डोनाल्ड ट्रंप से जुड़ा रेप का मामला क्या है? अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने भी 731 करोड़ रुपये का जुर्माना रखा बरकरार, जानें डिटेल
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को रेप के एक मामले में फेडरल अपील कोर्ट से भी 8 सितंबर को झटका लगा. कोर्ट ने उन पर लगे मानहानि के केस में दिए गए 8.3 करोड़ डॉलर (करीब 731 करोड़ रुपये) के मुआवजे को बरकरार रखा है. यह मामला उस आरोप से जुड़ा है जिसमें ट्रंप पर ई. जीन कैरोल नाम की महिला ने यौन शोषण और फिर उसके इनकार मामले में मानहानि का मुकदमा का आरोप लगाया था.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रेप के एक मामले में जितना अदालती चक्करों से बचना चाहते हैं, वो उतना ही उसमें फंसते जा रहे हैं. अब इस मामले में अमेरिका की फेडरल अपीलीय कोर्ट ने भी ट्रंप को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसे ट्रंप के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. दरअसल, ई. जीन कैरोल मानहानि केस में भारी मुआवजे के फैसले को सही ठहराया है. इस फैसले से ट्रंप की चुनावी छवि पर भी गहरा असर पड़ सकता है, क्योंकि वह दोबारा राष्ट्रपति पद की दौड़ में हैं.
अमेरिका की फेडरल अपीलीय कोर्ट (संघीय अपील अदालत) ने सोमवार (8 सितंबर) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ 8.33 करोड़ डॉलर (करीब 731 करोड़ रुपये) के जूरी के फैसले को खारिज करने से इनकार कर दिया. इस मामले में अमेरिकी लेखिका ई. जीन कैरोल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था. हालांकि, रेप मामले की पुष्टि नहीं हुई थी. उसी को आधार बनाते हुए ट्रंप ने मैनहट्टन स्थित द्वितीय अमेरिकी सर्किट अपील कोर्ट में राहत की अपील की थी, जिसे अदालत खारिज कर दिया था.
इस मामले में नया मोड़ उस समय आया जब साल 2019 में ट्रंप ने खुद पर लगे रेप के आरोप खंडन किया था. ट्रंप के वकील ने अदालत से कहा था कि जनवरी 2024 के फैसले को पलट दिया जाना चाहिए, क्योंकि उस समय ट्रंप राष्ट्रपति पद के तहत मिलने वाली छूट के हकदार थे. लेकिन अदालत ने कैरोल पर ट्रंप के लगातार हमले की भी आलोचना की.
एले पत्रिका की पूर्व स्तंभकार ई. जीन कैरोल ने अदालत को बताया था कि इस मामले में जैसे-जैसे मुकदमा नजदीक आता गया, ट्रंप के हमले और भी ज्यादा उग्र हो गए. इस बात को गंभीरता से लेते हुए तीन न्यायाधीशों की पीठ ने आपसी सहमति से अपने फैसले में कहा, "इस मामले का रिकॉर्ड जिला अदालत के इस निर्णय का समर्थन करता है कि ट्रंप पर लगा आरोप गंभीर और अभूतपूर्व था."
क्या है पूरा मामला क्या है?
यह मामला अमेरिकी लेखिका ई. जीन कैरोल (E. Jean Carroll) से जुड़ा है, जिन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर 1990 के दशक में बलात्कार का आरोप लगाया था. ट्रंप ने 2019 में न केवल इन आरोपों को झूठा बताया बल्कि कैरोल के चरित्र हनन का आरोप लगाया था. उन्होंने कैरोल के चरित्र पर सवाल उठाए थे. इसके बाद कैरोल ने ट्रंप के खिलाफ ई.जीन कैरोल मानहानि का मुकदमा दायर किया था.
निचली अदालत ने जनवरी 2024 में ट्रंप को मानहानि का दोषी ठहराते हुए 8.3 करोड़ (करीब 731 करोड़ रुपये) डॉलर का हर्जाना कैरोल को देने का आदेश दिया था. ट्रंप ने इस फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन फेडरल अपीलीय कोर्ट ने भी अब इसे बरकरार रखते हुए कहा कि ट्रंप के बयान से कैरोल की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचा.
इस मामले में न्यूयॉर्क की एक अदालत ने मई 2023 में ट्रंप को यौन दुर्व्यवहार और मानहानि का दोषी माना था. जूरी ने कैरोल को $5 मिलियन का जुर्माना देने का आदेश दिया. इस फैसले को दिसंबर 2024 और फिर जून 2025 में हायर कोर्ट में विरोध किया था, लेकिन हायर कोर्ट ने भी जुर्माने का बरकरार रखा.
ट्रंप ने क्या कहा था - ये मेरी टाइप नहीं है
ई. जीन कैरोल ने आरोप लगाया कि 1990 के दशक में (लगभग 1995–96 में) न्यूयॉर्क के एक डिपार्टमेंट स्टोर की ड्रेसिंग रूम में डोनाल्ड ट्रंप ने उन पर यौन हमला किया. ट्रंप ने इन आरोपों से इंकार करते हुए 2019 में कहा कि कैरोल 'मेरी टाइप नहीं हैं' और उनकी पुस्तक 'बुक की बिक्री के लिए बनाई गई कहानी' है.
ट्रंप की बहस और अदालत का जवाब
ट्रंप ने यह दलील दी कि 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को व्यापक अपराध से बचाने वाला प्रतिपूर्ति दिया था, इसलिए उनके इस सिविल मामले में भी उन्हें प्रतिरक्षा की रक्षा मिलनी चाहिए. साथ ही कहा कि ये बयान उनके राष्ट्रपति के पद की जिम्मेदारियों के तहत थे, लेकिन दूसरा संघीय अपीलीय कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. सेकेंड फेडरल अपीलीय कोर्ट ने कहा कि मामले की तथ्यों की गंभीरता के मद्देनजर जूरी द्वारा लगाए गए क्षतिपूर्ति सही और वाजिब हैं. ट्रंप ने राष्ट्रपति प्रतिरक्षा का सहारा समय पर नहीं लिया, इसलिए इसे प्रयोग करने का मौका खो दिया.