनों ने भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन किया। यह आंदोलन धीरे-धीरे हिंसक हो गया और कई हिस्सों में झड़पें हुईं. सरकार पर दबाव इतना बढ़ा कि प्रधानमंत्री ओली को पद छोड़ना पड़ा. अब राष्ट्रपति पौडेल और सेना अंतरिम सरकार बनाने की कोशिश में जुटे हैं, ताकि राजनीतिक स्थिरता लौट सके और तय समयसीमा में नए चुनाव कराए जा सकें. यह संकट न केवल नेपाल की आंतरिक राजनीति बल्कि पड़ोसी देशों के लिए भी अहम है, क्योंकि नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता को प्रभावित कर सकती है.
अब तक क्या-क्या हुआ?
- 8 सितंबर: छात्र-नेतृत्व वाले हिंसक प्रदर्शनों ने पूरे नेपाल को हिला दिया. संसद भवन और ऐतिहासिक सिंह दरबार पर हमले हुए. अब तक 31 लोगों की मौत और करीब 1400 घायल हो चुके हैं.
- 9 सितंबर: बढ़ते दबाव और हिंसा के चलते प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया. सत्ता का खालीपन और राजनीतिक संकट और गहरा गया.
- 10 सितंबर: राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना ने Gen-Z नेताओं के साथ बैठक की, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई. नाम सामने आए लेकिन फैसला टल गया.
- 11 सितंबर : राष्ट्रपति पौडेल ने नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि संवैधानिक दायरे में रहकर लोकतंत्र की रक्षा की जाएगी. सेना ने भी विभिन्न पक्षों से वार्ता जारी रहने की पुष्टि की.
नेपाल में पीएम पद की रेस में कौन-कौन हैं?
नेपाल में पीएम पद के लिए नए नामों पर गहमागहमी तेज हो गई है. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना लगातार बैठकों के दौर में हैं, वहीं प्रदर्शनकारी छात्रों और युवा नेताओं की नज़र इस बात पर टिकी है कि आखिर अंतरिम सरकार का नेतृत्व कौन करेगा.
- सबसे पहले नाम आया नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का, जिन्हें उनकी ईमानदारी और संविधान की रक्षा की छवि के कारण युवाओं का समर्थन मिला. कार्की को कई लोग लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रतीक मानते हैं, लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव न होने और संवैधानिक अड़चनें उनकी राह मुश्किल बना रही हैं.
- दूसरा बड़ा नाम है कुलमान घिसिंग का, जो नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं. घिसिंग ने नेपाल को बिजली संकट और ‘लोड शेडिंग’ से बाहर निकालकर जनता के बीच कामयाब प्रशासक की पहचान बनाई है. माना जा रहा है कि प्रशासनिक दक्षता और विकास उन्मुख सोच के लिहाज़ से वह मजबूत उम्मीदवार हैं.
- तीसरा और सबसे लोकप्रिय नाम है काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह का, जिन्हें लोग प्यार से ‘बालेन शाह’ कहते हैं. युवा चेहरा, रैपर से नेता बने शाह, मौजूदा जनरेशन-ज़ी आंदोलन की पहचान बन गए हैं. स्वतंत्र उम्मीदवार होकर मेयर चुनाव जीतने के बाद उनका जनसमर्थन लगातार बढ़ा है. हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर अनुभव की कमी और सेना-पार्टियों से समीकरण न बैठा पाना उनके सामने बड़ी चुनौती है.
इस तरह नेपाल की राजनीति इस समय तीन चेहरों पर टिक गई है- कार्की स्थिरता और संविधान की गारंटी के लिए, घिसिंग प्रशासन और विकास के लिए, और शाह जनता और युवाओं के समर्थन के लिए... अब देखना होगा कि राष्ट्रपति और सेना किस संतुलन को प्राथमिकता देते हैं- स्थिरता, विकास या जन समर्थन.