Gen Z ने चुना कुलमान घिसिंग को नेपाल का अंतरिम पीएम, जानिए क्यों 'लोडशेडिंग हीरो' पर है भरोसा
नेपाल की सियासत में बड़ा बदलाव आया है. संसद जलाने और पीएम के इस्तीफे के बाद अब देश की बागडोर संभालेंगे इंजीनियर कुलमान घिसिंग. काठमांडू मेयर बालन शाह और पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की के पीछे हटने के बाद Gen Z ने घिसिंग पर भरोसा जताया. ‘लोडशेडिंग हीरो’ कहे जाने वाले कुलमान घिसिंग की पहचान साफ-सुथरी छवि और कामकाज की क्षमता से है. फिलहाल सेना की निगरानी में बनी अंतरिम सरकार का नेतृत्व अब वही करेंगे. जानिए, क्यों नेपाल की नई राजनीति में युवा पीढ़ी और कुलमान घिसिंग की जुगलबंदी अहम है.

नेपाल की राजनीति एक बार फिर ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ी है. संसद में आगजनी और सड़कों पर भड़की बगावत के बाद अब सवाल यह था कि देश की बागडोर किसके हाथ में होगी. काठमांडू मेयर बालन शाह और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के पीछे हटने के बाद आखिरकार इंजीनियर कुलमान घिसिंग को अंतरिम सरकार की कमान सौंप दी गई.
कुलमान घिसिंग कोई साधारण नाम नहीं हैं. ये वही शख्स हैं जिन्होंने नेपाल को सालों की लाइट जाने की आदत यानी लोडशेडिंग से बाहर निकाला. जनता उन्हें ईमानदार, कामयाब और बिना दाग-धब्बे वाले नेता के रूप में देखती है. यही वजह है कि अब Gen Z यानी युवा पीढ़ी ने खुले तौर पर उन्हें सपोर्ट किया है.
क्यों हटे बालन शाह और सुशीला कार्की?
काठमांडू के चर्चित मेयर बालन शाह को शुरुआत में इस पद के लिए सबसे स्वीकार्य चेहरा माना जा रहा था. लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि वो राजनीतिक पारी में इस भूमिका के लिए तैयार नहीं हैं. दूसरी ओर, पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की ने कानूनी और संवैधानिक बाधाओं का हवाला देते हुए पीछे हटने का फैसला किया. उनकी उम्र (70 से ऊपर) भी Gen Z के युवा प्रतिनिधित्व से मेल नहीं खाती थी.
कुलमान घिसिंग पर क्यों है भरोसा?
कुलमान घिसिंग नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के मुखिया के तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखते हैं. उनके नेतृत्व में ही नेपाल को 18-18 घंटे की बिजली कटौती से छुटकारा मिला. यही कारण है कि जनता उन्हें ‘लोडशेडिंग हीरो’ कहकर पुकारती है. साफ छवि और काम के प्रति समर्पण के कारण उन्हें यंग प्रोटेस्टर्स का भी समर्थन मिला है.
सेना के साथ Gen Z की मुलाकात
नेपाल की राजनीति फिलहाल सेना की निगरानी में है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, Gen Z के एक डेलीगेशन ने आर्मी हेडक्वार्टर्स जाकर बातचीत की और अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया में शामिल होने की मांग रखी. आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल ने बुधवार को युवा प्रतिनिधियों से मुलाकात की और राजनीतिक समाधान की दिशा में आगे बढ़ने का आश्वासन दिया.
नेपाल की सियासत में Gen Z की ताकत
नेपाल की मौजूदा हलचल ने साफ कर दिया है कि नई पीढ़ी अब सियासी फैसलों में अपनी हिस्सेदारी चाहती है. संसद जलाने से लेकर सड़कों पर उतरने तक, युवा आंदोलन ने सत्ता पलटकर रख दी. ऐसे में, कुलमान घिसिंग का चयन इस बात का संकेत है कि पारदर्शिता और कामकाज की क्षमता ही नई राजनीति का आधार बनेगी.
अब आगे क्या?
फिलहाल नेपाल की कमान सेना और अंतरिम सरकार के हाथों में रहेगी, जब तक कि ताज़ा चुनाव का ऐलान नहीं होता. कुलमान घिसिंग के सामने चुनौती सिर्फ प्रशासन चलाना नहीं है, बल्कि उस गुस्से और अविश्वास को भी संभालना है जिसने देश की राजनीति को हिला दिया. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये युवा समर्थित प्रयोग नेपाल को स्थिरता की नई दिशा दे पाएगा.