पाक सेना की हाइब्रिड वार की तैयारी, LOC पर प्रॉक्सी वार का नया हीरो अमीर अहसान नवाज भारत के लिए खतरा कैसे?
पाकिस्तानी सेना अब पारंपरिक युद्ध के साथ-साथ हाइब्रिड वार की नई रणनीति पर काम कर रही है. एलओसी पर प्रॉक्सी वार की जिम्मेदारी पाक सेना ने अब अमीर अहसान नवाज को सौंपी है, जिसे प्रॉक्सी वार का ‘नया हीरो’ कहा जा रहा है. भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह बड़ा खतरा बन सकता है, क्योंकि हाइब्रिड वार का मकसद सिर्फ सीमा पार घुसपैठ नहीं बल्कि साइबर अटैक, फेक नैरेटिव और सोशल मीडिया प्रोपेगेंडा के जरिए भारत को अस्थिर करना भी है.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान सेना ने भारत के खिलाफ हाइब्रिड वार प्लान को तेज कर दिया है. एलओसी पर प्रॉक्सी वार की कमान अब अमीर अहसान नवाज के हाथों में है. सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव भारत के खिलाफ नई चुनौतियों की आहट है. सवाल यह है कि हाइब्रिड वारफेयर के इस नए मोर्चे से भारत को किस तरह का खतरा है?
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की सेना नेतृत्व में फेरबदल के जरिए युवाओं को व्यापक रूप से सेना में संगठित करने की मुहिम में जुटी है. इस योजना को पाकिस्तानी सेना गुपचुप तरीके से आगे बढ़ा रही है, जिसे हाइब्रिड युद्ध को संस्थागत बनाने की दिशा में अब तक का सबसे प्रयास माना जा रहा है. इस मुहिम पर अमल करने और प्रभावी बनाने के लिए क्वेटा स्थित कमांड एंड स्टाफ कॉलेज में साइबर और एल्गोरिथम युद्ध सिद्धांतों को जानकार लेफ्टिनेंट जनरल अमीर हसन नवाज जिम्मेदारी सौंपी गई है. नवाज को 10वीं कोर का नया कमांडर नियुक्त किया गया है.
इसके अलावा, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस महानिदेशालय (आईएसपीआर) ने अपने "ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम" में 150 विश्वविद्यालयों के 6,500 छात्रों की पहचान की है. इन्हीं छात्रों को अब डिजिटल सूचना संचालन निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
ऊपर से नीचे तक लागू करने की रणनीति
रक्षा जानकारों का तर्क है कि यह समय जानबूझकर चुना गया है. जहां पाक सेना की सबसे शक्तिशाली फील्ड कमांडरों में से एक को छद्म और सूचना युद्ध में पारंगत एक जनरल को सौंपा गया है. वहीं आईएसपीआर अकादमिक अनुभव के नाम पर अपने वफादारों की अगली पीढ़ी को वैचारिक प्रशिक्षण देकर तैयार कर रहा है. ये घटनाक्रम एक समन्वित रणनीति की ओर इशारा करते हैं. यह हाइब्रिड युद्ध सिद्धांत को ऊपर से नीचे तक के सैन्य स्तर पर लागू करना और नीचे से ऊपर तक नागरिक भर्ती प्रक्रिया की दिशा में बढ़ाया गया कदम है.
सेना में अपने परिवार से तीसरी पीढ़ी के अफसर
लेफ्टिनेंट जनरल अमीर अहसान नवाज जो वर्तमान में जीएचक्यू में सैन्य सचिव के रूप में कार्यरत हैं. वह अब 10वीं कोर के कमांडर के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल शाहिद इम्तियाज की जगह लेंगे. उनकी वंशावली पाकिस्तान के सैन्य अभिजात वर्ग में गहराई से समाई हुई है. वे अपने परिवार से तीसरी पीढ़ी के अधिकारी हैं. वह 31वीं कोर पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल खालिद नवाज खान के पुत्र और सेना के एक पूर्व सैन्य अधीक्षक के पोते हैं.
82वें पीएमए लॉन्ग कोर्स से कमीशन हासिल किया था. वे कमांड एंड स्टाफ कॉलेज क्वेटा से भी जुड़े रहे हैं. वह संयुक्त राज्य अमेरिका के फोर्ट लीवनवर्थ और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय इस्लामाबाद से स्नातक हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल अमीर अहसान नवाज का करियर का पाकिस्तान की प्रॉक्सी रणनीतियों से जुड़े सभी क्षेत्रों से होकर गुजरा है. उन्होंने मुजफ्फराबाद में 3 बलूच रेजिमेंट और 5वीं पीओके ब्रिगेड की कमान संभाली और 11वीं कोर पेशावर में चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य किया, जो कबायली क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियानों की देखरेख करने वाला मुख्यालय था. बाद में, उन्होंने मुर्री में 12वीं कोर का नेतृत्व किया.
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से बताया है कि अमीर अहसान नवाज को "छद्म युद्ध के आक्रामक और रक्षात्मक संचालन में मास्टर" माना जाता है, क्योंकि उन्होंने दशकों तक उग्रवादी मिलिशिया और अनियमित युद्ध के क्षेत्रों में काम किया है.
हाइब्रिड युद्ध के आर्किटेक्ट हैं नवाज
कमांड एंड स्टाफ कॉलेज क्वेटा के कमांडेंट के रूप में नवाज ने हाइब्रिड और एल्गोरिथम युद्ध पर मॉड्यूल के साथ-साथ साइबर और एआई घटकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था. उनके कार्यकाल के दौरान कॉलेज ने "पारंपरिक युद्ध अभ्यास युद्ध से आगे बढ़कर" सूचना अभियानों, डिजिटल प्रभाव संचालन और साइबर लचीलेपन को शामिल किया. यह सैद्धांतिक बदलाव अब उनके साथ 10 कोर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो भारत के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) का सीधा प्रबंधन करने वाली इकाई है.
एलओसी पर नवाज की नियुक्ति भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठान के लिए यह एक चिंताजनक पहलू है. एलओसी पर तैनाती से परिचित एक सेवानिवृत्त भारतीय सेना अधिकारी ने कहा, "आप एक ऐसे कोर कमांडर को देख रहे हैं जो केवल सैन्य गतिविधियों और तोपखाने के बारे में ही नहीं बल्कि पारंपरिक अभियानों के साथ-साथ सूचना को आकार देने के बारे में भी सोचता है." पाकिस्तानी सेना अपनी लड़ाई न केवल एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर बल्कि डिजिटल और एआई क्षेत्रों में भी लड़ना चाहती है.