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धधकते नेपाल के बीच Gen-Z का भरोसा जीतने वाली सुशीला कार्की कौन? क्या अब नेपाल को मिलेगी पहली महिला PM

नेपाल की राजनीति में हिंसा और अस्थिरता के बीच Gen-Z के युवाओं ने पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अपना भरोसेमंद नेतृत्व चुना है. कोई भी राजनीतिक दल से जुड़ा नेता नहीं चुना गया ताकि आंदोलन निष्पक्ष और गैर-राजनीतिक रहे. सुशीला कार्की न्यायप्रिय और निष्पक्ष छवि वाली सिविक एक्टिविस्ट हैं. अब चर्चा है कि वे देश की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बन सकती हैं.

धधकते नेपाल के बीच Gen-Z का भरोसा जीतने वाली सुशीला कार्की कौन?  क्या अब नेपाल को मिलेगी पहली महिला PM
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 10 Sept 2025 7:19 PM IST

नेपाल की राजनीति पिछले कई दिनों से उबलती स्थिति में है. ओली सरकार के जाने और 30 से अधिक सांसदों तथा मंत्रियों के इस्तीफों के बावजूद देश में हिंसा और अनिश्चितता का दौर जारी है. राजधानी काठमांडू की सड़कों पर कर्फ्यू का सन्नाटा है, लेकिन Gen-Z के युवाओं ने अपनी मांगों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है. उनका कहना है कि अब देश को ईमानदार और निष्पक्ष नेतृत्व चाहिए, भ्रष्ट नेताओं की नहीं.

इसी कड़ी में Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने चार घंटे चली वर्चुअल बैठक के बाद पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम नेतृत्व के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया. यह कदम नेपाल की मौजूदा राजनीति में उम्मीदों के साथ-साथ चौंकाने वाला भी माना जा रहा है.

क्यों चुनी गईं सुशीला कार्की?

बैठक में यह साफ किया गया कि नेतृत्व में कोई भी राजनीतिक दल से जुड़ा युवा शामिल नहीं होगा, ताकि आंदोलन पूरी तरह निष्पक्ष और गैर-राजनीतिक रहे. सुशीला कार्की किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ी हैं और एक सिविक एक्टिविस्ट एवं पूर्व जज होने के कारण इस भूमिका के लिए सबसे उपयुक्त मानी गई हैं. काठमांडू के मेयर बालेंदर शाह और युवा नेता सागर धकाल का नाम भी चर्चा में था, लेकिन प्रदर्शनकारी युवाओं ने माना कि वर्तमान हालात में कार्की जैसी न्यायप्रिय और निष्पक्ष छवि वाली शख्सियत ही जनता का भरोसा जीत सकती हैं.

सेना ने भी की बातचीत की पहल

सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल ने प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी या दुर्गा प्रसाई से बात करने का सुझाव दिया था. लेकिन युवाओं ने इसे ठुकरा दिया. उनका मानना था कि किसी भी राजनीतिक ताकत से दूरी बनाए रखना इस समय सबसे जरूरी है.

सुशीला कार्की का जीवन और करियर

जन्म और शिक्षा: सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर में हुआ. सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी कार्की ने कानून की पढ़ाई की और 1979 में वकालत शुरू की. 1985 में उन्होंने महेंद्र मल्टिपल कैंपस, धरान में सहायक अध्यापक के तौर पर कार्य किया.

न्यायिक सफर- 2007 में सीनियर एडवोकेट बनीं, 22 जनवरी 2009 को सुप्रीम कोर्ट की एड-हॉक जज नियुक्त हुईं और 2010 में स्थायी जज. 2016 में वे नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं. 11 जुलाई 2016 से 7 जून 2017 तक उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की बागडोर संभाली.

सत्ता से टकराव- कार्यकाल के दौरान कार्की ने बड़े फैसले लिए. 2017 में माओवादी सेंटर और नेपाली कांग्रेस ने उन पर महाभियोग प्रस्ताव लाया, लेकिन देशभर में विरोध के चलते प्रस्ताव वापस लिया गया. यह उन्हें दबाव के बावजूद डटकर खड़े रहने वाली शख्सियत बनाता है.

व्यक्तिगत जीवन- कार्की की शादी दुर्गा प्रसाद सुवेदी से हुई, जो नेपाली कांग्रेस के सक्रिय नेता रहे हैं. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने किताबें भी लिखीं, जिनमें उनकी आत्मकथा ‘न्याय’ (2018) और जेल अनुभव पर आधारित उपन्यास ‘कारा’ (2019) शामिल हैं.

नेपाल में अब तक क्या हुआ

  • ओली सरकार जा चुकी है, 30 से अधिक सांसद-मंत्रियों ने इस्तीफा दिया.
  • नेपाल में विरोध प्रदर्शन के दौरान अब तक 22 लोगों की जान जा चुकी है तो वहीं 400 लोग घायल बताए जा रहे हैं.
  • Gen-Z युवा भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में सड़कों पर उतरे.
  • काठमांडू में कर्फ्यू लगाया गया, हिंसा और प्रदर्शन जारी.
  • युवाओं ने निष्पक्ष और ईमानदार नेतृत्व के लिए सुशीला कार्की को चुना.
  • सेना ने बातचीत की पहल की, लेकिन राजनीतिक दलों को शामिल नहीं किया गया.
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