कहीं छिड़ न जाए तीसरा विश्व युद्ध: पोलैंड के आसमान में रूसी ड्रोन से बढ़ा तनाव, NATO को सेकेंड वर्ल्ड वार की आई याद
पोलैंड के आसमान में रूसी ड्रोन की मौजूदगी ने यूरोप में सुरक्षा को लेकर नई बहस छेड़ दी है. इतिहास गवाह है कि जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला किया था, तभी द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई थी. अब सवाल उठ रहा है कि क्या हालात तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं. फिलहाल रूसी ड्रोन के हमले को उस स्तर का नाटो ने नहीं माना है, लेकिन सभी सहयोगियों से जवाबी कार्रवाई के लिए सतर्क रहने को कहा है.

रूस यूक्रेन युद्ध के बीच अचानक 10 सितंबर 2025 की देर रात और सुबह के समय पुतिन की सेना ने यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर ड्रोन-और-मिसाइल हमले किए. बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ ड्रोन पोलैंड की हवाई सीमा में घुस गए. पोलिश सेना ने उन वस्तुओं को 'खतरा' मानते हुए कुछ को निशाना बनाया और पश्चिमी सहयोगियों नाटो के विमानों ने उनका साथ दिया. इस घटना ने न केवल यूरोपीय देशों को हिलाकर रख दिया बल्कि यह सवाल भी उठाया कि क्या यह नाटो-रूस तनाव तृतीय विश्व युद्ध का पूर्व संकेत है. ऐसा इसलिए कि द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत भी जर्मनी द्वारा पोलैंड पर हमले से ही हुई थी.
रूसी ड्रोन का अपने वायु सीमा पहचान करने के बाद पोलैंड ने घोषणा की कि उसकी हवाई सीमा में कई 'ड्रोन' प्रवेश कर गए और जिनसे खतरनाक किस्म के हैं. पोलैंड की सेना दावा किया है कि उनमें से कुछ को नष्ट कर दिया गया. इसके बाद वारसॉ में सरकार ने आपात बैठक बुलाई और सतर्कता के लिहाज से कुछ नागरिक एयरपोर्ट अस्थायी रूप से बंद कर दिए. यूरोपीय और नाटो अधिकारियों ने इस घटना को गंभीर माना है.
यूरोपीय देशों की सुरक्षा खतरे में
इस घटना के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि यूरोप की सुरक्षा स्थिति एक बार फिर संकट में दिख रही है. पोलैंड ने दावा किया है कि उसके आसमान में रूसी ड्रोन देखे गए हैं. यह वही पोलैंड है, जहां से 1939 में जर्मनी के हमले के बाद द्वितीय विश्व युद्ध का आगाज हुआ था. मौजूदा हालात ने पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की आशंका पर सोचने को मजबूर कर दिया है.
पोलैंड ने जताई गंभीर चिंता
पोलैंड की सरकार ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि रूसी ड्रोन उसकी सीमा में घुसपैठ कर रहे हैं. इस घटना ने नाटो (NATO) देशों में खलबली मचा दी है. पोलैंड ने इसे यूरोपीय सुरक्षा पर सीधा हमला बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है.
दरअसल, द्वितीश विश्व युद्ध की शुरुआत पोलैंड से ही शुरू हुई थी. वर्ल्ड वॉर-2 दूसरे विश्व युद्ध का आगाज 1 सितंबर 1939 को हुआ था. जब नाजी जर्मनी ने पोलैंड पर हमला किया था इसके बाद ब्रिटेन और फ्रांस युद्ध में कूदे और देखते ही देखते पूरा विश्व आग की लपटों में झुलस गया. मौजूदा हालात इसी इतिहास की गूंज की तरह लग रहे हैं.
रूस-यूक्रेन जंग से बढ़ा तनाव
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग पहले ही यूरोप को अस्थिर कर चुकी है. अब पोलैंड के आसमान में ड्रोन की एंट्री इस तनाव को और गहरा रही है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि रूस और नाटो देशों में सीधी भिड़ंत हुई तो हालात तीसरे विश्व युद्ध का रूप ले सकते हैं.
नाटो की भूमिका अहम
नाटो (NATO) चार्टर के मुताबिक किसी एक सदस्य देश पर हमला पूरे गठबंधन पर हमला माना जाएगा. पोलैंड नाटो का अहम सदस्य है, ऐसे में रूस के ड्रोन को लेकर नाटो की प्रतिक्रिया बेहद अहम होगी. यही तय करेगा कि हालात और बिगड़ेंगे या कूटनीति से काबू पाएंगे.
क्या है मामला?
रूस ने यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर ड्रोन और मिसाइल हमले का अभियान चलाया था. उसी दौरान रडारों ने पोलिश सीमा में कई वस्तुओं को ट्रैक किया. पोलिश कमान का कहना है कि जो वस्तुएं 'खतरा पैदा कर सकती थीं' उन्हें नष्ट कर दिया गया. कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पोलैंड के आकाश में दस्तक देने वालो ड्रोन इरान में बने शाहेद श्रेणी के थे. यूक्रेनी नेतृत्व ने भी बताया कि कम से कम आठ ड्रोन पोलैंड की ओर लक्ष्य कर रहे थे. इस घटना के बाद कुछ क्षेत्रों में नागरिकों से घर में रहने की अपील की गई.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पोलिश अधिकारियों और प्रधानमंत्री ने इसे हवाई क्षेत्र का उल्लंघन और आक्रामक करार दिया है. ऐसा रूस ने पूर्व प्रायोजित योजना के तहत किया. यूरोपियन यूनियन और नाटो के नेताओं ने घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि ऐसी घटनाएं सहयोगियों की सुरक्षा के लिए चुनौती हैं. EU विदेश नीति प्रमुख ने भी इस तरह की घुसपैठों को जानबूझकर किया गया अनुमानित कदम करार दिया है.
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा पार जाने वाली छोटी वस्तुओं जैसे क्रूज, शाहेद ड्रोन की प्रकृति अक्सर अस्पष्ट रहती है. कभी गलती से भटकने वाले, कभी निगरानी व सुरक्षा जायजा लेने वाले और कभी पारंपरिक सशस्त्र प्रयोग वाले होते हैं. लेकिन जिस पैमाने पर हमले हुए, उसके मद्देनजर कई विश्लेषक इसे जानबूझकर सीमा-लांघने की कोशिश करार दिया है.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया क्या रिपोर्ट कर रही हैइसको यूरोपीय सुरक्षा के लिए 'सबसे गंभीर' हवाई उल्लंघन में से एक करार दिया गया। मीडिया एजेंसियों ने वैश्विक मीडिया इन घटनाओं को रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार मानकर नाटो के रेस्पॉन्स और रूढ़ियों के रूप में लिया है.
क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की आहट है?
नाटो का अनुच्छेद-5 तभी लागू होता है जब किसी सदस्य पर 'सशस्त्र हमला' हुआ हो. सीमांत घुसपैठ और दुर्घटनाओं के मामलों में गठबंधन रणनीति आम तौर पर संयम बरतने की रही है. क्योंकि तत्काल युद्ध-घोषणा बहुत बड़े राजनीतिक-कानूनी परिणाम लाती है. पोलैंड ने इन घटनाओं को 'गंभीर' कहा है और उत्तर दिया है, पर अभी ऐसी कोई घोषणा नहीं है जो सीधे नाटो-रूस युद्ध को ट्रिगर करे.
नाटो उस समय विरोधी देश के खिलाफ कार्रवाई करती है जब किसी नागरिक को हताहत किया गया हो, किसी बड़े नागरिक हवाई अड्डे या रणनीतिक लक्ष्य पर हमला हुआ हो या प्रमाण सीधे किसी सदस्य-राज्य के प्रति लक्षित आक्रामकता दिखाने वाले हों.