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सुशीला कार्की या कुलमन घिसिंग, कौन बनेगा नेपाल का अंतरिम प्रधानमंत्री? काठमांडू में Gen Z समूहों के बीच ही हुई झड़पें

नेपाल में Gen Z प्रदर्शनकारियों के नेतृत्व में हिंसक विरोध जारी है, जिसमें अब तक 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 1400 से अधिक घायल हुए हैं. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इस्तीफा दे चुके हैं और प्रदर्शनकारी अब अंतरिम सरकार के नेतृत्व के लिए सुशीला कार्की या कुलमन घिसिंग पर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं. संविधानिक बाधाओं और समूहों के मतभेदों के बावजूद अधिकांश प्रदर्शनकारी बदलाव चाहते हैं और पुराने राजनीतिक नेताओं को हाशिए पर डालना चाहते हैं.

सुशीला कार्की या कुलमन घिसिंग, कौन बनेगा नेपाल का अंतरिम प्रधानमंत्री? काठमांडू में Gen Z समूहों के बीच ही हुई झड़पें
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( Image Source:  Sora_ AI )

Nepal interim PM, Sushila Karki or Kulman Ghising: नेपाल में युवा (Gen Z) प्रदर्शनकारियों के नेतृत्व में जारी विरोध और हिंसक प्रदर्शनों में अब तक 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 1,400 लोग घायल हुए हैं. इन प्रदर्शनों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया. अब सवाल यह है कि आगामी अंतरिम सरकार का नेतृत्व कौन करेगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में चुना है. सुशीला कार्की ने इस भूमिका के लिए सहमति जताई और कहा कि वर्तमान सरकार 'पुरानी और अप्रासंगिक' हो चुकी है. कई प्रदर्शनकारियों ने उनका स्वागत किया और उन्हें ईमानदार, निडर और सही विकल्प बताया.

एक अन्य Gen Z समूह ने कुलमन घिसिंग का नाम किया प्रस्तावित

हालांकि, 24 घंटे बाद एक अन्य Gen Z समूह ने कुलमन घिसिंग का नाम प्रस्तावित किया. घिसिंग, जो नेपाल के बिजली संकट को हल करने के लिए जाने जाते हैं, को युवा नेता माना गया और उन्हें सेना के साथ तालमेल बनाए रखने वाला 'लोकप्रिय राष्ट्रभक्त' बताया गया. इस मतभेद ने काठमांडू में प्रदर्शनकारी समूहों के बीच झड़पें भी पैदा कर दीं.

बालेंद्र शाह ने किया सुशीला कार्की की नियुक्ति का समर्थन

सुशीला कार्की की नियुक्ति को नेपाल के संविधान में बाधा के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि संवैधानिक प्रावधान से सेवानिवृत्त न्यायाधीश अन्य पदों पर नहीं बैठ सकते. राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने सभी पक्षों से सहयोग करने और शांति बनाए रखने की अपील की है, साथ ही अंतरिम सरकार बनाने के लिए कानूनी रास्ता तलाशने का संकेत दिया. वहीं, अधिकांश प्रदर्शनकारी सुशीला कार्की के समर्थन में दिख रहे हैं. काठमांडू के मेयर और रैपर-राजनीतिज्ञ बालेंद्र शाह ने भी उनकी नियुक्ति का समर्थन किया. कुछ अल्पसंख्यक समूह हरका संपांग को प्रस्तावित कर रहे थे, लेकिन उनकी उम्मीदवारी को खारिज कर दिया गया.

पुरानी राजनीतिक शक्तियों को नहीं चाहता Gen Z

नेपाल के संविधान के अनुसार, नया प्रधानमंत्री केवल उस पार्टी या गठबंधन से नियुक्त किया जा सकता है, जिसे संसदीय बहुमत प्राप्त हो. यदि विकल्प न मिले तो राष्ट्रपति किसी को नियुक्त कर सकते हैं, जिसे विश्वास मत से गुजरना होगा. हालांकि प्रदर्शनकारियों का मुख्य उद्देश्य संविधान को बदलना नहीं बल्कि समयिक बदलाव कर सुशीला कार्की को शपथ दिलाना है. Gen Z का स्पष्ट संदेश है कि वे पुरानी राजनीतिक शक्तियों को नहीं चाहते और देश में व्यापक बदलाव चाहते हैं.

विरोध प्रदर्शन सोमवार से शुरू हुआ और अब तक इसमें सरकार भवनों, संसद और सिंगहा दरबार पर कब्जा और आगजनी जैसी घटनाएं हुई हैं. सेना लगातार काठमांडू की सड़कों पर पैट्रोल कर शांति बनाए रखने की कोशिश कर रही है.

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