क्या है Samson Option, इजरायल ईरान जंग के बीच यह युद्ध रणनीति पहले से ज्यादा अहम क्यों?
Israel Iran War News: 'सैमसन विकल्प' (Samson Option) इजरायल का छिपा हुआ लेकिन शक्तिशाली परमाणु निवारक रणनीति है. यह सिद्धांत इजरायल की सुरक्षा (Defence) रणनीति का अब तक का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो इजरायल ईरान वार के ताजा दौर में ज्यादा अहम होकर उभरा है. यही वजह है कि इजरायल अपनी इस रणनीति पर अमल करने के लिए तैयार है.

इजरायल और ईरान के बीच छह दिन से जारी युद्ध अब वैश्विक संकट में तब्दील हो गया है. ईरान के सुप्रीम लीडर ने भी मंगलवार को युद्ध का एलान कर दिया. दूसरी तरफ अमेरिका खुलकर इजरायल के समर्थन में आ गया है. इस युद्ध में ईरान अलग-थलग पड़ता दिखाई दे रहा है. 57 मुस्लिम देशों में केवल 21 देश उसके साथ हैं. इसके बावजूद ईरान ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है.
जंग के इस कठिन दौर में इजरायल का युद्ध रणनीति सैमसन विकल्प (Samson Option) एक बार सुर्खियों में आग गया है. जानें सैमसन विकल्प क्या है और इजरायल के लिए वह अचानक पहले से ज्यादा महत्वपूर्ण कैसे हो गया?
क्या है सैमसन विकल्प?
दरअसल, 'सैमसन विकल्प' इजरायल का छिपा हुआ लेकिन शक्तिशाली परमाणु निवारक रणनीति है. यह सिद्धांत इजरायल की सुरक्षा रणनीति का अब तक का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो इजरायल ईरान वार के ताजा दौर में ज्यादा अहम होकर उभरा है.
हालांकि, आज का इजरायल सैन्य रूप से मजबूत और तकनीकी रूप से पहले से ज्यादा एडवांस है. इसका परमाणु सिद्धांत यानी सैमसन विकल्प कोई
काल्पनिक बहादुरी नहीं बल्कि विनाश के खिलाफ एक सोची-समझी बीमा पॉलिसी की तरह है. अगर इजरायल ने ईरान के साथ युद्ध में उस पर अमल किया तो दुनिया का भू राजनीतिक परिदृश्य (जियो पॉलिटिक्स) पूरी तरह से बदल जाएगा.
रक्षा खर्च में उछाल की संभावना
इजरायल ने परमाणु टकराव के बढ़ते खतरे को भांपते हुए सैन्य साजो सामान खरीद को बढ़ा दिया है. आयरन डोम और एरो-3 जैसी मिसाइल रक्षा प्रणालियों की खरीद पर जोर दिया जा रहा है. लॉकहीड मार्टिन और रेथियॉन जैसे अमेरिकी रक्षा ठेकेदारों को मिलने वाले ऑर्डर में बढ़ोतरी की संभावना है. साफ है कि युद्ध में उलझे देशों के बीच रक्षा खर्च में उछाल आएगा.
क्षेत्रीय आर्थिक अस्थिरता को मिलेगा बढ़ावा
मध्य पूर्व के देशों में परमाणु ताकत बनने की होड़ ने वैश्विक तेल बाजारों में अस्थिरता का कारण बना है. युद्ध की वजह से ब्रेंट क्रूड तेल की कीमत 102 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. इजरायल ने ईरान के परमाणु संयंत्र नतांज पर हमला बोलकर तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है.
परमाणु अप्रसार फिर बहस शुरू
रूस-यूक्रेन के बाद इजरायल और ईरान के बीच जंग परमाणु युद्ध के कगार पर पहुंचने के संकेतों से एक बार फिर परमाणु अप्रसार पर बहस शुरू हो गई है. ताकि दुनिया भर में बढ़ते खतरे को रोका जा सकता. बता दें कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना है.
1968 में स्थापित और 5 मार्च 1970 को लागू होने वाली एनपीटी परमाणु-सशस्त्र राज्यों और गैर-परमाणु राज्यों के बीच अंतर करती है. इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देश परमाणु प्रौद्योगिकी को हस्तांतरित नहीं करने का वचन देते हैं. शुरुआती दौर में 97 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए थे. 2005 तक इस पर हस्ताक्षर करने वाले देशों की संख्या बढ़कर 189 हो गई है. भारत, पाकिस्तान और इजरायल सहित कुछ राष्ट्र संधि के ढांचे से बाहर हैं.