अमेरिकी नरमी से टैरिफ विवाद पिघला, QUAD का क्या होगा? नई दिल्ली बैठक में शिरकत करेंगे Trump या...,
क्वाड समिट नई दिल्ली में डोनाल्ड ट्रंप का न आना, अमेरिका समर्थक लॉबिस्टों को चिंता में डाल सकता है. उनके न आने से अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधनों में 'दरारें' सामने आ सकती हैं. वाशिंगटन की विश्वसनीयता पर सवाल भी उठाए जाएंगे. जबकि चीन इसका लाभ उठाने की कोशिश करेगा. क्वाड नेताओं में मतभेद चीन के लिए सुनहरा अवसर माना जाएगा.

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनातनी में आई नरमी से रिश्तों में नई शुरुआत की उम्मीद जगी है, लेकिन रणनीतिक समीकरणों के केंद्र में मौजूद QUAD को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है. इस साल के अंत में नई दिल्ली में होने वाली QUAD बैठक में अमेरिका की भागीदारी और ट्रंप की उपस्थिति को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. जबकि चीन की इस क्षेत्र में बढ़ती सक्रियता और इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा स्थिति को देखते हुए इस बैठक अहम मानी जा रही है. अब देखना यह है कि व्यापार विवाद में नरमी से QUAD की एकजुटता को मजबूती मिलेगी या फिर कूटनीतिक असमंजस बना रहेगा.
अंतरराष्ट्रीय राजनयिकों और इस विषय के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत शिखर सम्मेलन में ट्रंप का न आना, अमेरिका समर्थक लॉबिस्टों को चिंता में डाल सकता है. उनके न आने से अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधनों में 'दरारें' सामने आ सकती हैं. वाशिंगटन की विश्वसनीयता पर सवाल भी उठाए जाएंगे.
एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन का बढ़ेगा दबदबा
न्यूज वेबाइट https://www.scmp.com के मारिया सियो के मुताबिक अमेरिका द्वारा क्वाड को पूरी तरह से छोड़ने की संभावना नहीं है, लेकिन क्वाड में अमेरिका की भागीदारी पूर्व की बाइडेन सरकार की तुलना में कम होने की संभावना है. ऐसे में चीन एशिया प्रशांत क्षेत्र में दबदबा बढ़ाने की कोशिश करेगा. द न्यूयॉर्क टाइम्स ने 6 सितंबर को ही साफ कर दिया था कि ट्रंप इंडिया दौरे पर नहीं जाएंगे. हालांकि, इस सूचना की दोनों देश की ओर से आधिकारिक रूप से नहीं हुई है.
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में पीएचडी शोधार्थी डोंग क्यून ली के मुताबिक इसका मतलब यह नहीं है कि अमेरिका इस समूह को पूरी तरह से छोड़ देगा. ऐसा इसलिए कि वर्तमान प्रशासन वह एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपने समुद्री प्रभुत्व बनाए रखने के लिए उत्सुक है. यही वजह है कि क्वाड वाशिंगटन की समुद्री रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक बना हुआ है.
ट्रंप का न आना 3 देशों के लिए चिंता का विषय
साउथ एशिया मॉर्निंग पोस्ट के रिसर्चर्स गौरव कुमार के अनुसार अमेरिका की अनुपस्थिति क्वाड में मौजूद अन्य देशों विशेषकर भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के लिए चिंता का विषय है. इससे यह संदेश जाता है कि अमेरिका प्रतिबद्धता से पीछे हट सकता है, जिसका लाभ चीन उठाने की कोशिश आने वाले समय में करेगा. चीन के लिए यह अवसर है कि क्वाड में शामिल देशों को 'मल्टीपालैरिटी' की दिशा में खींचे, खासकर तब जब अमेरिका अपेक्षाकृत इसको लेकर गंभीर नहीं है.
क्वाड समिट के लिए परीक्षा की घड़ी
गौरव कुमार के मुताबिक यह एक तरह से क्वाड की एकजुटता की परीक्षा की घड़ी है. यह स्थिति ट्रंप द्वारा भारत से आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की वजह से उत्पन्न हुई है. बता दें कि अमेरिका ने भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद और अपने कृषि क्षेत्र न खोलने के विरोध में ऐसा किया है.
नई दिल्ली में कब होगी क्वाड की बैठक
नई दिल्ली में क्वाड नेताओं की बैठक (Quad Leaders' Summit) इस साल के अंत में यानी नवंबर होने की संभावना है. इस बैठक की तारीख अभी तय नहीं है. एनवाईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने मोदी को पहले यह सुनिश्चित किया था कि वे नवंबर में भारत आएंगे, लेकिन अब “उनका भारत यात्रा का कोई कार्यक्रम नहीं है.”
क्या है क्वाड?
ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका का एक समूह है क्वाड, जो चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (quadrilateral security dialogue) का संक्षिप्त नाम है. इस संगठन का मकसद शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करना है. इसके लक्ष्यों में समुद्री और आर्थिक सुरक्षा, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों को मजबूत करना और क्षेत्रीय चुनौतियों का जवाब देना शामिल है, जिन्हें अक्सर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव और मुखरता की वजह से उत्पन्न होता रहता है. चारों देशों ने चीन की इसी हरकत को संतुलित करने के लिए इसका गठन किया था.
इस समूह की शुरुआत 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने की थी और हाल के वर्षों में उसने गति पकड़ी है. भारत इस साल के अंत में क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है. इस बार क्वाड समिट हिंद प्रशांत क्षेत्र में एकता को दिखाने के बदले इसमें शामिल देशों के बीच मतभेदों को उजागर करने वाला साबित हो सकता है. खासतौर से चीन के नेता इस मामले को क्वाड के कमजोर होने का संकेत मिलेंगे. अगर ऐसा होता है तो यह चीन के लिए एक खुशखबरी साबित होगा. साथ ही जापान और ऑस्ट्रेलिया के लिए ट्रंप की अनुपस्थिति यूएस की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े करेंगे.